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बिहार में छठ का क्यों है विशेष महत्व, जानिए धूम-धाम से इस महापर्व को मनाने के पीछे की वजह..

Chhath Puja 2023: छठ पूजा का विशेष महत्व है. इसे बिहार में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिनों तक इस पर्व को मनाया जाता है. राज्य में सदियों से इस पर्व को मनाते की परंपरा चली आ रही है.

Chhath Puja 2023: बिहार में छठ पूजा का विशेष महत्व है. इसे राज्य में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. चार दिनों तक इस महापर्व को मनाया जाता है. इस दौरान दूसरे राज्य से कई लोग अपने घर वापस वापस आ रहे हैं. इस कारण ट्रेनों में भी भारी भीड़ देखने को मिल रही है. लोगों को टिकट तक नहीं मिल रही है. वहीं, रेलवे की ओर से यात्रियों की सुविधा का खास ख्याल रखते हुए कई स्पेशल ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है. इस साल 17 नवंबर से छठ पूजा की शुरूआत होने जा रही है. फलों का बाजार भी सज चुका है. मालूम हो कि हर साल हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाई जाती है. इस दिन छठी मैया की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन छठ मां की पूजा करने से सुख- समृद्धि, यश, धन, मान- स्मान, वैभव आदि की प्राप्ति होती है. पूरे देश में छठ का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन, बिहार में इसे पूरे उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है. राज्य में सदियों से इस महापर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि यह पर्व बिहार में सबसे अधिक प्रसिद्ध है.

डूबते और उगते सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य

छठ 17 नवंबर से मनाया जाएगा. चार दिन के इस त्योहार में नहाय खाय और खरना होता है. इसके बाद डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. कई लोग कहते है कि उगते सूर्य को तो सभी प्रणाम करते हैं. लेकिन, छठ ही एक ऐसा पर्व है जिसमें डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देते हैं. इसी पर्व में भगवान को देखकर उनकी पूजा की जाती है. सूर्य को जल अर्पण किया जाता है. वहीं, नि: संतान महिलाओं के लिए तो इस पर्व का खास महत्व होता है. मान्यता है कि नि: संतान महिलाएं अगर यह पूजा करती हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही परिवार के लोगों को खुशी की प्राप्ति होती है. कथाओं के अनुसार राज्य में छठ पूजा की शुरूआत महाभारत के काल में हुई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यपुत्र कर्ण का संबंध बिहार के मुंगेर जिले से था.

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36 घंटे का होता है निर्जला उपवास

राजा कर्ण सच्ची श्रद्धा के साथ सूर्य की पूजा किया करते थे. यह पानी में खड़े होकर घंटों सूर्य को जल अर्पित करते थे. कहा जाता है कि षष्ठी और सप्तमी तिथि को यह सूर्य विशेष आराधना करते थे. बताते है कि इसके बाद से ही छठ महापर्व को मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई. वहीं, सूर्य पुराण में देव मंदिरों का उल्लेख होने के कारण इस पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. छठ पूजा के बारे में कहा जाता है कि यह पूरी तरीके से प्रकृति को समर्पित होता है. इसे लोग पूरी आस्था के साथ मनाते हैं. दिवाली खत्म होने के बाद ही सभी इस महापर्व की तैयारी में जुट जाते है. यह एक ऐसा पर्व है, जिसमें व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती है. वहीं, अन्य पर्व में इतना लंबा उपवास नहीं होता है. चार दिनों तक चलने वाला छठ पूजा पर्व की शुरुआत नहाय खाय से की जाती है. इस दिन घर में शुद्धता का खास ख्याल रखा जाता है. छठ पर्व के दौरान लोग लहसून और प्याज खाना छोड़ देते हैं. नहाय खाय के दिन व्रती सहित पूरा परिवार कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि खाते हैं. इस साल 18 नवंबर को खरना है. इस दिन गुड़ और खीर का प्रसाद बनाया जाता है. इसके बाद व्रती 36 घंटे का उपवास रखती है. इस पर्व के प्रसाद को बनाने के लिए आम तौर पर मिट्टी के चुल्हे का निर्माण किया जाता है.

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Sakshi Shiva
Sakshi Shiva
Worked as Anchor/Producer from March 2022 to January 2023 at DTV Bharat TV channel. Have worked with Sixth Sense weekly newspaper from August 2021 to January 2022. Have done 21 days internship at Clinqon India as a Social media intern. Post Graduated in Journalism and Mass Communication from Central University of South Bihar, Gaya. Graduated in English from Purnea Mahila College, Purnea.

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