संवाददाता,पटनाराष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष पद को लेकर जब शरद यादव और लालू प्रसाद में टकराहट हुई, तो शरद इसमें कमजोर पड़ गये. पांच जुलाई 1997 को लालू ने शरद को बेदखल कर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी गठित की और वह इसके पहले अध्यक्ष बने. इस समय जनता दल के रघुवंश प्रसाद सिंह और कांति सिंह समेत लोकसभा के 17 सदस्य तथा राज्यसभा के आठ सदस्य राजद में आ गये. बिहार में लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली पार्टी की ही सरकार थी. राजद को गठित होते ही सत्ताधारी दल का दर्जा मिल गया. राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं. चुनाव आयोग ने लालटेन चुनाव चिह्न आवंटित किया और हरे रंग का झंडा स्वीकृत किया. इस समय समता पार्टी में रहे रघुनाथ झा ने राजद का दामन थाम लिया. 2004 के लोकसभा चुनाव में वर्तमान में लोकसभा में राजद के चार सांसद हैं और राज्यसभा में अब एकमात्र प्रेमचंद गुप्ता सदस्य हैं. झारखंड विधानसभा में राजद के सदस्यों की संख्या 24 है जबकि विधान परिषद में राजद के पांच सदस्य हैं. 2005 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिलने पर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. इसी वर्ष नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में राजद सत्ता से बाहर हो गया. 2004 के लोकसभा चुनाव मंे राजद को सबसे अधिक 21 सीटें मिली थी. लालू प्रसाद के नेतृत्व में राजद के करीब दर्जन भर मंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में शामिल रहे. 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. सिर्फ चार सांसद चुनाव जीत पाये. खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद भी पाटलिपुत्र संसदीय सीट से चुनाव हार गये. उन्हें छपरा की सीट पर जीत मिली.
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शरद से अलग होकर लालू ने बनाया था राजद
संवाददाता,पटनाराष्ट्रीय स्तर पर अध्यक्ष पद को लेकर जब शरद यादव और लालू प्रसाद में टकराहट हुई, तो शरद इसमें कमजोर पड़ गये. पांच जुलाई 1997 को लालू ने शरद को बेदखल कर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी गठित की और वह इसके पहले अध्यक्ष बने. इस समय जनता दल के रघुवंश प्रसाद […]
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