नयी दिल्ली : देश में माल एवं सेवाकर ( जीएसटी) व्यवस्था लागू होने के बाद लगातार छह माह के दौरान जिन इकाइयों की कर देनदारी शून्य रही है उन्हें आने वाले समय में साल में केवल दो बार ही जीएसटी रिटर्न भरने की अनुमति दी जा सकती है.
जीएसटी परिषद की बैठक में इस पर निर्णय हो सकता है. हाल में प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी व्यवस्था के तहत जितनी भी रिटर्न अब तक दाखिल की गई हैं उनमे कम से कम 40 प्रतिशत रिटर्न ऐसी रही हैं जिनमें शून्य कर देनदारी है. ऐसी इकाइयों को अब हर महीने रिटर्न भरने की आवश्यकता नहीं होगी.
एक नई सरलीकृत रिटर्न प्रक्रिया को लेकर जीएसटी परिषद की बैठक में मंजूरी दी जा सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की अगली बैठक में जीएसटी रिटर्न फार्म प्रक्रिया को सरल किये जाने को लेकर विचार किया जा सकता है. उल्लेखनीय है जीएसटी परिषद में केन्द्रीय वित्त मंत्रियों के अलावा राज्यों के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। समूचे घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, जिन करदाताओं की कर देनदारी पिछले छह माह के दौरान लगातार शून्य रही है, उन्हें आगे से छह महीने में एकही बार रिटर्न भरने की आवश्यकता होगी.
राजस्व प्राधिकरण द्वारा तैयार किये गये प्रस्ताव के मुताबिक रिटर्न भरने की तारीख को भी अलग अलग किया जायेगा. जिन कारोबारियों का सालाना कारोबार डेढ़ करोड़ रुपये तक है उन्हें अगले माह की 10 तारीख तक रिटर्न भरनी होगी जबकि अन्य कारोबारियों को अगले माह की 20 तारीख तक यह काम करना होगा.
देश में एक जुलाई 2017 से जीएसटी की शुरुआत होने के बाद कारोबारियों को हर माह तीन रिटर्न भरती होती थी जबकि एक सालाना रिटर्न दाखिल करनी होती थी. कुल मिलाकर उन्हें साल में 37 रिटर्न दाखिल करनी होती थी.
बाद में उद्योग जगत और व्यावसायियों की शिकायत पर रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाने के लिये एक समिति गठित की गई. इसी समिति की सिफारिशों पर अब रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिये कदम उठाये जा रहे हैं.
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