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नेपाल में राजनीतिक संकट, पुष्प कमल दहल की सरकार से राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने समर्थन वापस लिया

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के समर्थन वापस लेने से पिछले साल प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. वे तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे.

नेपाल में एक बार फिर राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने पुष्प कमल दहल के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार से समर्थन वापस ले लिया. राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने समर्थन वापस लेने के साथ ही सरकार से बाहर निकलने का फैसला कर लिया है.

विद्रोही नेता के रूप में रही है दहल की पहचान

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के समर्थन वापस लेने से पिछले साल प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है. वे तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे. पुष्प कमल दहल की पहचान नेपाल में विद्रोही नेता के तौर पर होती है.

स्वतंत्र पार्टी ने भी छोड़ा है सरकार का साथ

गौरतलब है कि इससे पहले नेपाल के राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली सरकार को छोड़ने का फैसला किया था. स्वतंत्र पार्टी ने यह फैसला इसलिए किया था क्योंकि उनके नेता रवि लामिछाने को प्रचंड सरकार में जगह नहीं दी गयी थी. जानकारी के अनुसार उन्हें गृहमंत्री का पद दोबारा नहीं दिया गया था, जिसके बाद पार्टी ने यह फैसला लिया है.

राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू

नेपाल में नौ मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए शनिवार को नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई. इस चुनाव के बाद देश के राजनीतिक समीकरण में बदलाव आने के आसार है, क्योंकि प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने गठबंधन सरकार में साझेदार पार्टी के प्रत्याशी से किनारा कर विपक्षी नेपाली कांग्रेस के नेता रामचंद्र पौडयाल का इस शीर्ष पद के लिए समर्थन किया है. पौडयाल (78) के निवर्तमान राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी का उत्तराधिकारी बनने की प्रबल संभावना है क्योंकि आठ पार्टियों, नेपाली कांग्रेस, नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएन)-माओइस्ट सेंटर, सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट, राष्ट्रीय जनता पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनमोर्चा, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और जनमत पार्टी ने उनके पक्ष में मतदान करने का फैसला किया है.

माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ ने सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष के पी शर्मा ओली को झटका देते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर का राष्ट्रपति चुनने का फैसला किया है. राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियों के रुख से सात पार्टियों के सत्तारूढ़ गठबंधन के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल पैदा हो गए हैं.

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