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दलाई लामा के उत्तराधिकारी की मान्यता देने के मामले में चीन ने फंसाया पेंच, नए बौद्ध धार्मिक गुरु को लेकर जारी किया श्वेत पत्र

चीन की सरकार की ओर से जारी किए गए श्वेत पत्र में इस बात का दावा किया गया है कि किंग राजवंश (1677-1911) के बाद से ही केंद्र सरकार की ओर से दलाई लामा समेत दूसरे आध्यात्मिक बौद्ध धर्मगुरुओं को मान्यता देने की परंपरा की शुरुआत हुई थी. इस श्वेत पत्र में यह भी कहा गया है कि पुराने समय से ही तिब्बत चीन का अविभाजित हिस्सा है.

बीजिंग : तिब्बत में बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के उत्तराधिकारी की मान्यता को लेकर चीन ने नया पेंच फंसा दिया है. उसने शुक्रवार को कहा है कि बिना उसकी अनुमति के मौजूदा दलाई लामा के किसी उत्तराधिकारी को मान्यता नहीं दी जाएगी. उसने मौजूदा दलाई लामा या उनके अनुयायियों की ओर से नए लामा के लिए नामित किसी भी व्यक्ति को मान्यता देने से इनकार किया है. इतना ही नहीं, इस मामले को लेकर उसने एक श्वेत पत्र भी जारी किया है.

चीन की सरकार की ओर से जारी किए गए श्वेत पत्र में इस बात का दावा किया गया है कि किंग राजवंश (1677-1911) के बाद से ही केंद्र सरकार की ओर से दलाई लामा समेत दूसरे आध्यात्मिक बौद्ध धर्मगुरुओं को मान्यता देने की परंपरा की शुरुआत हुई थी. इस श्वेत पत्र में यह भी कहा गया है कि पुराने समय से ही तिब्बत चीन का अविभाजित हिस्सा है.

चीन के श्वेत पत्र में कहा गया है कि 1793 में गोरखा आक्रमणकारियों के जाने के बाद किंग सरकार ने तिब्बत में नई व्यवस्था बहाल की थी. किंग सरकार ने ही तिब्बत में बेहतरीन शासन प्रणाली स्थापित करने वाले एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी. श्वेत पत्र में किए गए दावों के अनुसार, दलाई लामा और दूसरे बौद्ध धर्मगुरुओं के अवतार को लेकर एक पूरी प्रक्रिया का पालन करना होता है. यदि किसी चुनिंदा व्यक्ति को मान्यता दी जाती है, तो वह चीन की केंद्र सरकार के अधीन है.

गौरतलब है कि तिब्बत में वहां के लोगों के द्वारा आंदोलन किए जाने के बाद चीन ने उन पर बर्बर तरीके से कार्रवाई की थी. उसके बाद वहां के 14वें दलाई लामा वर्ष 1959 में ही भारत आ गए थे. उस समय भारत ने उन्हें राजनीतिक शरण दी थी और तभी से निर्वासित तिब्बती सरकार हिमाचल के धर्मशाला में हैं.

तिब्बत के मौजूदा दलाई लामा अब 85 साल के हो चुके हैं और उनकी बढ़ती उम्र के कारण पिछले कुछ बरसों से उनके उत्तराधिकारी का मुद्दा उठने लगा है. यह मुद्दा तब और सुर्खियों में आया, जब अमेरिका ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी के संबंध में फैसला करने का अधिकार दलाई लामा और तिब्बत के लोगों को देने के लिए अभियान चलाया.

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Posted by : Vishwat Sen

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