14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कोरोना वायरस लॉकडाउन: ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए खुद को रखे सजग

जिसके बाद देश में जागरूकता और सतर्कता बढ़ गई है और सरकार से लेकर आम आदमी हर कोई सावधानियां बरत रहा है.

नकली कोरोना वायरस टेस्टिंग किट्स. झूठी कीटाणुशोधन सेवाएं. हैंड सैनिटाइज़र, फेस मास्क, टॉयलेट रोल्स, डिजिटल थर्मामीटर और रेस्पिरेटर्स बेचने वाले फर्जी एड. फिशिंग अटैक. ट्विटर अकाउंट हाईजैक.

देश में कोरोना वाइरस के मामलें लगातार बढ़ रहे है (अब तक 14,500 से ज्यादा केस पाए जा चुके है). जिसके बाद देश में जागरूकता और सतर्कता बढ़ गई है और सरकार से लेकर आम आदमी हर कोई सावधानियां बरत रहा है. दरअसल, डॉक्टर्स की ओर से सलाह दी जा रही है कि कोरोना वाइरस से बचने के लिए बार-बार हाथ धोएं, साधारण कपड़े से चेहरा ढकें और सफाई रखें. ऐसे में अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनेटाइज़र, फेस मास्क और डिसइन्फेक्टेंट्स का उपयोग बढ़ गया हैलेकिन देशभर में अधिक डिमांड होने के कारण इसकी सप्लाई में कमी आ गई है और कुछ दुकानदार ऐसी ‘आवश्यक वस्तुओं’ का दाम बढाकर उसे बेच रहे है. जो हैंड सैनिटाइज़र या डिसइन्फेक्टेंट्स पहले कहीं भी मिल जाते थे, वह अब मेडिकल स्टोर्स मे मिलना भी मुश्किल है, जिसकी वजह से इ-कॉमर्स साइट्स पर लोगों की हलचल तेज़ होती जा रही है. ऐसे में ठगों ने भी ऑनलाइन शॉपिंग, इंटरनेट बैंकिंग से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह अड्डा जमा लिया है. इस दौरान छोटी सी चूक से भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. अतः ऐसी किसी भी धोखाधड़ी से बचने के लिए हमे ठगी करने के नए-नए तरीके और उससे जुड़े सभी पेहलूओं की प्रयाप्त समझ होनी चाहिए.

फ़र्ज़ी बिज़नेस के विज्ञाप

मार्केट में अपने प्रोडक्ट को ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुँचाने और उसकी विजिबिलिटी एवं सेल्स बढ़ाने के लिए, नए बिज़नेस कई संसाधनों का प्रयोग करता है, जिसमे डिजिटल मार्केटिंग का विस्तार बहुत तेज़ी से हो रहा है. ऐसे मे कुछ शातिर लअमेज़ॉइ-बे, फ्लिपकार्ट जैसी भरोसेमंद इ-कॉमर्स साइट्स पर फर्जी और भ्रामक ऐडवर्टाइज़मेंट बनाकर हैंड सेनिटाइज़र, मास्क और डिसइंफेक्टेंट्स और जैसी चीज़ें खरीददारों तक पहुंचाने का नाटक कर रहे है. यही नहीं, कोरोना महामारी से भयभीत कई लोग इन एड्स के आवेश में आकर ऐसे मेडिकल प्रोडक्ट्स खरीद रहे है, जबकि देश में लॉकडाउन के बीच इनका उत्पादन ठप हो चूका है और ऑनलाइन रिटेलर्स ने अनिश्चित समय तक अपनी डेलिवेरी सेवाएं बर्खास्त कर दी है. उपभोक्ताओं का यह व्यवहार बेहद सामान्य है क्यूंकि नकली एड में ऐसी चीज़ों पर भारी डिस्काउंट मिलता है और डेलिवेरी चार्ज भी नहीं लिया जाता. ‘अर्जेंट बाइंग हैबिट’ से लाचार, कई भोले-भाले ग्राहक, सस्ती डील की लालच में फंसकर, सैनिटाइज़र और मास्क जैसी चीज़ें इक्कठे खरीद लेते है और बदले में उन्हें कुछ भी नहीं मिलता – जिसमे पैसे वापस मिलना तो बहुत दूर की बात है. इसके अलावा कई रिपोर्ट से पता चला है की ठगी करने वाले सिर्फ थोड़े समय के लिए ही ऐसे एड चलाते है और कुछ लोगों को चुना लगाने के बाद एड डिलीट करके गायब हो जात

