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सूचना के अधिकार के दायरे में लाया जाये राजनीतिक दलों को

रांची: नेशनल इलेक्शन वॉच झारखंड चैप्टर एवं एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. रांची के होटल ट्राइडेंट इन में राजनीतिक दलों को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में सूचनाधिकार की भूमिका पर शुक्रवार को संगोष्ठी हुई. मुख्य अतिथि सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा कि […]

रांची: नेशनल इलेक्शन वॉच झारखंड चैप्टर एवं एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) नयी दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया. रांची के होटल ट्राइडेंट इन में राजनीतिक दलों को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में सूचनाधिकार की भूमिका पर शुक्रवार को संगोष्ठी हुई. मुख्य अतिथि सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा कि राजनीतिक दलों को सूचनाधिकार के दायरे में लाना पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का एक प्रयास होगा.

देश के अंदर हरेक दलों को जवाबदेह बनाने और उनकी आय और काम के बारे में स्पष्टता लाने के लिए उन्हें पारदर्शी बनाने की जरूरत है. एडीआर के राष्ट्रीय समन्वयक अनिल वर्मा ने कहा कि देश से कालाधन खत्म करने की पहल राजनीतिक पार्टियों को भी करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि देश के छह राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टियों के पास 75 प्रतिशत फंड अज्ञात स्रोत से जुटाये गये हैं.

जरूरी हो, तो कानून में संशोधन करें: बैजनाथ
पूर्व सूचना आयुक्त बैजनाथ मिश्र ने कहा कि राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार के दायरे में लाने के लिए अगर आवश्यकता पड़े, तो सूचना अधिकार कानून में संशोधन किया जाना चाहिए. इस दौरान यह ध्यान में रखना चाहिए कि इस संशोधन की आड़ में कहीं सूचनाधिकार कानून के महत्वपूर्ण व कड़े प्रावधानों को हल्का न कर दिया जाये. राजनीतिक दलों को जवाबदेह बनाना जरूरी है़.
पार्टियां फंड नहीं लेंगी तो काला धन खत्म होगा
सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने कहा कि यदि राजनीतिक पार्टियां कॉरपोरेट घरानों से फंड नहीं लेंगी, तो काला धन का 60 प्रतिशत ऐसे ही खत्म हो जायेगा. सीपीआइ के केडी सिंह ने कहा कि कहा कि राजनीतिक पार्टियां प्रजातंत्र के मुखिया हैं. समाज जैसा होगा, वैसे ही गुण-अवगुण इन पार्टियों में भी आयेंगे. ये पार्टियां जहां सरकार बनाने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं, वहीं जनचेतना जगाने का काम भी करती हैं. इसलिए चुनाव आयोग को कोई ऐसा प्रयास करना चाहिए, जिससे पार्टियां जनता के प्रति जवाबदेह बनें.
राजनीतिक दलों को आयकर की जद में लायें
झारखंड फाउंडेशन के निदेशक डॉ विष्णु राजगढ़िया ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों से लोक प्राधिकार की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए. इन पार्टियों को भी आयकर सीमाओं के दायरे में लाया जाना चाहिए. इन्हें प्राप्त होनेवाले फंड को पूरी तरह कैशलेस बनाया जाना चाहिए. संगोष्ठी को कांग्रेस के राजीव रंजन प्रसाद, भाजपा के प्रवीण प्रभाकर, पत्रकार शंभुनाथ चौधरी, सिटिजन फाउंडेशन के गणेश रेड्डी, मंथन के सुधीर पाल ने भी संबोधित किया.
पारदर्शिता बरतें पार्टियां : राजकुमार यादव
माले विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि आज लोकसभा व विधानसभा का चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार को करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसका दूसरा विकल्प भी हमारे सामने है. हमारी पार्टी जनता के चंदे से विधानसभा चुनाव जीतकर आती है. इसलिए यह बात राजनीतिक विचारधारा पर निर्भर करती है कि पार्टियों के अंदर कितनी पारदर्शिता और जवाबदेही बरती जाती है. उन्होंने कहा कि जब तक देश में आर्थिकीकरण का राजनीतिकरण और राजनीतिकरण का आर्थिकीकरण होता रहेगा, दलों को जवाबदेह बनाना मुश्किल है.

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