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क्लिंटन फाउंडेशन को अमर सिंह के नाम से मिले चंदे पर फिर उठे सवाल
वाशिंगटन : अमेरिका में आने वाली एक किताब में यह सवाल उठाया गया है कि क्या समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह भारत-अमेरिका परमाणु करार को मंजूरी दिलाने के लिए हो रही मशक्कत के समय भारत में प्रभावशाली हितों को तो नहीं साध रहे थे क्योंकि उन्होंने तथा कुछ संगठनों ने 2008 में क्लिंटन […]
वाशिंगटन : अमेरिका में आने वाली एक किताब में यह सवाल उठाया गया है कि क्या समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह भारत-अमेरिका परमाणु करार को मंजूरी दिलाने के लिए हो रही मशक्कत के समय भारत में प्रभावशाली हितों को तो नहीं साध रहे थे क्योंकि उन्होंने तथा कुछ संगठनों ने 2008 में क्लिंटन फाउंडेशन में चंदा दिया था.
न्यूयॉर्क पोस्ट अखबार ने ‘क्लिंटन कैश’ किताब का उल्लेख करते हुए कहा कि क्लिंटन फांडेशन को 2008 में सिंह की ओर से 10 लाख डॉलर से 50 लाख डॉलर के बीच चंदा मिला था.
पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सिंह ने 2008 में ऐसे समय में चंदा दिया था जब अमेरिकी कांग्रेस में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार पर मुहर लगने के संबंध में चर्चा हुई थी. सीनेट इंडिया कॉकस की तत्कालीन सह-अध्यक्ष और प्रतिष्ठित सीनेटर हिलेरी क्लिंटन ने विधेयक का समर्थन किया था जिसे कांग्रेस ने बहुमत से पारित किया था.
किताब के लेखक पीटर श्वाइजर ने सवाल उठाया है कि क्या सिंह परमाणु करार के लिए जोर देते हुए भारत में अन्य प्रभावशाली हितों के लिहाज से वाहक तो नहीं थे. द पोस्ट के अनुसार श्वाइजर ने किताब में लिखा है, अगर यह सच है तो इसका मतलब है कि सिंह ने अपने पूरे नेट वर्थ का 20 से 100 प्रतिशत के बीच क्लिंटन फाउंडेशन को दिया था.
इधर नयी दिल्ली में इस सवाल पर अमर सिंह ने किसी तरह की गडबडी की बात को खारिज किया और दावा किया कि वह अनुमानों और अफवाहों के शिकार हैं. सिंह ने कहा, मैं अनुमानों और अफवाहों का शिकार हूं. मैं अनुमानों और अटकलों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता.
सिंह ने कहा, मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं जिसने देश के किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया. मैं हाई-प्रोफाइल आदमी हूं जिसकी कलकत्ता और इलाहाबाद उच्च न्यायालयों, कानपुर सत्र अदालत, उत्तर प्रदेश पुलिस तथा ईडी ने कानूनी तरीके से और प्रशासनिक तरीके से जांच पडताल की है. लेकिन कोई मेरे खिलाफ कुछ साबित नहीं कर सका.
क्लिंटन फाउंडेशन और उनके प्रचार विभाग दोनों ने किसी तरह की गडबडी की बात को पूरी तरह खारिज किया और कहा है कि फाउंडेशन के सार्वजनिक मकसदों के लिए चंदा प्राप्त करने में पारदर्शिता बरती गयी.
क्लिंटन फाउंडेशन की ओर से मौरा पल्ली ने कहा, फाउंडेशन का प्रभाव बढा है तो पारदर्शिता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता भी बढी है. विदेश विभाग और व्हाइट हाउस ने क्लिंटन फाउंडेशन को मिलने वाले चंदे से संबंधित विवाद पर और इससे जुडे सवालों पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.
हिलेरी क्लिंटन द्वारा हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी की घोषणा किये जाने के बाद न्यूयॉर्क टाइम्स ने खबर छापी थी कि अमेरिका में संपूर्ण यूरेनियम उत्पादन की क्षमता के पांचवें हिस्से का नियंत्रण रुसी लोगों को देने वाले एक करार के दौरान क्लिंटन फाउंडेशन में धन आया था.
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