क्लोन एप, फिशिंग अटैक

जहाँ केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के मध्यनज़र मास्क और सैनिटाइज़र कआवश्यक वस्तु घोषित कर दिया है, वहीँ ठगी करने वाले इसका फायदा उठाकर ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के एप का क्लोन बनाकर उसे गूगल प्ले स्टोर पर लांच कर रहे हैं. ऐसे में खरीददार गूगल प्ले पर कोरोना-सम्बंधित एप को सर्च करते हैं, तो कई बार क्लोन एप को ही असली एप समझकर डाउनलोड कर लेते हैं और उनके जरिए ही ऑनलाइन खरीदारी करने लगते हैं. क्लोन एप डाउनलोड करवाने के चक्कर में साइबर ठग भी लोगो को कई लुभावने ऑफर देकर आकर्षित करते है, जैसे खरीददारी पे कैश-बैक, फ्री मोबाइल डेटा, इंट्रेस्ट फ्री लोन आदि.

इनस्टॉल करने पर ये एप खरीददारों के फ़ोन कोमालवेयर से संकर्मित कर देता ह, और फिर, एक फर्जी एप्लीकेशन फॉर्म भरवाकर उनकी निजी जानकारी (जैसे की लॉगिन क्रेडेंशियल्स, क्रेडिट कार्ड नंबर/पिन, सीवीवी, एक्सपायरी डेट, और इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड) का पता निकाल लेता है. दरअसल ग्राहकों का विश्वास बनाये रखने के लिए फॉर्म में प्रधान मंत्री का एक फोटो होता है और फाइनेन्शियल जानकारी मिल जाने पर साइबर ठग उसे ‘डार्क वेब’ पे डॉलर के भाव बेच देते है.

नकली वेबसाइट्स पर एंटी-कोरोना प्रोडक्ट्स की बिक्री

फर्जी एड और क्लोन एप के अलावा कुछ साइबर ठग नकली वेबसाइट बनाकर कोरोना वायरस टेस्टिंग किट देने का दावा कर रहे है. गौर तलब है की भारत ने कोरोना संक्रमण की जांच किट विकसित कर ली है, लेकिन हाल फिलहाल इन किट की किल्लत की वजह से ये अब तक मेडिकल स्टोर्स में उपलब्ध नहीं है और इसकी कीमत भी काफी ज़्यादा है (हालाँकि आने वाले समय में एक किट की कीमत 4500 से 1200 होने की उम्मीद है). ऐसे में कई नकली वेबसाइट्स, हर प्रकार का झांसा देकर, लोगों को कोरोना जांच किट बेचने की कोशिश कर रहे है. कुछ वेबसाइट्स इन जांच किट की कमी बताकर, लोगों को जल्द-से-जल्द आर्डर प्लेस करने कोउकसा रहे है, तो दूसरे, यह दवा कर रहे है की उनका किट दुसरो की तुलना में सस्ता होने के अलावा पेशंट्स को 15 मिनट के भीतर रिजल्ट दे देता है और इसको इस्तेमाल करने के लिए किसी ख़ास ट्रेनिंग की भी जरूरत नहीं है.

