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बिहार के जातीय सर्वे से देश की राजनीति गरमायी, जानें I.N.D.I.A में कैसे मॉडल बन गए नीतीश कुमार?

बिहार के जातीय सर्वे से देश की राजनीति गरमा गयी है. विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब एक मॉडल बनकर सामने आए हैं. बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट सामने आयी तो दिल्ली तक की सियासत कैसे गरमायी, पढ़िए इस रिपोर्ट में...

बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट (Caste Census Report) जारी कर दी गयी. प्रदेश में जातियों की आबादी का डाटा अब सार्वजनिक हो गया है. गांधी जयंती के अवसर पर इसी दिन सरकार की ओर से यह डाटा जारी कर दिया गया. 1931 मे जाति जनगणना हुई थी, अब यानी 92 साल बाद जाति गणना की रिपोर्ट आयी है और स्पष्ट हुआ है कि राज्य में किस जाति की कितनी भागिदारी है. केंद्र सरकार की ओर से इस गणना को नहीं कराने के निर्णय के बाद बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने यह तय किया था कि राज्य सरकार अपनी खर्च पर ही सूबे में जातीय गणना करवाएगी. तब सूबे में एनडीए की सरकार थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. तब विपक्षी दल में बैठी राजद भी लगातार जाति गणना की मांग उठाती रही. सदन के अंदर से लेकर बाहर तक इसे लेकर आवाज तेज हुई. बिहार का सियासी समीकरण अब बदला है और नीतीश कुमार महागठबंधन की सरकार के मुखिया हैं. भाजपा अब विपक्षी पार्टी है. वहीं भाजपा को केंद्र की गद्दी पर से हटाने के लिए नीतीश कुमार की पहल पर इंडिया गठबंधन तैयार हुआ है जिसमें कांग्रेस समेत विपक्षी दलें शामिल हैं और सभी ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने जब जातीय गणना कराने का फैसला लिया तो इसमें सर्वे शुरू होने के बाद भी कई कानूनी पेंच लगे. लेकिन अब सर्वे की रिपोर्ट भी सामने आ गयी. है. जिसके बाद नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में एक मॉडल के रूप में उभरकर आए हैं और बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आते ही देशभर की सियासत में एक अलग उबाल दिखने लगा है.

बिहार की जाति गणना रिपोर्ट ने देश की राजनीति में लाया उबाल..

जाति गणना की रिपोर्ट जारी करने वाला पहला राज्य बन चुका है. जाति गणना की रिपोर्ट सामने आयी तो ताजा आकड़ों से साफ हुआ कि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 हो गयी है और प्रदेश में कुल 215 जातियां रहती हैं. जातीय गणना के आंकड़ो मे राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक रप से प्रभुत्व रखने वाली जातियों के साथ ही इन मानको पर पिछड़ी रही जातियों की संख्या का भी पता लगा है. 215 जातियों मे 190 जातियों की आबादी एक फीसदी से भी कम है. अनुपात में देखें तो सबसे अधिक 14.26 फीसदी आबादी यादव जाति की है. यह साफ हुआ है कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग सबसे बड़ा है. वहीं अब इस जाति गणना रिपोर्ट के सामने आने के बाद देशभर की सियासत में एक नया उबाल आया है. केंद्र सरकार पर जनगणना कराने का दबाव अब बढ़ गया है और इसे लेकर आवाज बुलंद होने लगी हैं. ओबीसी वर्ग को लेकर भी सियासत अब तेज होने लगी है और एक दूसरे को पक्ष-विपक्ष घेरते दिख रहे हैं. कांग्रेस सांसद सह पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट आने के बाद ट्वीट करके केंद्र सरकार को घेरा है. राहुल गांधी ने सोशल मीडिया X पर लिखा कि ”बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां OBC + SC + ST 84% हैं. केंद्र सरकार के 90 सचिवों में सिर्फ़ 3 OBC हैं, जो भारत का मात्र 5% बजट संभालते हैं! इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है. जितनी आबादी, उतना हक़ – ये हमारा प्रण है.” वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर जाति की राजनीति को लेकर निशाना साधा.


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नीतीश कुमार I-N-D-I-A में अलग रूप में मॉडल बने..

गौरतलब है कि बिहार सरकार ने जब जाति गणना कराने का फैसला लिया था तो नीतीश कुमार के इस निर्णय ने कई राज्यों का ध्यान अपनी ओर खींचा था. अन्य राज्यों ने भी अपने यहां गणना कराने का विचार शुरू कर दिया. अब जब बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट सामने आ गयी है तो विपक्षी दलों के गठबंधन I-N-D-I-A के अंदर नीतीश कुमार एक अलग रूप में मॉडल बनकर आए हैं. एकतरफ जहां केंद्र सरकार को घेरने के लिए एक बड़ा मुद्दा विपक्षी दलों के सामने आया तो वहीं अन्य राज्यों के लिए भी अपने प्रदेश में जाति गणना कराने का रास्ता खुला. जाति आधारित गणना को लेकर इंडिया गठबंधन में पहले भी चर्चा होती रही है. वहीं देश के अन्य राज्यों में होने वाली विधानसभा चुनाव में भी इसकी चर्चा होने लगी है. सोमवार को इधर बिहार में जाति गणना की रिपोर्ट सामने आयी, तो उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके कुछ ही घंटे के बाद ग्वालियर की एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस को घेरा और जात-पात की राजनीति का आरोप लगाया.

अन्य राज्यों में भी दिखने लगा असर..

बिहार की जाति गणना अब देशभर की राजनीति में नया उबाल लेकर आती दिखने लगी है. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी साफ किया था कि अगर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो वो सूबे में जातिगत गणना कराएंगे. पड़ोसी राज्य झारखंड ने भी अब जाति गणना कराने का मन बना लिया है और हेमंत सोरेन की सरकार अब केंद्र को प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं और जाति गणना कराने की मांग किए हैं. दक्षिण भारत की सियासत में भी इसका असर दिखा है. वहीं अब बिहार का यह कदम देशभर की राजनीति में एक नया मुद्दा लेकर आता दिखा है. नीतीश कुमार मॉडल बने हैं.

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