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बिहार में बाढ़ से 15,000 करोड़ रुपये का नुकसान, अब तक 61 लोगों की मौत

पटना : बिहार में बाढ़ से करीब 15 हजार करोड़ की क्षति का प्रारंभिक अनुमान है. आपदा प्रबंधन विभाग नुकसान के आकलन में जुटा है. आकलन पूरा होने के बाद केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा जायेगा. इसके बाद केंद्रीय टीम क्षति का जायजा लेने बिहार आयेगी. केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर बिहार को बाढ़ से […]

पटना : बिहार में बाढ़ से करीब 15 हजार करोड़ की क्षति का प्रारंभिक अनुमान है. आपदा प्रबंधन विभाग नुकसान के आकलन में जुटा है. आकलन पूरा होने के बाद केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा जायेगा. इसके बाद केंद्रीय टीम क्षति का जायजा लेने बिहार आयेगी. केंद्रीय टीम की रिपोर्ट पर बिहार को बाढ़ से हुई क्षति की भरपाई के लिए केंद्रीय सहायता मिल पायेगी. आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो चंद्रशेखर ने कहा कि इस बार कुसहा त्रासदी से भी अधिक क्षति हुई है और अधिक लोग पीड़ित हुए हैं.

उन्होंने कहा कि कुसहा में 1414886 करोड़ की क्षति हुई थी. इस बार 15 हजार करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान है. अापदा प्रबंधन विभाग के प्रारंभिक आकलन के मुताबिक व्यापक पैमाने पर घरों की तबाही, 234 एकड़ जमीन में लगी फसल की बरबादी, 25 जिलों में बाढ़ के कारण सड़क, पुल -पुलिया, राजकीय उच्च पथ समेत और सरकारी भवनों की व्यापक क्षति हुई है. राज्य सरकार ने इस बाबत सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिया है कि वे पांच सितंबर तक बाढ़ से क्षति का ब्योरा मुख्यालय को उपलब्ध कराएं.
आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार करीब 12 जिलों में अब भी व्यापक पैमाने पर जलजमाव है. इन जिलों में जिला प्रशासन का ध्यान अभी राहत और बचाव कार्य पर है. इसलिए ऐसे जिलों से नुकसान का ब्योरा मिलने में देरी हो सकती है. सभी जिलाें से क्षति का ब्योरा मिलने के बाद ही केंद्र से ज्ञापन सौंपने के लिए समय मांगा जायेगा. विभाग को अब तक 234 करोड़ की क्षति का ब्योरा मिल चुका है.
केंद्र को ज्ञापन के लिए तैयार ब्योरे में 25 जिलों के 134 प्रखंडाें के 3405 गांवों में बाढ़ से व्यापक क्षति, एक जून, 2016 से अब तक की बाढ़ में लगभग 60 लाख लोगों की तबाही की जानकारी दी जायेगी. फसलों की क्षति, सभी श्रेणियों के लगभग 20 हजार घरों के ध्वस्त होने, 8.70 करोड़ की सरकारी संपत्ति की क्षति के ब्योरा समेत बाढ़ से हुई अन्य क्षति की जानकारी मिली है. विभागीय अधिकारी ने बताया कि सभी जिलों से क्षति का ब्योरा मिलने के साथ ही ज्ञापन सौंपने की तैयारी की जायेगी.
प्राकृतिक आपदा में राज्य सरकार की मांग व केंद्र की मदद (‍रुपया करोड़)
वर्ष आपदा मांग मिली मदद
2007 बाढ़ 17059 शून्य
2008 बाढ़ 14886 1010
2009 सुखाड़ 14000 269
2010 सुखाड़ 6573 1459
2013 सुखाड़ 12564 शून्य
2015 आेलावृष्टि 2040 शून्य
2015 तूफान 434 शून्य
इस साल दो बार आयी बाढ़ से क्षति
मरनेवाले लोगों की संख्या : 120
जिला प्रभावित : 25, तत्काल : 12
गांवों की संख्या : 3504
फसल की क्षति : 222.09 करोड़ रुपये
घरों की क्षति : चार करोड़ रुपये
सरकारी संपत्ति : 8.70 करोड़ रुपये
आबादी प्रभावित: 60 लाख
आकलन के लिए केंद्र जल्द भेजे विशेषज्ञों की टीम : मुख्यमंत्री
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बाढ़ की स्थिति का आकलन करने के लिए फिर से विशेषज्ञों का दल भेजने की अपील की है. भागलपुर और कटिहार जिलाें के बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा कर लौटने के बाद सोमवार की शाम पटना एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री ने कहा, जिस प्रकार कोसी त्रासदी के दौरान बाढ़ के प्रभाव का आकलन किया गया था, उसी प्रकार का आकलन किया जाये.
नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है. पूर्णिया, किशनगंज व अररिया में मैंने समीक्षा की है. पहले दौर की बाढ़ में 350 करोड़ रुपये से ज्यादा के नुकसान का आकलन किया गया है. दूसरे दौर के बाढ़ से प्रभावित 12 जिलों में हुए नुकसान का आकलन किया जायेगा. बड़े पैमाने पर राशि की जरूरत होगी. इसके लिए केंद्र सरकार को मेमोरेंडम भी भेजा जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत का काम ठीक ढंग से चल रहा है. राहत का काम सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. पानी घटने के बाद दवा और ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव करने का निर्देश दिया गया है. इसमें स्थानीय लोगों, पंचायतों की भी मदद ली जायेगी, ताकि काम को ससयम पूरा किया जा सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने भागलपुर व कटिहार के बाढ़ राहत शिविरों का निरीक्षण किया. कटिहार के कुरसेला, बरारी, अमदाबाद के बाढ़ग्रस्त इलाकों व राहत शिविरों को देखा. जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, लेकिन अभी पानी निकलने में समय लगेगा. कटिहार ने इस साल दो बार बाढ़ की त्रासदी देखी है. पहले दौर में नेपाल में भारी बारिश होने से महानंदा और अन्य नदियों में उफान आया था. पूरे पूर्णिया प्रमंडल में काफी नुकसान हुआ था. एक चौथाई से ज्यादा लोग पीड़ित हुए थे. कटिहार के लोग फिर दूसरी बार गंगा नदी के उफान के कारण आयी बाढ़ से पीड़ित हैं. हमने पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया है. बाढ़ राहत शिविरों में लोगों से बातचीत की है. राहत कार्य को देखा है.
राहत काम संतोषजनक है. पानी कम होने पर फसल क्षति, गृह क्षति और अन्य क्षति का आकलन किया जायेगा. सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़पीड़ितों के लिए लंगर की व्यवस्था की गयी है. पशुओं के लिए चारा का भी प्रबंध है. पशुओं की चिकित्सा के लिए पशु चिकित्सक लगाये गये हैं. शिविरों में बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की गयी है. राहत शिविर में रह रहे लोगों के भोजन करने के लिए थाली, गिलास, कटोरा आदि का इंतजाम किया गया है. बच्चों के लिए दूध का भी इंतजाम है. लोगों को मदद पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है.
कटिहार. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कटिहार के कुरसेला, बरारी व मनिहारी प्रखंडों के बाढ़ग्रस्त इलाके का दौरा किया. उन्होंने बाढ़पीड़ितों से मुलाकात की और राहत शिविरों का भी जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पीड़ित परिवारों के साथ है. जब तक बाढ़पीड़ित राहत शिविर में रहेंगे, तब तक उन्हें भोजन सहित हर तरह की सुविधा दी जायेगी.
जो लोग शिविर में नहीं आये हैं, उन्हें घर तक सुविधा पहुंचायी जायेगी. उन्होंने कहा कि सूबे के जिन-जिन जिलों में बाढ़ नहीं है, उन जिलों के अधिकारियों को बाढ़ग्रस्त जिलों में भेजा जायेगा.
वे राहत कैंप में रह कर बेहतर व्यवस्था करेंगे. इतने कम पदाधिकारियों से काम नहीं चलनेवाला है. बाढ़पीड़ितों की संख्या काफी हैं. हरेक राहत शिविर में जिला स्तर के प्रभारी पदाधिकारी को प्रतिनियुक्त किया जा रहा है. उन्हीं के कंधों पर राहत कैंप चलाने का दायित्व होगा. इसमें लापरवाही बरतनेवाले अधिकारी पर कार्रवाई होगी. खाना बनाना, खाना खिलाना आदि के लिए अधिकारी वहां रह रही महिलाओं से पूछ लें. क्या वे यहां रहते हुए काम करेंगी. यदि काम करेंगी, तो उन्हीं से काम लें. उन्हें प्रतिदिन 200 रुपये मजदूरी भी दी जायेगी. इससे बाढ़पीड़ितों को आमदनी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि राहत शिविरों में आंगनबाड़ी सेविका, शिक्षका बच्चों को पढ़ाएं. उनकी हर तरह की मदद करें.
