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क्षमा शर्मा

वरिष्ठ टिप्पणीकार

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महिलाओं की तरह पुरुषों के लिए भी एक आयोग बने

Section 498A : पत्नी ने अतुल सुभाष पर दहेज की धारा 498 ए के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया था. उनके परिवार वालों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज करायी गयी थी. सुभाष का कहना था कि जिस बच्चे के लिए वह 40 हजार रुपये महीने दे रहे हैं, उसकी शक्ल तक उन्हें याद नहीं है. पत्नी बच्चे से कभी मिलने नहीं देती.

Child marriage : बाल विवाह मुक्त भारत बनाने की तैयारी, पढ़ें क्षमा शर्मा का...

Child Marriage In India : लड़कियों के प्रति माता-पिता और समाज की उपेक्षा और लड़कियों को बोझ माने जाने के कारण जैसे-तैसे उसे निपटाना बाल विवाह का बड़ा कारण है. एक सर्वे के अनुसार पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में 40 प्रतिशत लड़कियों का विवाह अट्ठारह वर्ष से पहले हो जाता है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का आकर्षण और मधुर यादें

Shri Krishna Janmashtami: कृष्ण का जीवन विपत्तियों से भरा हुआ भी है, जहां अपने ही सगे मामा के डर से उन्हें जन्म लेते ही माता-पिता से अलग होना पड़ता है. जन्म भी कहां हुआ- कारागार में. फिर महाभारत का युद्ध.

महिला नेताओं के प्रति निंदनीय मर्दवादी नजरिया

औरतों ने लंबी लड़ाई के बाद इस छवि को तोड़ा है कि उनकी प्रतिभा मात्र चौके-चूल्हे तक ही सीमित रह सकती है. लेकिन स्त्री की आजादी का दम भरने वाले लोग जैसे ही किसी स्त्री को शासक की हैसियत में देखते हैं.

होली मनाएं सबके साथ

मिल कर उत्सव मनाना हमें बहुत सी चिंताओं से मुक्त करता है. आनंद की भावना जगाता है. जो लोग बहुत दिनों से नहीं मिले, उनसे भी मिलने को प्रेरित करता है.

अकेली कामकाजी स्त्रियों के लिए सुरक्षा बड़ा मुद्दा

कायदे से तो जब सरकारों ने यह लक्ष्य तय कर रखा है कि उन्हें हर लड़की को न केवल शिक्षित करना है, बल्कि अपने पैरों पर भी उसे खड़ा करना है.

अपने बुजुर्गों की भी चिंता करे सरकार

स्विट्जरलैंड के बुजुर्गों को देखकर मन में बड़ी खुशी होती है कि उम्र के किसी भी मोड़ पर समाज और सरकारें उन्हें अकेला नहीं छोड़तीं. क्या हम भी ऐसा कर सकते हैं. जब हम बुजुर्गों को देवता स्वरूप कहते हैं, तो कम से कम उनके मनुष्य होने के बुनियादी अधिकारों को तो बचाएं.

सबसे अलग नाम रखने का जुनून

सबसे अलग होने के तर्क में दरअसल श्रेष्ठ होने और दिखने की भावना भी छिपी होती है. समय के साथ यह भावना बढ़ती ही जाती है. इस सबसे अलग दिखने की चाह में ऐसे नाम भी रख लिये जाते हैं, जिनका अर्थ किसी को मालूम नहीं होता या बार-बार अर्थ पूछना पड़ता है.

नये साल में नये संकल्प

लक्ष्यों को आप आराम से प्राप्त कर सकें, इसके लिए यह जरूरी होगा कि हम अपने जीवन से नकारात्मकता की विदाई कर दें. हम जीवन के उन पक्षों के बारे में सोचें, जो हमें खुशी देते हैं, जो हमारी उमंगों को बढ़ाते हैं. हम अहंकार से बचें.
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