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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में बरतें ये सावधानी तो नहीं होगी परेशानी

रिटर्न फाइल करने से पहले इससे जुड़ी अहम जानकारियां होने पर गलतियों से बचा जा सकता है इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 मार्च है. इस लिहाज से दस दिन से भी कम समय बचा है. इस दौरान कई आवश्यक बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. कई बार रिटर्न फाइल करने […]

रिटर्न फाइल करने से पहले इससे जुड़ी अहम जानकारियां होने पर गलतियों से बचा जा सकता है

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि 31 मार्च है. इस लिहाज से दस दिन से भी कम समय बचा है. इस दौरान कई आवश्यक बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. कई बार रिटर्न फाइल करने में हुई छोटी सी गलती भी इनकम टैक्स विभाग के नोटिस का कारण बन जाती है. इस परेशानी से बचने के लिए इससे जुड़ी अहम जानकारियां होने पर गलतियों से बचा जा सकता है. छोटी-छोटी गलतियों से कैसे बचा जा सकता है? इस परचार्टर्ड एकाउंटेंट राजेश कुमार खेतान ने कई अहम बिंदुओं पर प्रकाश डाला.

टीडीएस के लिए आयकर रिटर्न में रिफंड भी कर सकते हैं क्लेम

इनकम टैक्स पेयर को लगता है कि अलग-अलग स्रोतों से हुए इनकम जिन पर टीडीएस काटा जा चुका है, उनका ब्योरा रिटर्न फाइल करते समय देना आवश्यक नहीं है. ऐसा लोग इसलिए करते हैं क्योंकि अधिकांश टैक्स पेयर इस बात को मानते हैं कि इन पर इनकम पर टैक्स काटा जा चुका है. अत: वे सोचते हैं कि इसके बारे में फॉर्म में जानकारी देना जरूरी नहीं है. पर नियमत: यह सही नहीं है.

ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने में ऐसी इनकम का ब्योरा भी देना होगा. हां टैक्स पेयर काटे गये टैक्स का क्रेडिट क्लेम कर सकता है और अगर उसकी कुल आय कर योग्य नहीं है. लेकिन टीडीएस काट लिया गया है, तो करदाता उसका अपने आयकर रिटर्न में रिफंड भी क्लेम कर सकता है. उसको यह रिफंड दिये गये बैंक अकाउंट में ऑनलाइन प्राप्त हो जायेगा. अगर कोई वेतनभोगी है और इसके साथ किराया, ब्याज आदि से अतिरिक्त आय हो रही, है तो रिटर्न फाइल करते समय आप केवल अपनी वेतन से होने वाली इनकम का ब्योरा रिटर्न फाइल में न भरें. अगर आप ऐसा करते हैं, तो यह गलत फाइलिंग होगी. इनकम टैक्स रिटर्न में सैलरी के अलावा हर छोटी आय का भी ब्योरा देना चाहिए.

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय करदाता को अपनी सभी इनकम का ब्योरा देना होता है. साधारणत: रिटर्न फाइल करते समय टैक्स पेयर एफडी और रेकरिंग डिपॉजिट के ब्याज से होने वाली आय का ब्योरा देना जरूरी नहीं समझते हैं. इस तरह की गलती अधिकांश टैक्सपेयर करते हैं. जबकि एफडी या रेकरिंग डिपॉजिट से मिले ब्याज का ब्योरा रिटर्न फाइल करते समय देना जरूरी होता है.

छूट प्राप्त आय को भी दर्शाना होगा

शेयर में किये निवेश पर डिविडेंड, पीपीएफ, इपीएफ की परिपक्वता ओर खेती से होने वाली आय पर टैक्स पेयर को लेकर दुविधा होती है कि इस पर टैक्स छूट मिलती है. इसलिए टैक्स पेयर इसका ब्योरा नहीं देते हैं, लेकिन यह सही नहीं है. रिटर्न में एक्जेंप्ट अर्थात छूट प्राप्त आय को भी दर्शाना होगा. उस पर टैक्स की लायबिलिटी करदाता की नहीं बनेगी.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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