21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

तालिबान का सबसे बड़ा दुश्मन: अब्दुल रशीद दोस्तम के नाम से कांपती है आतंकवादियों की रूह

abdul rashid dostum news|taliban news|afghanistan news|अब्दुल रशीद दोस्तम के मिलिशिया के लड़ाकों की वजह से पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेने वाला तालिबान बल्ख प्रांत पर अब तक काबिज नहीं हो पाया है.

Abdul Rashid Dostum News: तालिबान (Taliban) का सबसे बड़ा दुश्मन लौट आया है. 20 साल बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा करने वाले तालिबान के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गयी है. अफगानिस्तान में शरीया कानून लागू करने वाले तालिबान के आतंक से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए दोस्तम के लड़ाके भी मैदान में आ गये हैं. अब्दुल रशीद दोस्तम के लड़ाकों ने दो-दो बार तालिबान का सफाया किया है.

जी हां, अब्दुल रशीद दोस्तम के मिलिशिया के लड़ाकों की वजह से पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लेने वाला तालिबान बल्ख प्रांत पर अब तक काबिज नहीं हो पाया है. इसकी वजह दोस्तम के लड़ाके ही हैं. अफगानिस्तान में जिस वक्त तालिबान का आतंक अपने चरम पर था, तभी दोस्तम ने तालिबान को चुनौती दी थी और उन्हें अपने प्रांत से खदेड़ दिया था. दोस्तम की मिलिशिया सेना फिर से लौट आयी है और तालिबान की क्रूरता का करारा जवाब दे रही है.

काबुल पर जब तालिबान ने कब्जा कर लिया, तो अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गये. अपनी जान बचाने के लिए चार कार और हेलीकॉप्टर के साथ अफगानिस्तान छोड़कर भागने वाले राष्ट्रपति अशरफ गनी (Afghan Prez Ashraf Ghani) के नये ठिकाने के बारे में कई कयास लगाये गये. हालांकि, बाद में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने साफ किया कि अशरफ गनी ने अपने परिवार के साथ उसके यहां शरण ले रखी है.

Also Read: सिर्फ 5 तालिबानियों ने अमेरिका के छुड़ा दिये छक्के, अफगानिस्तान पर किया कब्जा

तालिबान ने जब काबुल पर कब्जा किया, तो इस बात की चर्चा शुरू हो गयी कि अब्दुल रशीद दोस्तम अफगानिस्तान छोड़कर उज्बेकिस्तान चले गये हैं. लेकिन, मजार-ए-शरीफ के बूढ़ा शेर के लड़ाकों ने तालिबान को चुनौती देनी शुरू कर दी है. दोस्तम की वापसी की खबर से अफगानिस्तान के लोगों ने राहत की सांस ली है. अब्दुल रशीद दोस्तम को मजार-ए-शरीफ का बूढ़ा शेर के नाम से जाना जाता है.

तालिबान को खुली चुनौती देते दोस्तम के लड़ाके

बताया जाता है कि अब्दुल रशीद दोस्तम के नाम से ही तालिबानियों की रूह कांपती है. वर्ष 1990 और वर्ष 2001 के दौरान जब अफगानिस्तान में तालिबान के गुर्गों ने आतंक मचा रखा था, तब अब्दुल रशीद दोस्तम और उनके लड़ाकों ने इस क्रूर शासक को खुली चुनौती दी थी. जब तालिबान बहुत शक्तिशाली था, तब भी बल्ख प्रांत से दोस्तम के मिलिशिया लड़ाकों ने तालिबान का सफाया कर दिया था.

Also Read: अमरुल्लाह सालेह अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति बने, बोले-तालिबान के आगे घुटने नहीं टेकेंगे, संघर्ष करें

Posted By: Mithilesh Jha

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel