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सावधान! रुपये की कमजोरी से बढ़ सकती है महंगाई, बढ़ रहा कच्चे तेल का दाम

मनीला : एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने शुक्रवार को कहा कि भारत को मुद्रा के उतार-चढ़ाव के बारे में अभी चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार का अच्छा संग्रह है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कमजोर होते रुपये से अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव पड़ सकता […]

मनीला : एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुख्य अर्थशास्त्री यासुयुकी सवादा ने शुक्रवार को कहा कि भारत को मुद्रा के उतार-चढ़ाव के बारे में अभी चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार का अच्छा संग्रह है. हालांकि, उन्होंने कहा कि कमजोर होते रुपये से अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव पड़ सकता है. उन्होंने कच्चे तेल की कीमतों के बारे में कहा कि एडीबी के अनुसार इसमें कोई तेज वृद्धि नहीं होने वाली है.

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कच्चे तेल की कीमत हाल ही में 75 डॉलर प्रति बैरल को छू चुकी है. भारत कच्चे तेल के मामले में 80 फीसदी आयात पर निर्भर है और कुल आयात खर्च में सबसे बड़ा हिस्सा इसी का होता है. सवादा ने एक साक्षात्कार में कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार समय के साथ बढ़ ही रहा है. इसमें गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं. इसीलिए मुझे लगता है कि विनिमय दर में उतार-चढ़ाव से हमें खास परेशान नहीं होना चाहिए.

छह अप्रैल को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 424.864 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो अब तक उच्चतम स्तर है. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से मुद्रा की विदेशी विनिमय दर में गिरावट के नफा-नुकसान दोनों हो सकते हैं. अच्छी बात यह कि रुपये की कमजोरी से निर्यात क्षेत्र को लाभ होगा. आशंका यह कि इससे अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति का दबाव पड़ सकता है.

वस्तु एवं सेवा कर के बारे में सवादा ने कहा कि नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी. इससे राजस्व संग्रह में होने वाली वृद्धि से सार्वजनिक निवेश में अधिक निवेश संभव हो सकेगा. उन्होंने देश की जनसांख्यिकीय बढ़त के बारे में कहा कि बहरहाल भारत सरकार के सामने आबादी के उम्रदराज होने की समस्या आने में अभी देरी है. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को जितना जल्दी संभव हो, स्थापित कर लेना चाहिए. सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रणाली भी यथाशीघ्र विकसित की जानी चाहिए. इसके लिए कर संगह तथा राजकोषीय क्षमता में विस्तार महत्वपूर्ण है, वर्ना सरकार इन नयी प्रणालियों की शुरुआत नहीं कर सकेगी.

वहीं, रुपये के कमजोरी को लेकर आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि 65-66 रुपये प्रति डॉलर का भारतीय मुद्रा का स्तर सामान्य है. इसमें दखल देने की जरूरत नहीं है. उन्होंने गिरती मुद्रा का अर्थव्यवस्था पर असर संबंधी चिंताओं को भी परे हटाया. गर्ग ने कहा कि कच्चा तेल के 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थमने और सरकारी बांड में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को मंजूरी मिलने से रुपया कुछ समय तक 66-67 रुपये प्रति डॉलर के आस – पास रहेगा. उन्हें लगता है कि स्थिरता आ रही है और 66-67 रुपये प्रति डॉलर का स्तर कुछ दिन बरकरार रहना चाहिए. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, रुपया इस साल डॉलर के मुकाबले अब तक 2.4 फीसदी गिर चुका है.

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