सोशल साइट्स की लत से स्वास्थ्य पर पड़ रहा है हानिकारक प्रभाव
रांची : स्मार्ट फोन पर सोशल नेटवर्किंग साइट का दिन भर इस्तेमाल लोगों को बीमार बना रहा है. युवा, विद्यार्थी, महिला, पुरुष से लेकर बच्चे तक इसकी गिरफ्त में हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट का लोगों पर ऐसा भूत सवार हो गया है कि उनका ज्यादा से ज्यादा समय मैसेज टाइप करने में ही बीत रहा है. हमलोग इसकी गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं, जिसका परिणाम यह हो रहा है कि लोग हड्डी व ब्रेन की गंभीर समस्या से पीड़ित हो जा रहे हैं. इससे निजात पाने के लिए लोगों को अस्पताल व फिजियोथेरेपी क्लिनिक का सहारा लेना पड़ता है. समय रहते सचेत होने की जरूरत है.
टेक्स्टनेक सिंड्रोम (गर्दन की समस्या )
यह गर्दन की समस्या है. इसमें व्यक्ति के गर्दन में दर्द व जकड़न हो जाता है. लगातार स्मार्ट फोन पर काम करने से इससे रीढ़ की हड्डी के डिस्क खिसकने की संभावना बढ़ जाती है. यह समस्या बाद में क्रोनिक स्पोंडेलाइटिस का रूप ले लेती है.
क्या करें : स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते समय पोस्चर का ध्यान रखें. गर्दन को लगातार झुका कर काम नहीं करना है. पीठ को सीधा रखना है, ताकि स्पाइन सीधा रहे. दोनों पैर का तलवा जमीन पर रहना है. कंधा का सपाेर्ट टेबल या कुर्सी पर होना चाहिए.
एक्सरसाइज करें
इसमें मसल्स स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना चाहिए. गर्दन को दायें व बायें की ओर घुमाना चाहिए. एक बार में 10 बार ऐसा करें. प्रत्येक आधा घंटा पर अपने कार्य स्थल को छोड़ दें और कुछ देर टहलें.
सावधानी: अपने मन से व्यायाम न करें. टीबी, मोबाइल व यू ट्यूब को देख कर किया गया व्यायाम शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है. अगर ज्यादा समस्या, हो तो तुरंत फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करें.
कंधे की समस्या
ज्यादा देर तक मोबाइल व कंप्यूटर का प्रयोग करने से गर्दन की समस्या धीरे-धीरे कंधे तक पहुंच जाती है. कंधे के नीचे तक भी इसका दुष्प्रभाव दिखायी देने लगता है. झनझनाहट की समस्या आ जाती है. काम करते समय पीठ को सीधा रखें.
एक्सरसाइज करें
ऐसी समस्या होने पर सोल्डर मूवमेंट एक्सरसाइज करना चाहिए. हाथ को ऊपर की ओर ले जायें और धीरे-धीरे नीचे लायें. यह व्यायाम दिन भर में दो बार 10-10 बार करें. इससे राहत मिलेगी.
सावधानी: व्यायाम करने के बाद भी अगर समस्या दूर नहीं है, तो तुरंत फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करें. उनके द्वारा बताये गये व्यायाम नियमित रूप से करें.
कार्पल टनल सिंड्रोम (कलाई की समस्या)
कंप्यूटर व मोबाइल (की बोर्ड व माउस ) पर ज्यादा देर तक काम करने से कलाई की समस्या उत्पन्न हो जाती है. इसे कार्पल टनल सिंड्रोम कहा जाता है. इसमें अंगुलियों में झनझनाहट व दर्द होता है. जकड़न की समस्या भी होती है.
क्या करें : काम के दौरान की बोर्ड को सामने रखें. की बोर्ड को कभी भी उठा कर नहीं रखना है. माउस को 180 डिग्री पर रखना है. मोबाइल पर भी काम करते वक्त यह सावधानी बरतें.
एक्सरसाइज करें
इस तरह की समस्या होने पर कलाई का एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है. कलाई को ऊपर व नीचे करना है. यह व्यायाम दिन में दो बार 10-10 की संख्या में करना है. स्माइली बॉल को हाथों में रखकर दबाना है.
कमर दर्द की समस्या
कुर्सी पर ज्यादा देर तक आड़ा-तिरछा बैठ कर मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करने से कमर में दर्द की समस्या हो जाती है. कमर दर्द उठने व बैठने के समय ज्यादा होता है. इससे काफी परेशानी होती है.