स्कैम वॉच द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार एंटी-कोरोना प्रोडक्ट्स बेचने वाली नकली वेबसाइट्स, कोरोना संक्रमण के समान, तेजी से फैल रही है. इसके पीछे सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा ड्राइविं फ़ोर् है. न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक साइबर ठगसोशल मीडिया के माध्यम से इन फर्जी वेबसाइट्स को एडवर्टाइज़ कर रहे ह और इसके लिए बड़ी संख्या में ट्विटरअकाउंट हैक कर रहे है. ऐसे में हैक्ड अकाउंट (आपके नाम) से भेजे गए नकली प्रमोशनल एड्स पर भरोसा कर कई फॉलोवर्स इन फ़र्ज़ी वेब्सीटेस से मास्क, लेटेक्स ग्लव्स, डिजिटल थर्मामीटर और डिसइंफेक्टेंट्स खरीद लेते है और ठगी के शिकार बन जाते है. कहा जा रहा ह लॉकडाउन की स्थिति में, यही ठगी फ़ोन और इमेल्स द्वारा (नकली वेबसाइट्स/ऑनलाइन स्टोर का लिंक भेजकर) भी हो सकती है और इसके लिए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन, यूनिसेफ, और भारत सरकार के नाम का दुरउपयोग किया जा सकता है.

ऐसे बचे

किसी भी रिटेलर की एप गूगल स्टोर से डाउनलोड न करे. सीधे उस रिटेलर की ऑफिशल वेबसाइट पे जाएं और उनकी वैध एप को डाउनलोड करने की लिंक को क्लिक करे. जब भी किसी इ-कॉमर्स ऐप को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें तो सबसे पहले उसके पब्लिशर को जरूर देख लें . क्योंकि कई बार आपको फँसाने के चक्कर में कोई भी ऐप बनाकर डाल देता है. जब भी ऐप को इंस्टॉल करें तो उससे पहले उस एप का रिव्यू जरूर चैक कर ले ताकि आपको उस ऐप के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सके.

सोशल मीडिया और ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर पर जारी किये गए विज्ञापनों में अगर किसी प्रोडक्ट पर भारी छूट मिल रही है या फिर उसके फायदे बढ़ा-चढ़ा के बताये जा रहे है, तो इसके लालच में न फंसे. क्यूंकि ज़्यादातर ऐसे विक्रेताओं की वेबसाइट्स पे कॉन्टेक्ट डिटेल्स और टर्म्स एंड कंडीशन की इन्फोर्मेशन नहीं होती और न ही ऐसे उत्पादों पे डिलीवरी, एक्सचेंज, प्राइवेसी और रिटर्न बैक पॉलिसी से जुडी कोई जानकार.

आर्डर करते समय कैश ऑन डिलीवरी का ही ऑप्शन चुने और सिक्योर पेमेंट सर्विस (जैसे पे पाल, क्रेडिट कार्ड ट्रांससेशन) के जरिये ही कोई प्रोडक्ट खरीदें.

ऐसी किसी साइट्स से खरीददारी न करे जो आपको कूपन या डिस्काउंट कोड खोलने के लिए किसी सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करने का लालच दें.

अगर फर्जी विज्ञापनों से आकर्षित होकर आपने नकली सामान खरीद लिया है तो ईकॉमर्स वेबसाइट को तुरंत सूचित करे और उन्हें ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए कहें. संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर इसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उठाये.

हो सके तो इस दौरान ऑनलाइन शॉपिंग न ही करे क्यूंकि अगर डेलिवेरी करने वाला कोरोना संक्रमित है तो उसके द्वारा आप भी इस जानलेवा वायरस के चपेट में आ सकते है.

आर.रोचिन चंद्रा एक अपराध विशेषज्ञ है और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के साथ पुलिसिंग रिसर्च पार्टनरशिप प्रोजेक्ट पे काम कर रहे है. वे सेण्टर फॉर क्रिमिनोलॉजी एंड पब्लिक पॉलिसी, इंडिया के निदेशक भी है.

.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें