बीजिंग : चीन द्वारा तिब्बत रेलवे नेटवर्क को नेपाल तक बढाने की योजना के बीच चीनी विशेषज्ञों ने कहा है कि चार अरब डालर की इस परियोजना को भारत तक बढा कर दक्षिण एशिया के साथ तिब्बत के सम्पर्क को बेहतर बनाया जा सकेगा. अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के लिए शंघाई म्यूनिसिपल सेंटर में दक्षिण एवं मध्य एशियाई अध्ययन संस्थान के निदेशक वांग देहुआ ने कहा, ‘रेल लाइन बनाने में कई परेशानियां हैं क्योंकि यह भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र और हिमालयी पर्वतों से गुजरेगी. लेकिन मौजूद प्रौद्योगिकी को देखते हुए यह बडी समस्या नहीं होगी.’
वांग ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स को बताया कि इस परियोजना के लिए चार अरब डालर की जरुरत होगी और इसे पूरा करने में पांच वर्ष लगेंगे. उन्होंने कहा, ‘यह रेल सम्पर्क चीन का भारत से जुडने के लिए काफी अच्छा अवसर होगा और इससे द्विपक्षीय सम्पर्क भी बेहतर बनाये जा सकेंगे.’ नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने सोमवार को अपने चीनी समकक्ष ली क्विंग के साथ बैठक के दौरान काठमांडो में मोनोरेल और तिब्बत सीमा पर ग्यिरांग से लुम्बिनी तक रेल लाइन का निर्माण करने का आग्रह किया था.
ओली के विदेश मामलों के सलाहकार गोपाल खनल के हवाले से जापान के समाचार एजेंसी क्योदो ने यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों ने नेपाल में रेलवे के निर्माण पर सहमति व्यक्त की.’ ली-ओली बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय में एशिया प्रकोष्ठ के प्रमुख होउ यांकी ने मीडिया को बताया कि सरकार चीनी कंपनियों को नेपाल से जोडने वाले रेल सम्पर्क स्थापित करने के लिए आंतरिक योजना ओ आगे बढाने को प्रोत्साहित करेगी. उन्होंने कहा कि चीन की तिब्बत के शहर ग्यिरांग से नेपाल की सीमा तक रेलवे को विस्तार देने की योजना है.