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जानें कौन हैं अनवर-उल-हक, जिसे पाकिस्तान का बनाया गया कार्यवाहक प्रधानमंत्री

अनवर-उल-हक काकर बलूचिस्तान के विधायक हैं. उन्हें 2018 में सीनेटर के लिए चुना गया था. उन्होंने प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता के रूप में भी काम किया है. उनकी शिक्षा के बारे में बात करें, तो उन्होंने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की है. साथ ही समाजशास्त्र में उन्होंने मास्टर डिग्री ली है.

सीनेट सदस्य अनवर-उल-हक काकड़ को पाकिस्तान में आगामी आम चुनाव होने तक, शनिवार को देश का कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के मुताबिक, निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और भंग की जा चुकी नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता राजा रियाज अहमद के बीच विचार-विमर्श के अंतिम दिन काकड़ के नाम पर सहमति बनी. बयान में कहा गया है, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता ने संयुक्त रूप से (काकड़ को नियुक्त करने की) सलाह पर हस्ताक्षर किये और उसे राष्ट्रपति को भेज दिया. बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए रियाज ने कहा, हमने तय किया कि अंतरिम प्रधानमंत्री एक छोटे प्रांत से होगा. काकड़ जल्द ही पद की शपथ लेंगे और अंतरिम अवधि के दौरान देश में शासन की कमान संभालने के लिए अपना मंत्रिमंडल चुनेंगे.

कौन हैं अनवर-उल-हक

अनवर-उल-हक काकड़ (52 वर्षीय) बलूचिस्तान प्रांत के एक पश्तून हैं और बलूचिस्तान अवामी पार्टी (बीएपी) के सदस्य हैं. यह पार्टी देश के शक्तिशाली प्रतिष्ठान (सेना) के करीब मानी जाती है. काकड़ 2018 में सीनेट (पाकिस्तानी संसद के उच्च सदन) के लिए चुने गये थे और वह एक बहुत सक्रिय राजनेता रहे हैं. वह उच्च सदन में आने से पहले बलूचिस्तान प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता भी रह चुके हैं. काकड़ ने राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है और वह बलूचिस्तान विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने के बाद अनवर-उल-हक की पहली प्रतिक्रिया

अपनी पहली प्रतिक्रिया में, काकड़ ने ट्वीट किया, अल्लाह का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र की सेवा करने का मुझे अवसर दिया. इंशाअल्ला अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा, जो पाकिस्तान के हित में होगा.

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विपक्ष के नेता रियाज ने अनवर की नियुक्ति पर क्या कहा ?

मीडिया से बात करते हुए विपक्ष के नेता रियाज ने कहा, हमने फैसला किया कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री एक छोटे प्रांत से होंगे. उन्होंने कहा, काकड़ के नाम का सुझाव उन्होंने ही दिया, जिसे मंजूर कर लिया गया. राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने संविधान के अनुच्छेद 224(1ए) के तहत कार्यवाहक प्रधानमंत्री के तौर पर काकड़ की नियुक्ति की मंजूरी दी. शहबाज ने परामर्श प्रक्रिया के दौरान सहयोग और पिछले 16 महीने के दौरान विपक्ष के शानदार नेतृत्व को लेकर रियाज का शुक्रिया अदा किया.

पाकिस्तान में 90 दिनों के अंदर होगा आम चुनाव

देश में आम चुनाव 90 दिनों के भीतर होने की उम्मीद है, लेकिन अगर निर्वाचन आयोग नई जनगणना के आधार पर परिसीमन करता है, तो इसमें अधिक समय लग सकता है.

10 अगस्त को पाकिस्तान में भंग हुआ था नेशनल असेंबली भंग

गौरतलब है कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को इसकी निर्धारित अवधि से तीन दिन पहले ही औपचारिक रूप से भंग कर दिया था. जिसके बाद इस साल के अंत में आम चुनाव होने तक देश चलाने के लिए कार्यवाहक प्रधानमंत्री की तलाश हो रही थी. राष्ट्रपति अल्वी ने निवर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सिफारिश पर बुधवार को नेशनल असेंबली को भंग कर दिया, जिससे मौजूदा सरकार का कार्यकाल निर्धारित अवधि से तीन दिन पहले ही समाप्त हो गया.

अनुच्छेद 58 के तहत नेशनल असेंबली किया गया भंग

राष्ट्रपति कार्यालय ‘प्रेसिडेंशियल पैलेस’ द्वारा जारी नेशनल असेंबली को भंग करने संबंधी अधिसूचना में कहा गया है कि नेशनल असेंबली को संविधान के अनुच्छेद 58 के तहत भंग कर दिया गया है. अनुच्छेद 58 के अनुसार, अगर राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सिफारिश के 48 घंटे के भीतर असेंबली को भंग करने में विफल रहते हैं, तो असेंबली स्वतः ही भंग हो जाती है.

कार्यवाहक प्रधानमंत्री के लिए तीन नाम प्रस्तावित किए गए थे

स्थानीय मीडिया के अनुसार, तीन नाम प्रस्तावित किए गए थे जिनमें पूर्व राजनयिक जलील अब्बास जिलानी और पाकिस्तान के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तसद्दुक हुसैन जिलानी, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) शामिल थे. इसके अलावा, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट-पाकिस्तान (एमक्यूएम-पी) द्वारा सिंध के गवर्नर कामरान टेसोरी के नाम का प्रस्ताव रखा गया था.

नेशनल असेंबली भंग होने के तीन दिन के अंदर कार्यवाह पीएम का नाम तय नहीं होता तो फिर क्या होता

अगर तीन दिनों के अंदर किसी नाम पर सहमत नहीं हो पाता, तो मामला नेशनल असेंबली के अध्यक्ष द्वारा गठित एक समिति को भेजा जाता, जिसे तीन दिन के भीतर अंतरिम प्रधानमंत्री का नाम तय करना होता. अगर समिति निर्धारित अवधि के भीतर निर्णय लेने में असमर्थ रहती तो प्रस्तावित नाम पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) को भेज दिए जाते. इसके बाद आयोग के पास विपक्ष और सरकार द्वारा प्रस्तावित नामों पर विचार करता.

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के जेल जाने के बाद नेशनल असेंबली भंग किया गया

नेशनल असेंबली को भंग करने का कदम ऐसे वक्त उठाया गया, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान भ्रष्टाचार मामले में मिली सजा को पलटने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. इमरान (70) को 2018 से 2022 तक प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अवैध रूप से सरकारी उपहार बेचने के लिए तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में शनिवार को इस्लामाबाद की निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी. बाद में उन्हें पंजाब पुलिस ने उनके लाहौर स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया था. इमरान वर्तमान में अटक जेल में बंद हैं. उन्होंने मंगलवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अपने वकीलों के माध्यम से एक याचिका दायर कर मामले में अपनी दोषसिद्धि और तीन साल की जेल की सजा को चुनौती दी.

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