सीएम ने कहा कि बाढ़पीड़ितों को पैसा, अनाज दोनों मिलेगा. इसके तहत छह हजार रुपये दिये जायेंगे. जिनका घर बाढ़ में गिर गया है, उन्हें घर बनाने के लिए राशि दी जायेगी. फसल नष्ट होने पर भी क्षतिपूर्ति दी जायेगी. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में केले की फसल को व्यापक नुकसान हुआ है. केला उत्पादकों को मुआवजा मिलेगा. किसी को घबराने की जरूरत नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 में जो बाढ़ आयी थी, उससे ज्यादा इस वर्ष आयी है. गंगा नदी के किनारे जितने जिले है, सब जगह बाढ़ है. दियारा क्षेत्र पूरी तरह से डूब गया है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बख्तियारपुर में गंगा किनारे मेरा बचपन बीता है. स्कूल में पढ़ने के दौरान सीढ़ी घाट पर स्नान करने जाता था. पूरे जीवन में गंगा में इतना पानी न सुना था और न देखा था. इस वर्ष गंगा ने पिछले सारे रिकाॅर्ड को तोड दिया है. फरक्का बराज से तेजी से पानी नहीं निकलने के कारण पूरे बिहार में बाढ़ ने विकराल रूप लिया है. उन्होंने कहा कि 32 लाख क्यूसेक पानी का बहाव था, जबकि 27 लाख क्यूसेक पानी ही फरक्का बराज से निकलने का प्रावधान है. धीरे-धीरे पानी निकलेगा. पानी निकलने में काफी वक्त लगेगा. घबराना नहीं है. जब तक लोग राहत शिविर में रहेंगे, सभी राहत कैंप में लंगर चलता रहेगा. दो वक्त भोजन एवं एक वक्त नाश्ता बाढ़पीड़ितों को दिया जायेगा.
सभी नदियों का जल स्तर आ रहा नीचे : पटना. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार राज्य की सभी नदियों का जल स्तर कम होता जा रहा है. मंगलवार को गंगा, सोन, कोसी, पुनपुन, बूढ़ी गंडक और घाघरा का जल स्तर और नीचे आयेगा. गंगा पटना के दीघाघाट में मंगलवार की सुबह तक खतरे के निशान से मात्र 42 सेंटीमीटर ऊपर रह जायेगी. सोमवार को यह खतरे के निशान से 77 सेमी थी, मंगलवार की संबह आठ बजे तक इसमें 35 सेमी कमी आने की संभावना है. इसी प्रकार गंगा के जल स्तर में मंगलवार को मुंगेर में 13 सेमी, साहेबगंज में पांच और फरक्का में 13 सेमी की कमी आयेगी. बूढ़ी गंडक खगड़िया में सोमवार को खतरे के निशान से 196 सेमी ऊपर थी. मंगलवार की सुबह इसमें 14 सेमी की कमी आने की संभावना है. कोसी का जल स्तर सोमवार को कुरसेला में खतरे के निशान से 141 सेमी ऊपर था. इसमें मंगलवार की सुबह तक आठ से 13 सेमी तक कमी आने की संभावना है.
कटिहार-बरौनी रेलखंड पर परिचालन शुरू, पर गति धीमी
पटना. बाढ़ के पानी का दबाव वाब अधिक होने के कारण रविवार कटिहार-बरौनी रेलखंड पर नवगछिया स्टेशन के पास क्षतिग्रस्त ट्रैक को दुरुस्त कर लिया गया है. अप लाइन को रविवार की रात करीब नौ बजे ही ठीक कर लिया गया था. डाउन लाइन को सोमवार की अहले सुबह तक दुरुस्त किया गया. इसके बाद सोमवार की सुबह से अप व डाउन लाइन की ट्रेनों का परिचालन कॉशन पर शुरू किया गया. हालांकि, दोपहर ढाई बजे भी अप व डाउन लाइन में गड़बड़ी आ गयी, जिसे दो घंटे में दुरुस्त कर शाम पांच बजे से परिचालन सामान्य किया गया.
ट्रेनों की स्पीड किया गया कम
पूर्व मध्य रेल ने रेलखंड को दुरुस्त कर लिया है, लेकिन कॉशन लगाया हुआ है. इससे ट्रेनों की रफ्तार 10 किमी प्रति घंटा तक सीमित की गयी है. इससे पाटलिपुत्र जंकशन होते हुए दिल्ली को जानेवाली डिब्रूगढ़-नयी दिल्ली राजधानी और नॉर्थ-इस्ट एक्स घंटा-दो घंटे विलंब से चल रही हैं. पूमरे के मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी अरविंद कुमार रजक ने बताया कि नवगछिया के समीप रेलखंड बाधित हुआ था, वह दुरुस्त कर लिया गया है.

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