SCO Summit Video: एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भव्य स्वागत किया. पीएम मोदी के स्वागत में जिनपिंग की पत्नी भी मौजूद थीं. पीएम के साथ जिनपिंग दंपत्ति ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया.
एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इन नेताओं से की मुलाकात
तिआनजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के कई नेताओं से मुलाकात की. पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. अपने ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा- “तिआनजिन में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली से मिलकर बहुत खुशी हुई. नेपाल के साथ भारत के संबंध बहुत गहरे और विशेष हैं.” एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा- ” मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू से बातचीत की. मालदीव के साथ भारत का विकासात्मक सहयोग हमारे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है.” मिस्र के पीएम से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट किया और लिखा, “एससीओ शिखर सम्मेलन में मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबौली से मुलाकात की. कुछ साल पहले की अपनी मिस्र यात्रा को याद किया. भारत-मिस्र मित्रता प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रही है.” पीएम मोदी ने बेलारूस के राष्ट्रपति से भी मुलाकात की. उन्होंने ट्वीट में लिखा, “बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको से मिलकर खुशी हुई। जहाँ तक हमारे देशों का संबंध है, हम दोनों भविष्य में मिलने वाले लाभकारी अवसरों को लेकर बहुत आशावादी हैं.” ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने लिखा, “ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति श्री इमोमाली रहमान से बातचीत करके हमेशा खुशी होती है. भारत के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध बढ़ रहे हैं, और यह एक अद्भुत संकेत है.” पीएम मोदी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा- “कजाकिस्तान के राष्ट्रपति तोकायेव के साथ विचारों का सार्थक आदान-प्रदान हुआ. हमारे देश ऊर्जा, सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और फार्मा सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं.”
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भारत और चीन के बीच ‘दोस्ती’ सही विकल्प है: शी जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रविवार को कहा कि दोनों देशों का मित्र बनना सही विकल्प है और उन्हें सीमा विवाद को अपने संबंधों को परिभाषित नहीं करने देना चाहिए. दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर हुई. शी ने मोदी से कहा कि दोनों एशियाई पड़ोसियों को अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और सीमा मुद्दे को समग्र चीन-भारत संबंधों को परिभाषित नहीं करने देना चाहिए.

