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आज एनडीए व विपक्ष का होगा शक्ति प्रदर्शन, जानें दोनों खेमों की अहम बैठकों का केंद्र बिंदु क्यों बनेगा बिहार ?

दिल्ली और बेंगलुरु में आज विपक्ष और एनडीए की अलग-अलग बैठक है. इन दोनों बैठकों का केंद्र बिंदु एकतरह से बिहार को ही माना जा रहा है. एनडीए ने अपनी बैठक में जदयू से खफा कई विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया है तो विपक्षी दल की बैठक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर ही हो रही है.

Political Meetings : आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर एनडीए और विपक्ष दोनों खेमे आज दमखम दिखाएंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर शुरू हुई विपक्षी एकता की दूसरी बैठक बेंगलुरु में चल रही है. दो दिवसीय बैठक में बिहार समेत अन्य राज्यों के भी सियासी दिग्गज हिस्सा ले रहे हैं. सोनिया गांधी के द्वारा सोमवार को आयोजित रात्रि भोज में बिहार के सीएम नीतीश कुमार व राजद प्रमुख लालू यादव भी शामिल हुए. वहीं आज दूसरी बैठक दिल्ली में एनडीए करेगी जिसमें बिहार से लोजपा(रामविलास) समेत अन्य दलों के प्रमुख नेता हिस्सा लेंगे.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयारी

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को पटखनी देने के लिए विपक्ष एकजुट हो रहा है. वहीं विपक्ष के मंसूबे पर पानी फेरकर फिर से एकबार दिल्ली की गद्दी पर कब्जा जमाने के लिए एनडीए ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है. दोनों गठबंधनों की ओर से अन्य पार्टियों को एकजुट करके अपने खेमे को मजबूत किया जा रहा है. इन दोनों बैठकों का केंद्रबिंदु एकतरह से बिहार ही है. दरअसल, बिहार में अब सियासी समीकरण बदल गए हैं जिसका असर पूरे देश की सियासत पर पड़ने वाला है. पूर्व में भी इसका असर दिख चुका है. इसलिए दोनों खेमा अपनी ताकत को और मजबूत करने में जुटा है.

दिल्ली में आज एनडीए की बड़ी बैठक

दिल्ली में आज एनडीए की बड़ी बैठक है. इस बैठक में बिहार से चार दल शिरकत करेंगे. इस बैठक में शामिल होने के लिए बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी भी दिल्ली में हैं. वहीं महागठबंधन से अलग हुए हम पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी व उपके पुत्र संतोष सुमन को भी बैठक के लिए आमंत्रित किया गया है. जबकि जदयू से बगावत करके अलग हुए रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी बैठक में में शामिल होंगे. जबकि लोजपा रामविलास पार्टी को उनके नेता सह जमुई सांसद चिराग पासवान ने एनडीए में शामिल करा दिया है और वो भी इस बैठक का हिस्सा बनेंगे.

महागठबंधन 26 दलों के साथ भाजपा को हराने की बना रही रणनीति

दूसरी ओर बेंगलुरु की बैठक में महागठबंधन 26 दलों के साथ भाजपा को हराने के लिए रणनीति बना रही है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस जुटान की पहल की थी. एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार राज्यों के दौरे पर निकले थे और विपक्षी दलों को एकजुट करने का काम शुरू किया था. राजद सुप्रीमो लालू यादव की सेहत अब बेहतर है और वो लंबे अरसे बाद चुनाव के लिए पूरी ऊर्जा के साथ मैदान में दिख रहे हैं.

पटना के बाद अब बेंगलुरु में जुट रहे विपक्षी दल

बता दें कि विपक्ष की पहली बैठक पटना में ही पिछले महीने जून में आयोजित की गयी थी जिसमें 15 विपक्षी दलों के शीर्ष नेता जुटे थे. इस बैठक में पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु, पंजाब व दिल्ली के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस बैठक की मेजबानी की थी. उस बैठक में ये तय हुआ था कि विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ेंगे और भाजपा के हैट्रिक को इस बार रोकेंगे. बेंगलुरू में दूसरी बैठक आयोजित है जिसकी मेजबानी कांग्रेस कर रही हैं. बैठक में गठबंधन के नाम पर फैसला होगा और नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की संभावना है.

बेंगलुरु में सोमवार को रात्रिभोज का आयोजन

विपक्ष की कई प्रमुख पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने बेंगलुरु में सोमवार को रात्रिभोज के मौके पर बैठक की, जहां से यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट हैं. वे मंगलवार को औपचारिक रूप से मंत्रणा करेंगे कि कैसे अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एक साझा कार्यक्रम तैयार किया जाए और एकजुट होकर उसे मात दी जाए. मंगलवार की बैठक में शामिल होने वाले विपक्षी दलों के नेता संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से आगे की रूपरेखा पेश करेंगे.

चिराग की वापसी और वर्तमान हालात

बताते चलें कि बिहार में अब सियासी समीकरण बदले हैं. नीतीश कुमार ने जदयू को एनडीए से अलग कर लिया और राजद के साथ मिलकर फिर से सरकार बनाई है. भाजपा फिर से बिहार में विपक्षी दल बन चुकी है. वहीं बिहार में 40 सीटों पर कड़ी टक्कर लोकसभा चुनाव में होगी. जिसमें महागठबंधन और एनडीए आमने-सामने होंगे. इस बार चिराग पासवान एनडीए के साथ होंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने भाजपा से अलग होकर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. जदयू ने चिराग पासवान की वजह से होने वाले नुकसान का ठिकरा भाजपा के माथे पर फोड़ा था. वहीं जदयू और राजद फिर से एकसाथ मिलकर मैदान में उतरे तो भाजपा भी इसे हल्के में लेने की भूल नहीं करेगी.

Published By: Thakur Shaktilochan

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