क्या करें: कुर्सी पर सीधा होकर बैठें. लंबर सपोर्ट वाली कुर्सी का प्रयोग करें. अगर लंबर सपोर्ट वाली कुर्सी नहीं है, तो कुशन लगाकर बैठें. जांघ को 90 डिग्री पर रखें. पैर का तलवा जमीन पर रखें. आधा घंटा से ज्यादा एक पोस्चर में नहीं रहें. ऐसा करने से राहत मिलेगी.
एक्सरसाइज करें
अगर शुरुआती दर्द है, तो स्पाइनल एक्सटेंशन एक्सरसाइज (पेट के बल लेट कर बारी-बारी से दोनों पैर उठायें) करें. ज्यादा होने पर फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करें.
सावधानी: कमर दर्द वाले लोग झुक कर भारी वजन नहीं उठायें. अपने मन से व्यायाम नहीं करें. फिजियोथेरेपिस्ट से संपर्क करें.
जोड़ों में दर्द व ऑर्थराइटिस की समस्या
ह्वाट्सऐप, फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लत से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है. मोबाइल पर लगातार एक ही पोस्चर में काम करने से लोगों में हड्डी की समस्या उत्पन्न हो रही है. सबसे ज्यादा परेशानी गर्दन की हो गयी है. इसके अलावा उंगलियों के जोड़ों में दर्द व अर्थराइटिस की समस्या भी उत्पन्न हाे रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर लोग टच स्क्रीन का इस्तेमाल गलत तरीके से गलत पोस्चर में करते हैं. गलत पोस्चर के कारण तुरंत तो इसका असर नहीं दिखता है, लेकिन लंबे समय बाद इसका शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव दिखने लगता है. लगातार मोबाइल पर टाइप करने से कलाई पर अधिक दबाव पड़ता है. हाथों को बहुत ज्यादा आगे या पीछे झुकाना पड़ता है. इससे हाथों पर स्ट्रेस तो पड़ता ही है, कलाई की धमनियों पर भी दबाव पड़ता है.
आइसीयू तक में हो रहा है उपयोग
फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल अब सिर्फ हड्डी की समस्या से निजात पाने के लिए ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि गंभीर बीमारियों में भी इसका इस्तेमाल होने लगा है. आइसीयू में भी फिजियोथेरेपिस्ट का रोल बढ़ गया है. अगर कोई निमोनिया का मरीज आइसीयू में भर्ती है, जिसे सांस की समस्या है. ऐसे मरीज को फेफड़ा से संबंधित फिजियोथेरेपी करायी जाती है.
हेड इंज्यूरी में भी फिजियोथेरेपी कारगर
हेड इंज्यूरी वाले गंभीर मरीज के लिए भी फिजियोथेरेपी का अहम रोल होता है. ऐसे मरीज जो वेंटिलेटर पर हैं, उनका चेस्ट फिजियोथेरेपी कराया जाता है. इसके अलावा इंट्राक्रेनियल प्रेशर ज्यादा नहीं हो, इसके लिए सही पोस्चर में मरीज को रखा जाता है.
वेंटिलेटर व ओपेन हार्ट सर्जरी
आइसीयू में वेंटिलेटर पर मरीज को कैसे रखना है. किस पाेस्चर में रखना है, इसकी जानकारी भी फिजियोथेरेपिस्ट के द्वारा दी जाती है. इसके अलावा जिन मरीजों की ओपेन हार्ट सर्जरी हुई है, उनके लिए भी फिजियोथेरेपी कारगर है. इसमें मरीज को छाती की फिजियोथेरेपी करायी जाती है. इसमें मरीज को वेंटिलेटर से निकालने के बाद फेफड़ों का एक्सरसाइज करने, बैठने, उठने व चलने का तरीका बताया जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
मोबाइल व कंप्यूटर का ज्यादा उपयोग करने से लोगों में गर्दन की समस्या बढ़ गयी है. यह गंभीर रूप लेते जा रहा है. हमारे पास 18 से 20 साल वाले युवा भी गर्दन की समस्या लेकर आ रहे हैं. घंटों स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने से यह समस्या उत्पन्न हो रही है. महीनों एक्सरसाइज के बाद ही इस तरह की समस्या से राहत मिल पाती है. फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल अब आइसीयू, न्यूरो, निमोनिया व ओपेन हार्ट सर्जरी के मरीजों के लिए भी किया जा रहा है. इन बीमारियों में फिजियोथेरेपी का बहुत फायदा होता है.
डॉ अजीत कुमार, वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट ( पेन एंड फिजियोथेरेपी क्लिनिक)