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वेजेज कोड बिल को मोदी कैबिनेट आज दे सकती है मंजूरी, निजी क्षेत्र के कर्मियों को मिलेगा बड़ा लाभ

नयी दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार की होने वाली बैठक में श्रम सुधार के तहत न्यूनतम वेजेज कोड बिल को मंजूरीमिलसकती है. कहा यह जा रहा है कि अगर केंद्रीय कैबिनेट कीआर्थिक मामलों की समिति की आेर से आज इस बिल की मंजूरी दे दी जाती है, तोसंसदमें बिल पेश कर उसेकानूनीशक्ल दे दियाजायेगा और […]

नयी दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट की बुधवार की होने वाली बैठक में श्रम सुधार के तहत न्यूनतम वेजेज कोड बिल को मंजूरीमिलसकती है. कहा यह जा रहा है कि अगर केंद्रीय कैबिनेट कीआर्थिक मामलों की समिति की आेर से आज इस बिल की मंजूरी दे दी जाती है, तोसंसदमें बिल पेश कर उसेकानूनीशक्ल दे दियाजायेगा और इससे निजी क्षेत्र के उद्योगों के लिए अपने कर्मियों के लिए हर महीने एक न्यूनतम तनख्वाह का मानक तय किया जा सकता है.हालांकिअभी यह बहुत स्पष्ट नहींहो पाया है कि न्यूनतमतनख्वाह 15 हजाररुपयेहोगी या 18 हजार रुपये. ज्यादातरश्रमिकसंगठन सरकार पर 18 हजार रुपये न्यूनतम तनख्वाहकरनेकापहलेसे दबाव डाल रहेहैं.यह बिल अस्तित्व में आने पर इस संबंध में पहले से लागू कानूनों की जगह ले लेगा. इस बिलकेस्वरूप को लेकर सरकार आैरविभिन्न मजदूर संगठनों के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही है.

इस खबर को भी पढ़ेंः अब कामगारों को डीए न्यूनतम मजदूरी में दो फीसदी बढ़ोतरी

मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, पिछले महीने श्रम संगठनों के बीच वेज कोड बिल जाने को लेकर चर्चा की जा गयी थी. इस बिल में सभी तरह के उद्योगों में श्रमिकों को एक न्यूनतम मजदूरी दिलाने का प्रस्ताव है. इसमें अब वे कामगार भी शामिल होंगे, जिन्हें 18,000 रुपये से अधिक का मासिक वेतन मिलता है. अभी जो कानून है, उसके तहत 18,000 रुपये से ज्यादा मासिक वेतन पाने वाले मजदूर नहीं माने जाते हैं. इस बिल को लेकर श्रम सचिव एम साथियावथी से पहले ही इस बात का संकेत दे दिया था कि हम इसे अगले महीने संसद के मॉनसून सत्र में पारित कराने की कोशिश करेंगे.

श्रमसेसंबंधित मुद्दों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में बनायी गयी मंत्रालयी समिति इस संहिता को पहले ही मंजूरी दे चुकी है. बताया जा रहा है कि श्रम कानूनों में सुधार लाने के लिए श्रम मंत्रालय ने इस बिल को कैबिनेट में पेश करने के पहले ही कानून मंत्रालय से अनुमति ले ली है. कहा यह भी जा रहा है कि यह बिल केंद्र सरकार को अलग-अलग क्षेत्रों में न्यूनतम मजदूरी तय करने की शक्ति प्रदान करेगी और राज्यों को उसका पालन करना होगा. हालांकि राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में इससे अधिक न्यूनतम मजदूरी तय कर सकती हैं.

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