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एक्ट में संशोधन के खिलाफ आदिवासी संगठनों का राजभवन मार्च

रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ विभिन्न आदिवासी संगठनों ने शनिवार को राजभवन मार्च किया. राजभवन मार्च में रांची, खूंटी, गुमला, संताल परगना सहित राज्य के अन्य क्षेत्रों से आये लोग शामिल हुए थे. लोगों ने एक्ट में संशोधन को वापस लेने की मांग की. मार्च में शामिल लोग तीर-धनुष, हंसुआ, कुल्हाड़ी, लाठी […]

रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ विभिन्न आदिवासी संगठनों ने शनिवार को राजभवन मार्च किया. राजभवन मार्च में रांची, खूंटी, गुमला, संताल परगना सहित राज्य के अन्य क्षेत्रों से आये लोग शामिल हुए थे. लोगों ने एक्ट में संशोधन को वापस लेने की मांग की. मार्च में शामिल लोग तीर-धनुष, हंसुआ, कुल्हाड़ी, लाठी आदि पारंपरिक हथियारों से लैस थे. लोगों ने राज्यपाल के नाम मांगों से संबंधित ज्ञापन भी सौंपा.
ज्ञापन में कहा गया है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट की धाराअों में संशोधन करके सरकार झारखंड की 23 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि की प्रकृति बदल कर गैर कृषि योग्य भूमि करना चाहती है. ऐसा करने से भूमि सीएनटी-एसपीटी एक्ट के दायरे से बाहर हो जायेगी अौर भूमि का हस्तांतरण उद्योगपतियों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, पूंजीपतियों को करने में आसानी होगी. ज्ञापन में जमाबंदी व लैंड बैंक कानून का भी विरोध किया गया है. इसमें कहा गया है कि गांव के आसपास की गैरमजरूआ जमीन को सरकार लैंड बैंक के रूप में अधिसूचित कर रही है. ये जमीन गांव व्यवस्था की पारंपरिक अौर सार्वजनिक संपत्ति है.

इसका उपयोग गांव के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी करते हैं. सरकार द्वारा घोषित स्थानीय नीति का भी विरोध किया गया है. इसके अलावा जनजातीय सलाहकार परिषद की लचर भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लगाया गया है.

सरकार चेते, नहीं तो उग्र आंदोलन
मौके पर आदिवासी संघर्ष मोरचा के मुख्य संयोजक डॉ करमा उरांव ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन कर सरकार पूंजीपतियों को भूमि देना चाहती है. झारखंड की जनता इसे कभी नहीं स्वीकार करेगी. सरकार चेते, नहीं तो उग्र आंदोलन होगा. मांझी परगना महाल के राष्ट्रीय संयोजक रामचंद्र मुर्मू ने कहा कि यह सरकार की बड़ी साजिश है. आदिवासियों के खिलाफ कानून में संशोधन किया अौर वह भी इतने विरोध के बाद. जब तक संशोधन वापस नहीं होगा, हम विरोध करते रहेंगे. प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि सरकार आदिवासियों का हक छीन रही है. यह सब पूंजीपतियों को जमीन देने के लिए अौर यहां की खनिज संपदा को लूटने के लिए है. मौके पर देवकुमार धान, रमेश जेराई, बैजू मुर्मू आदि मौजूद थे.

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