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योजना आयोग में बदलाव की योजना पर कांग्रेस ने मोदी पर निशाना साधा

नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि योजना आयोग के ‘राजनीतिक दफन’ की सरकार की योजना को ‘कुटिल’ तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. कांग्रेस ने कहा कि योजना आयोग को समाप्त करने का कदम अवांछित, अदूरदर्शिता वाला और खतरनाक है. पार्टी ने सरकार को आयोग की […]

नयी दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि योजना आयोग के ‘राजनीतिक दफन’ की सरकार की योजना को ‘कुटिल’ तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. कांग्रेस ने कहा कि योजना आयोग को समाप्त करने का कदम अवांछित, अदूरदर्शिता वाला और खतरनाक है. पार्टी ने सरकार को आयोग की कार्यप्रणाली को कमजोर नहीं करने की चेतावनी भी दी.

सहयोगपूर्ण संघीय व्यवस्था को मजबूत करने पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि योजना आयोग की जगह गठित किये जाने वाले नये निकाय में राज्यों की निश्चित रुप से बडी भूमिका होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नीति नियोजन की प्रक्रिया बदलने और इसे ‘उपर से नीचे की बजाए’, ‘नीचे से उपर’ की प्रक्रिया’ बनाने की जरुरत है.

मोदी ने योजना आयोग की जगह प्रस्तावित नये निकाय के स्वरुप पर विचार करने के लिये मुख्यमंत्रियोंकी बैठक में जोर देकर कहा कि राज्यों के विकास के बगैर देश का विकास असंभव है.बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और करीब-करीब सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए. बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला शामिल नहीं हुए.

एआईसीसी के संचार विभाग के अध्यक्ष अजय माकन ने एक बयान में कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी योजना आयोग को कुटिल तरीके से समाप्त करने के भाजपा सरकार के प्रयासों का विरोध करती है और निंदा करती है जिसमें विशुद्ध धोखा और दोहरे मानदंड हैं.’’ उन्होंने कहा कि इसका केंद्र और राज्यों के संबंधों पर दीर्घकालिक असर पडेगा.

माकन ने कहा, ‘‘नाम बदलने या पुनर्गठन का कोई भी कदम राष्ट्रीय हित में अवांछनीय है और इसका विरोध होना चाहिए। कांग्रेस सरकार को आगाह करती है कि सुधारों के नाम पर आयोग की कार्यप्रणाली को कमजोर नहीं किया जाए.’’ वरिष्ठ पार्टी नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस कदम से देश के संघीय ढांचे की अनदेखी की गयी है. उन्होंने कहा, ‘‘योजना आयोग में खामियां हो सकती हैं लेकिन इसमें अंतर्निहित लचीलापन हो सकता है. योजना आयोग को नये सिरे से देखने की जरुरत है लेकिन उसका नाम बदलने या उसे राजनीतिक तौर पर दफन करने की जरुरत नहीं है.’’

योजना आयोग के पुनर्गठन के सरकार के फैसले का बचाव करने पर वित्त मंत्री अरण जेटली को आडे हाथ लेते हुए भी शर्मा ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ‘‘हैरानी की बात है कि राज्यों या मुख्यमंत्रियों से परामर्श नहीं करने के प्रधानमंत्री के अलोकतांत्रिक और मनमाने तरीके के लिए माफी मांगने के बजाय वित्त मंत्री दावा कर रहे हैं कि कुछ महान होने जा रहा है.’’ शर्मा ने कहा, ‘‘यह सकारात्मक संघवाद नहीं बल्कि संविधान की संघीय भावना को आहत करना है. इससे साबित होता है कि प्रधानमंत्री में न केवल दूरदर्शिता की कमी है बल्कि वह चीजों की फिर से पैकेजिंग और नाम बदलने में माहिर हैं.’’

Prabhat Khabar Digital Desk
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