US Russia New Start Treaty: अमेरिका और रूस के बीच जो आखिरी न्यूक्लियर समझौता बचा है, वह कुछ ही महीनों में खत्म होने वाला है. इससे पहले कि कोई समाधान निकले, दोनों देशों के राष्ट्रपति हफ्तों से एक-दूसरे पर बयानबाजी और परमाणु परीक्षण की धमकें दे रहे हैं. माहौल फिर उसी पुरानी ठंड युद्ध वाली फील दे रहा है जहां हथियार कम नहीं, बढ़ाने की दौड़ हो रही है.
पुतिन का दावा और ट्रंप का टेस्ट आदेश
अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि उन्होंने Poseidon नाम की न्यूक्लियर-पावर्ड मिसाइल का टेस्ट किया है. उनके इस बयान के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी घोषणा की कि उन्होंने तीन दशक बाद पहला अमेरिकी परमाणु परीक्षण कराने का आदेश दिया है. यानी दोनों देशों ने साफ कर दिया है कि चाहें तो वे टेस्टिंग फेज में वापस लौट सकते हैं.
US Russia New Start Treaty: क्या है न्यू स्टार्ट और क्यों जरूरी है?
पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस संधि को पांच साल बढ़ाया था और यह 4 फरवरी को समाप्त होने वाली है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक यह संधि तय करती है कि अमेरिका और रूस दोनों अधिकतम 1,550 तैनात लंबी दूरी के न्यूक्लियर वारहेड रख सकते हैं. यह सीमा इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों, पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलों और भारी बमवर्षक विमानों पर लागू होती है. यही एक समझौता वर्षों से न्यूक्लियर हथियारों पर लगाम लगाए हुए है.
ट्रंप के दौर में क्या चल रहा था?
सीएनएन ने सूत्रों के हवाले से बताया कि ट्रंप की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने अगस्त में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात से पहले न्यूक्लियर विशेषज्ञों के साथ एक खास बैठक की थी. इस बैठक में तीन बातें खासतौर पर चर्चा में रहीं. बातें थीं मौजूदा न्यूक्लियर कैप को बढ़ाने के फायदे, क्या अमेरिका को अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ानी चाहिए और अमेरिका की न्यूक्लियर ट्रायड की स्थिति. जब पुतिन ने इस आखिरी बची संधि को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा, तो ट्रंप ने जवाब दिया कि उन्होंने इसे एक अच्छा विचार बताया, लेकिन आगे बढ़ने की ठोस पहल नहीं की.
अमेरिका का ताजा रुख
पिछले बुधवार अमेरिकी विदेश मंत्री मारको रुबियो ने कहा कि रूस के साथ “संभावित” बातचीत को लेकर चर्चा चल रही है. यह भी साफ किया गया कि अभी कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है. सीएनएन की रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि अगर संधि खत्म हो जाती है तो तुरंत कोई खतरा नहीं होगा. लेकिन पहली बार ऐसा होगा कि अमेरिका और रूस बिना रोक-टोक के लंबी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइलें तैनात कर सकेंगे.
कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर न्यूक्लियर पीस की उपाध्यक्ष कोरी हिंडरस्टीन के मुताबिक 1991 के बाद पहली बार अमेरिक और रूस के बीच रणनीतिक हथियारों पर कोई साझा रोक नहीं होगी. इस रोक के साथ एक-दूसरे पर निगरानी, जांच और भरोसे का सिस्टम भी जुड़ा हुआ था. इसके खत्म होने से गलतफहमी, गलत अनुमान और बातचीत की कमी से बड़ा संकट पैदा हो सकता है.”
फैसला ट्रंप के हाथ में
एक व्हाइट हाउस अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति खुद तय करेंगे कि न्यूक्लियर आर्म्स कंट्रोल पर आगे क्या करना है. उन्होंने कई बार कहा है कि वे न्यूक्लियर हथियारों के खतरे को समझते हैं और चाहते हैं कि हथियारों की सीमा बनी रहे. साथ ही वे चीन को भी बातचीत का हिस्सा बनाना चाहते हैं.
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