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आतंकियों का आका बना रहेगा पाकिस्तान या फिर ग्रे लिस्ट से निकलेगा बाहर, एफएटीएफ की बैठक लिया जाएगा फैसला

आतंकियों को फंडिंग कर पनाह देने वाला पाकिस्तान इस समय ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए आतुर दिखाई दे रहा है. इसके लिए वह भारत को छोड़कर कई देशों से मेल-मिलाप बढ़ा रहा है. खासकर, वह अपने सबसे बड़े रहनुमा चीन की बार-बार गणेश परिक्रमा कर रहा है.

पेरिस : आतंकवादियों और उनके संगठनों को पाल-पोसकर बड़ा करने और फिर उन्हें फंडिंग कर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने वाला पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज आएगा या फिर आतंकियों को पहले की तरह पनाह देकर ग्रे लिस्ट में बना रहेगा? आज से फ्रांस के पेरिस में शुरू होने वाले फाइनांशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में उसके भाग्य का फैसला हो जाएगा.

हालांकि, आतंकियों को फंडिंग कर पनाह देने वाला पाकिस्तान इस समय ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए आतुर दिखाई दे रहा है. इसके लिए वह भारत को छोड़कर कई देशों से मेल-मिलाप बढ़ा रहा है. खासकर, वह अपने सबसे बड़े रहनुमा चीन की बार-बार गणेश परिक्रमा कर रहा है.

पेरिस में आज से एफएटीएफ की आमसभा और वर्किंग ग्रुप की बैठक आयोजित होने जा रही है. पाकिस्तान को इस बात की उम्मीद है कि इस बैठक में उसे आतंकवाद विरोधी वैश्विक संगठन की ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा. वहीं, भारत के कड़े रुख की वजह से उसे इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं उसकी उम्मीदों पर पानी न फिर जाए.

कई चुनौतियों से जूझ रहा है पाकिस्तान

आतंकियों की फंडिंग, आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं करने, आतंकी संगठनों के वित्त पोषण और मनी लांड्रिंग रोधी कानूनों का पालन नहीं करने के कारण साल 2018 से पाकिस्तान पेरिस स्थित एफएटीएफ की ग्रे सूची में बना हुआ है. पिछले तीन साल से लगातार ग्रे सूची में रहने की वजह से पाकिस्तान को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्रे सूची में बने रहने की वजह से उसका आयात-निर्यात, विदेशों से आर्थिक मदद और अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं से सीमित कर्ज मिलना बंद हो गया है. उधर, आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं करने की वजह से अमेरिका से सालाना अरबों डॉलर की मिलने वाली आर्थिक मदद बंद हो गई. इससे उसकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गई है.

अपने मंसूबे पर खुद पानी फेर रहे इमरान

पाकिस्तान में सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान अपने देश को ग्रे सूची से निकालने के प्रयासों में लगातार जुटे हुए हैं, लेकिन अपने मंसूबों पर वे खुद पानी फेर रहे हैं. पिछले साल 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तानी सत्ता कब्जाने वाले तालिबानियों का साथ देकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि वे शांति और अमन के साथ रहने के बजाए आतंकवादी और तबाही के साथ जाना अधिक पसंद करते हैं. यही वजह है कि उन्होंने अफगानिस्तान के तालिबानियों का समर्थन देने के लिए दुनिया के देशों के सामने हाथ फैलाकर भीख मांगते रहे.

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एफएटीएफ के अध्यक्ष ने पहले ही दे दिए हैं संकेत

बताते चलें कि एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने पहले ही इस बात के संकेत दे दिए हैं कि पाकिस्तान तब तक ग्रे सूची में बना रहेगा, जब तक कि वह जून 2018 में सहमत मूल एजेंडे की शर्तों और संगठन के एशिया-प्रशांत समूह की 2019 की समानांतर कार्ययोजना पर पूरी तरह अमल नहीं करेगा. पिछले साल अक्तूबर में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ‘ग्रे सूची’ में बरकरार रखा था.

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