14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड:रांची कॉलेज के प्रोफेसर के नाम पर अमेरिका में पर्वत

अखौरी सिन्हा – प्राणी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर रह चुके हैं – पर्वत का नाम रखा गया माउंट सिन्हा इस पर्वत का नामकरण अंटार्कटिक नेम्स (यूएस-एसीएएन) और अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण की सलाहकार समिति द्वारा किया गया. माउंट सिन्हा पर्वत (990 मी) मैकडोनाल्ड पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी हिस्से एरिकसन ब्लफ्स के दक्षिण पूर्वी छोर पर स्थित […]

अखौरी सिन्हा

– प्राणी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर रह चुके हैं

– पर्वत का नाम रखा गया माउंट सिन्हा

इस पर्वत का नामकरण अंटार्कटिक नेम्स (यूएस-एसीएएन) और अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण की सलाहकार समिति द्वारा किया गया. माउंट सिन्हा पर्वत (990 मी) मैकडोनाल्ड पर्वत श्रृंखला के दक्षिणी हिस्से एरिकसन ब्लफ्स के दक्षिण पूर्वी छोर पर स्थित है.

वाशिंगटन : अमेरिका ने रांची कॉलेज में पढ़ा चुके प्रोफेसर अखौरी सिन्हा के नाम पर अंटार्कटिका के एक पर्वत का नामकरण किया है. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पर्वत का नाम ‘माउंट सिन्हा’ रखा है. बिहार के बक्सर के मूल निवासी श्री सिन्हा नवंबर 1956 से जुलाई 1961 तक रांची कॉलेज में प्राणी विज्ञान विभाग में अध्यापन किया था.

यूनिवर्सिटी ऑफ मिद्धसोटा में ‘डिपार्टमेंट ऑफ जेनेटिक्स, सेल बायोलॉजी एंड डेवलपमेंट’ में सहायक प्रोफेसर रहे अखौरी सिन्हा को 1971-72 में किये गये उनके कार्य के लिए अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने उन्हें सम्मानित किया है. श्री सिन्हा उस दल के सदस्य थे, जिसने 1972 और 1974 में बेलिंगशॉसेन और आमंडसेन समुद्री क्षेत्र में अमेरिकी कोस्ट गार्ड कटर्स साउथविंड और ग्लेशियरों में सील, ह्वेल और पक्षियों की सूचीबद्ध गणना की थी.

पटना में अपनी पढ़ाई पूरी की थी : अखौरी सिन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा : मैंने वर्ष 1954 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की थी.

इसके बाद वर्ष 1956 में पटना विश्वविद्यालय से प्राणी विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री ली. मुङो नेशनल साइंस फाउंडेशन अंटार्कटिक प्रोग्राम द्वारा अंटार्कटिक के सीलों के प्रजनन पर शोध के लिए आमंत्रित किया गया था. श्री सिन्हा ने बताया : वर्ष 1972 और 1974 में मैं 22 सप्ताह के लिए यूएस कोस्ट गार्ड कटर्स, साउथविंड और ग्लेशियर पर दो अभियानों के लिए गया था.

हर साल अपने गांव चुरामनपुर जाता हूं

श्री सिन्हा ने बताया : वर्ष 1739 में ईरान के नादिर शाह द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के बाद उनके पूर्वज दिल्ली से बिहार के बक्सर आकर बस गये थे. फरवरी में मिन्नेसोता की सरदी से बचने, संबंधियों से मिलने, गांव के दोस्तों और अन्य लोगों से मिलने के लिए मैं लगभग हर साल अपने गांव चुरामनपुर जाता हूं. श्री सिन्हा के 100 से ज्यादा पत्र प्रकाशित हुए हैं और उन्होंने लगभग 25 वर्ष तक स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में अध्यापन का कार्य किया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें