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एक और देश में तख्तापलट; टीवी पर हुई घोषणा, राष्ट्रपति भवन के पास फायरिंग और हो गया सेना का कब्जा

Coup in Guinea-Bissau: गिनी बिसाऊ में बुधवार दोपहर राष्ट्रपति भवन के पास गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं. राष्ट्रपति भवन की ओर जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया, जहाँ भारी हथियारों से लैस और मुखौटा पहने सैनिक चौकियों पर तैनात थे. इसके बाद सैनिकों ने टेलीविजन पर कहा कि उन्होंने देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया है.

Coup in Guinea-Bissau: गिनी-बिसाऊ एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल के केंद्र में है. राष्ट्रीय चुनावों के महज तीन दिन बाद देश की सेना ने सरकारी टेलीविजन पर अचानक प्रकट होकर सरकार को हटाने और सत्ता अपने हाथ में लेने की घोषणा कर दी. यह घोषणा राष्ट्रपति भवन के आसपास गोलीबारी की आवाजों और सुरक्षा घेराबंदी की खबरों के बीच सामने आई. राष्ट्रपति उमरो सिसोको एम्बालो ने फ्रांसीसी मीडिया से पुष्टि की कि उन्हें पद से हटाकर हिरासत में ले लिया गया है. गिनी-बिसाऊ के संविधान में राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का है. एम्बालो पहली बार फरवरी 2020 में सत्ता में आए. विपक्ष का कहना है कि उनका कार्यकाल 27 फरवरी को समाप्त हो जाना चाहिए था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि यह 4 सितंबर तक चलेगा. हालाँकि, राष्ट्रपति चुनाव इस महीने तक स्थगित कर दिए गए थे.

सैन्य उच्च कमान ने सरकारी टेलीविजन पर एक बयान में कहा कि उसने, गिनी-बिसाऊ गणराज्य के राज्य की पूर्ण शक्तियां अपने हाथ में ले ली हैं. बुधवार दोपहर सेना के प्रवक्ता दिनिस एन’चामा ने टीवी पर बयान पढ़ते हुए बताया कि उच्च सैन्य कमान ने देश की राष्ट्रीय और सार्वजनिक व्यवस्था बहाल करने के नाम पर राष्ट्रपति को हटाने और सभी सरकारी संस्थाओं को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि यह कदम एक चल रही साजिश के खुलासे के बाद उठाया गया, जिसका उद्देश्य चुनाव परिणामों में गड़बड़ी कर देश को अस्थिर करना था.  सैनिकों ने कहा कि वे तुरंत चुनावी प्रक्रिया और मीडिया आउटलेट्स की गतिविधियों को निलंबित कर रहे हैं, साथ ही सभी सीमाओं को बंद कर रहे हैं.

एन’चामा ने आरोप लगाया कि इस कथित साजिश में कुछ स्थानीय राजनेताओं, एक कुख्यात मादक पदार्थ तस्कर और विदेशी नागरिकों का हाथ था, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह योजना किसके नेतृत्व में चल रही थी. गिनी-बिसाऊ पहले भी मादक पदार्थों की ट्रांजिट रूट के रूप में चर्चा में रहा है और इसी पृष्ठभूमि में सेना ने यह कार्रवाई उचित ठहराने की कोशिश की है. फ्रांसीसी समाचार आउटलेट जेन अफ्रीक ने एम्बालो को कोट करते हुए कहा कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और यह सेना प्रमुख के नेतृत्व में एक तख्तापलट है. उन्होंने कहा कि उनके साथ हिंसा नहीं की गई.

कैसे हुआ तख्तापलट

बुधवार दोपहर राष्ट्रपति भवन के पास गोलीबारी की आवाजें सुनी गईं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक पत्रकार ने देखा कि राष्ट्रपति भवन की ओर जाने वाली सड़कों को बंद कर दिया गया था, जहाँ भारी हथियारों से लैस और मुखौटा पहने सैनिक चौकियों पर तैनात थे. राष्ट्रपति भवन के एक अधिकारी ने बताया कि सशस्त्र पुरुषों के एक समूह ने इमारत पर हमला करने की कोशिश की, जिसके कारण सुरक्षा गार्डों के साथ गोलीबारी हुई. गृह मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय चुनाव आयोग के पास भी गोलीबारी की आवाज सुनी. एक अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षक समूह के एक प्रमुख सदस्य ने बताया कि चुनाव आयोग प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया गया और आयोग के कार्यालय को सेना ने सील कर दिया.

एक अंतरराष्ट्रीय चुनाव पर्यवेक्षक के मुताबिक, चुनाव आयोग प्रमुख को सेना ने गिरफ्तार कर लिया और आयोग के कार्यालय को सील कर दिया. फ्रांसीसी समाचार आउटलेट्स ने एम्बालो के हवाले से बताया कि उन्हें बिना किसी हिंसा के हिरासत में ले लिया गया है. उन्होंने फ्रांसीसी टीवी चैनल फ्रांस 24 से कहा- मुझे पद से हटा दिया गया है. एम्बालो यह भी कह चुके हैं कि उनके कार्यकाल को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था और विपक्ष पहले ही उन्हें राष्ट्रपति मानने से इनकार कर रहा था.

सेना ने विपक्षी नेताओं को भी हिरासत में लिया

सेना ने राष्ट्रपति पद के विपक्षी उम्मीदवार फर्नांडो डायस और प्रमुख विपक्षी दल ‘अफ्रीकन पार्टी फॉर द इंडिपेंडेंस ऑफ गिनी एंड केप वर्डे’ के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री डोमिंगोस सिमोएस पेरेरा को भी गिरफ्तार कर लिया है. पेरेरा को एम्बालो का मुख्य प्रतिद्वंद्वी माना जाता था, लेकिन उन्हें पहल ही चुनाव मैदान से बाहर कर दिए गया था और बाद में उन्होंने डायस का समर्थन किया था. वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक फर्नांडो डायस ने एम्बालो पर सेना की मदद से तख्तापलट का आरोप लगाया, क्योंकि उन्हें लगता था कि वे हार रहे हैं. 

पश्चिमी अफ्रीका में हो चुके कई तख्तापलट

पश्चिम अफ्रीका में पिछले कुछ वर्षों से तख्तापलट की श्रृंखला चल रही है माली, नाइजर, बुर्किना फासो और गिनी में पहले ही सैन्य शासन स्थापित हो चुका है. पड़ोसी गिनी में, जुंटा नेता जनरल मामादी डौम्बुया ने 2021 में राष्ट्रपति को पदच्युत किया, पिछली सरकार पर वादे तोड़ने का आरोप लगाया और देश को भ्रष्टाचार और खराब शासन से मुक्त करने का वादा किया. गैबॉन में, 2023 में विद्रोही सैनिकों ने सत्ता अपने हाथ में ले ली, ठीक उसी समय जब राष्ट्रपति को उस चुनाव का विजेता घोषित किया गया जिसमें पहली बार अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को अनुमति नहीं दी गई थी. अप्रैल में तख्तापलट नेता जनरल ब्राइस ओलिगुई न्गुएमा को राष्ट्रपति चुना गया. अब गिनी-बिसाऊ की यह घटना क्षेत्र में अस्थिरता की एक और कड़ी जोड़ देती है. सोशल मीडिया पर एक यूजर ने अफ्रीका में 2020 से हुए अब तक के तख्तापलट का एक खाका खींचा है, एक नजर देखें-

गिनी बिसाऊ में पहले भी हो चुके हैं तख्तापलट के प्रयास

गिनी-बिसाऊ स्वतंत्रता के बाद से चार तख्तापलट और कई प्रयासों का सामना कर चुका है, जिनमें एक प्रयास पिछले महीने भी रिपोर्ट किया गया था. यह देश लैटिन अमेरिका और यूरोप के बीच मादक पदार्थों की तस्करी का एक केंद्र भी बनकर उभरा है. राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव रविवार को हुए थे. मंगलवार को वर्तमान राष्ट्रपति उमरो सिसोको एम्बालो और विपक्षी उम्मीदवार फर्नांडो डायस दोनों ने विजय का दावा किया, जबकि आधिकारिक प्रारंभिक परिणाम गुरुवार तक आने की उम्मीद नहीं थी.

नागरिक समूहों ने जाहिर की चिंता

नागरिक समूह ‘पॉपुलर फ्रंट’ ने दावा किया है कि यह तख्तापलट सरकार द्वारा खुद रचा गया नकली कदम है, ताकि चुनाव परिणाम रोके जा सकें और एम्बालो सत्ता पर बने रह सकें. उसने कहा कि यह चाल 27 नवंबर को निर्धारित चुनाव परिणामों के प्रकाशन को रोकने के लिए है. समूह का दावा है कि एम्बालो एक नए राष्ट्रपति और अंतरिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति की योजना बना रहे हैं, फिर नए चुनाव कराएंगे जिनमें वे स्वयं फिर से चुनाव लड़ने का इरादा रखते हैं.

संयुक्त राष्ट्र ने संयम बरतने की अपील की

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने हालात पर चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि विश्व संस्था गिनी-बिसाऊ की स्थिति को गहरी चिंता के साथ देख रही है. यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने गिनी-बिसाऊ के सभी राष्ट्रीय हितधारकों से संयम बरतने और कानून के शासन का सम्मान करने की अपील की है. अफ्रीकी संघ और क्षेत्रीय समूह ईकोवास के चुनाव पर्यवेक्षण मिशनों ने एक संयुक्त बयान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने के स्पष्ट प्रयास की निंदा की और संवैधानिक व्यवस्था की बहाली और गिरफ्तार अधिकारियों को तुरंत रिहा करने की मांग की है. 

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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