Asim Munir First Address as CDF: पाकिस्तान के आर्मी चीफ और पहले रक्षा बलों के प्रमुख (Chief of Defense Forces-CDF) के रूप में अपना पहला संबोधन दिया. अपने इस ऐतिहासिक उद्बोधन में भी उन्होंने जिम्मेदारी की जगह धमकियों का सहारा लिया. वे भारत को गीदड़ भभकी देते सुने जा रहे हैं. उन्होंने भारत को प्रत्यक्ष या परोक्ष चेतावनी देते हुए कहा कि पड़ोसी देश को स्वयं भ्रम और कल्पनाओं का शिकार नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भविष्य में यदि पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह की आक्रामकता होती है तो उसका जवाब- काफी अधिक तेज और कठोर होगा, उनका इशारा भारत के ऑपरेशन सिंदूर की ओर था. पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की सुरक्षा का दृढ़ संकल्प जताते हुए भारत और अफगान तालिबान को संदेश देने की कोशिश की.
आसिम मुनीर पाकिस्तान के 27वें संविधान संशोधन के बाद अब देश के सबसे ताकतवर सेना प्रमुख बन गए हैं. उनके पास तीनों सेनाओं (आर्मी, एयरफोर्स और नेवी) की कमान है. उन्हें संवैधानिक रक्षा कवच भी मिल गया है. इतना ही नहीं अब उनके पास न्यूक्लियर वीपन का भी कमांड मिल चुका है. गार्ड ऑफ ऑनर प्राप्त करने और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का पदभार संभालने के उपलक्ष्य में जीएचक्यू (GHQ) में दिए अपने संबोधन में फील्ड मार्शल मुनीर ने कहा, “भारत को किसी भी प्रकार के भ्रम या गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए. अगली बार पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भी अधिक तेज और गंभीर होगी.”
कोई भी पाकिस्तान की संप्रभुता की परीक्षा नहीं ले सकता- मुनीर
अपने रणनीतिक संदेश में फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने सबसे पहले भारत का उल्लेख करते हुए दोहराया कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि कोई भी पाकिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता या उसके संकल्प की परीक्षा नहीं ले सकता. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अवधारणा अजेय है और इसे ईमान व एकता से भरे वीरों तथा एकजुट राष्ट्र की अटूट इच्छाशक्ति का संरक्षण प्राप्त है. आसिम मुनीर के CDF बनने का नोटिफिकेशन शुक्रवार, 5 नवंबर को जारी हुआ. राष्ट्रपति जरदारी ने शहबाज शरीफ सरकार की ओर से की गई सिफारिश पर उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज नियुक्त किया.
बदलाव को बताया ऐतिहासिक
मुनीर ने अपने पहले संबोधन में तीनों सेनाओं (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) के अधिकारियों को संबोधित किया. अपने विस्तृत संबोधन में उन्होंने नए बनाए गए डिफेंस फोर्सेज मुख्यालय (DFHQ) की स्थापना पर भी बात की. उन्होंने इसे मौलिक बदलाव का ऐतिहासिक प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि बढ़ते और बदलते खतरों को देखते हुए यह आवश्यक है कि तीनों सेवाओं के बीच एकीकृत प्रणाली के तहत बहु-क्षेत्रीय (multi-domain) अभियानों में और सुधार किया जाए.”
तीनों सेनाएं रहेंगी स्वायत्तता- मुनीर
फील्ड मार्शल मुनीर ने कहा कि DFHQ का गठन इसी सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने बताया कि यह उच्च कमान में एकता लाने और तीनों सेवाओं के अभियानों के समन्वय के लिए बनाया गया है, हालांकि तीनों सेनाएं अपने संगठनात्मक ढांचे और आंतरिक स्वायत्तता को बनाए रखेंगी. इस कार्यक्रम तीनों सेनाओं के सीनियर ऑफिसर मौजूद रहे, जिसमें एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू और नौसेना स्टाफ एडमिरल नावेद अशरफ भी शामिल थे. उन्होंने कहा कि प्रत्येक सेना अपनी विशिष्टता को बरकरार रखते हुए परिचालन तैयारी सुनिश्चित करेगी.
मुनीर को ऑपरेशन सिंदूर भी आया याद
इस दौरान आसिम मुनीर ने ऑपरेशन सिदूर का भी जिक्र किया और अपनी सेना के प्रदर्शन की तारीफ की. उन्होंने कहा कि यह भविष्य के संघर्षों के लिए एक केस स्टडी होगा. मुनीर के हाथ में तीनों सेनाओं की कमांड, नेशनल स्ट्रेटजिक कमांड के साथ परमाणु हथियार और मिसाइल प्रणालियों का भी कंट्रोल होगा. ऐसे में अब पाकिस्तान में एक तरह से सर्वशक्तिमान बन गए हैं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अब युद्ध साइबर स्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम, स्पेस, एआई, क्वांटम कम्पूयटिंग और इनफॉर्मेशन वारफेयर तक फैल चुका है. ऐसे में सभी बलों को युद्ध और संघर्ष की नई आवश्यकताओं के हिसाब से खुद को तैयार करना होगा.
आसिम मुनीर ने अफगानिस्तान पर क्या कहा?
फील्ड मार्शल मुनीर ने अफगानिस्तान के तालिबान शासन को भी सीमा तनावों को लेकर कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा, “तालिबान शासन को साफ संदेश दे दिया गया है कि उनके पास खवारिज की उपद्रवकारी राह और पाकिस्तान, इनमें से किसी एक को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.” यहां उन्होंने प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का भी उल्लेख किया. पिछले वर्ष इसे पाकिस्तान सरकार ने “फितना अल-खवारिज (इस्लामी इतिहास में हिंसा के लिए बदनाम एक समूह” करार दिया था. टीटीपी की ही वजह से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इन दिनों संघर्ष की एक नई शुरुआत हुई है, जिसमें दोनों देशों की सीमा पर काफी हिंसा देखने को मिल रही है. कई दौर की वार्ता के बाद भी दोनों देश अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं.
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