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भारतीय नर्सों की इराक से घर वापसी

नयी दिल्लीः इराकी चरपमंथी संगठन (आईएसआईएस) द्वारा बंदी बनाई गई 46 भारतीय नर्सें आज एयर इंडिया के एक विशेष विमान से घर लौट आईं. देश लौटने पर नर्सें और इनके परिवार आपस में मिलकर बेहद खुश हुए. इस तरह एक माह के कटु अनुभव का अंत हो गया है. हवाईअड्डे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने […]

नयी दिल्लीः इराकी चरपमंथी संगठन (आईएसआईएस) द्वारा बंदी बनाई गई 46 भारतीय नर्सें आज एयर इंडिया के एक विशेष विमान से घर लौट आईं. देश लौटने पर नर्सें और इनके परिवार आपस में मिलकर बेहद खुश हुए. इस तरह एक माह के कटु अनुभव का अंत हो गया है. हवाईअड्डे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एक विशेष विमान अपने साथ 137 अन्य लोगों को भी लाया है. यह विमान कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर उतरा.

बंधक बनाई गई नर्सों को मुक्त कराने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर समन्वित प्रयास करने वाले केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी हवाईअड्डे पर इन लोगों को लेने पहुंचे. इन नर्सों में केरल की नर्सों के अलावा दो नर्सें तमिलनाडु के तूतीकोरिन की भी हैं.विमान लगभग 12 बजे कोच्चि में लैंड हुआ. यहां मुख्‍यमंत्री ओमान चांडी ने उनका स्वागत किया. परिजन भी इंतजार में पलके बिछाये खड़े थे.

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मुंबई में उतरीं नर्सों ने कहा कि मैं भगवान को धन्यवाद कहूंगी क्योंकि उसने हीं हमें सुरक्षित अपने वतन वापस आने में मदद की है. सरकार ने भी हमें इराक से भारत आने में काफी मदद की इसलिए उन्हें भी धन्यवाद.

शुक्रवार को इराक के संघर्षरत क्षेत्र में तिकरित छोडने को बाध्य हुई 46 भारतीय नर्सें को पहले शांत क्षेत्र इर्बिल ले जाया गया. जहां भारतीय अधिकारियों का एक दल उनका इंतजार कर रहे थे. वहां से वे भारत जाने के लिए विमान में बैठीं. इनमें से ज्यादातर नर्सें केरल की रहने वाली हैं.

इससे पहले उन्हें आईएसआईएस के सुन्नी आतंकवादी तिकरित के एक अस्पताल के बेसमेंट से एक अज्ञात स्थान पर ले गए थे. इराक में सरकारी सैन्यबलों और अलकायदा समर्थित सुन्नी आंतकवादियों के बीच गंभीर संघर्ष छिडने से पहले वहां करीब 10 हजार भारतीय थे.

आतंकवादियों ने दो महत्वपूर्ण शहरों पर कब्जा कर लिया है और वे बगदाद की ओर बढ रहे हैं. दस जून को छिडे इस संघर्ष के चलते हजारों इराकी विस्थापित हो गए हैं. केरल सरकार एक महिला आईएएस अधिकारी को विमान से भेजा गया. यह विमान दिल्ली से इर्बिल गया.

शोभा की बेटी भी नर्सों के उस समूह में है. उन्होंने कहा, मेरी बेटी ने गुरुवार रात करीब 10 बज कर 45 मिनट पर फोन किया और बताया कि समूह को मोसुल में एक हॉल में रखा गया है. लगता है कि यह अस्पताल का ही हिस्सा है. मोबाइल फोन की बैटरी पूरी तरह से चार्ज नहीं होने के कारण सही से बात नहीं हो पायी. उसने मुझे कहा कि फोन नहीं आए तो परेशान नहीं होना क्योंकि यहां पर फोन चार्ज करने की सुविधा नहीं है.

शोभा और उनके पति शशिकुमार जैसे राज्य की अन्य नर्सों के अभिभावकों ने बताया कि वे अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना कर रहे हैं और उम्मीद जतायी कि बिना देरी के केंद्र और राज्य सरकार उनकी वापसी के लिए प्रयास करेंगे. उनमें से कुछ अभिभावकों ने शिकायत की है कि मामले में प्रभावशाली तरीके से हस्तक्षेप करने में केंद्र की तरफ से देरी हुयी. मुख्यमंत्री ओमान चांडी और उनके वरिष्ठ सहयोगी दिल्ली में है और हालात पर चर्चा के लिए एक बार फिर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से बात करेंगे.

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