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नेपाल में भूंकप से ध्वस्त हुए मंदिर को अब लुटेरों से खतरा

काठमांडो: काठमांडो के प्रख्यात ‘मंकी टेम्पल’ के ध्वस्त होने के बाद वहां बिखरे मलबे को देख कर वहां के पुजारी पन्नाकाजी को चिंता सता रही है कि अब कहीं लुटेरे वहां न आ जाएं. पन्नाकाजी के पूर्वजों ने बीते 1,600 साल में मंदिर के पुजारियों के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने मलबे से […]

काठमांडो: काठमांडो के प्रख्यात ‘मंकी टेम्पल’ के ध्वस्त होने के बाद वहां बिखरे मलबे को देख कर वहां के पुजारी पन्नाकाजी को चिंता सता रही है कि अब कहीं लुटेरे वहां न आ जाएं.

पन्नाकाजी के पूर्वजों ने बीते 1,600 साल में मंदिर के पुजारियों के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने मलबे से भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं निकाल कर एक गद्दे पर रख दी हैं.
नेपाल के सबसे पुराने मंदिरों में शामिल स्वयंभूनाथ मंदिर परिसर और सर्वाधिक पवित्र धार्मिक स्मारकों को 25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप से आंशिक रुप से क्षति पहुंची है. सातवीं सदी के कुछ स्तूप यथावत हैं और कुछ प्रतिमाएं इस आपदा में करिश्माई तरीके से बच गईं लेकिन अब डर है कि कहीं लुटेरों का कहर उन पर न टूट पडे.
एक अस्थायी शिविर में बैठे 61 वर्षीय पन्नाकाजी ने कहा ‘‘हम बीते 1,600 साल से पुजारी हैं इसलिए मैं रुका हूं.’’ मंदिरों के संरक्षक न सिर्फ अस्थायी शिविरों में रात बिता रहे हैं बल्कि उन्हें इस बात का भी डर सता रहा है कि लुटेरे रात को आ सकते हैं. उन्हें यह भी चिंता है कि अगर दोबारा भूकंप आया तो बचे खुचे ढांचे भी तबाह हो जाएंगे.
पन्नाकाजी ने कहा ‘‘मैं जाग कर देखता रहता हूं कि कहीं कोई प्रतिमा न चुरा ले.’’ यूनेस्को ने मंदिरों को पहुंचे नुकसान का मूल्यांकन करने और चोरों से अनोखे धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए एक समूह भेजा है.समूह में शामिल पुरातत्वविज्ञानी और कला इतिहासकार डेविड एंडोल्फाटो आज संपन्न बुद्ध जयंती समारोह के दौरान लूट के बारे में खासतौर पर चिंतित दिखे.

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