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गूगल सर्च में जोडतोड भारतीय चुनाव में वोटों को कर सकती है प्रभावित

वाशिंगटन : भारत में हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के संबंध में किया गया विश्लेषण बताता है कि गूगल खोज के परिणामों को बदलना लोकतंत्र के लिए एक बडा खतरा पैदा कर सकता है क्योंकि यह उन मतदाताओं की पसंद पर बडा असर डालता है जो अनिर्णय की स्थिति में हैं और जहां कांटे […]

वाशिंगटन : भारत में हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के संबंध में किया गया विश्लेषण बताता है कि गूगल खोज के परिणामों को बदलना लोकतंत्र के लिए एक बडा खतरा पैदा कर सकता है क्योंकि यह उन मतदाताओं की पसंद पर बडा असर डालता है जो अनिर्णय की स्थिति में हैं और जहां कांटे का मुकाबला है वहां वोटों को एक ओर झुका सकता है. हालिया सप्ताह में भारत में किए गए अध्ययन में बताया गया है कि गूगल में चुनावों को फिक्स करने की ताकत है और इसके लिए ‘‘किसी को कोई बहुत अधिक दिमाग लगाने की जरुरत नहीं है.’’

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि ऐसा संभव होता है लोगों के विचारों पर पडने वाली गूगल सर्च की खोज रैकिंग से. अध्ययनों में पाया गया कि जिस खोज की रैंकिंग जितनी अधिक होती है, उसके परिणामों पर लोग उतना ही अधिक भरोसा करते हैं और यही वजह है कि कंपनियां अपने उत्पाद की रैंकिंग बढाने के लिए अरबों रुपये खर्च करती हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘‘ इसलिए यदि नरेन्द्र मोदी के मुकाबले अरविंद केजरीवाल के पक्ष में खोज परिणामों को अधिक रैंकिंग मिली है तो इससे वोट केजरीवाल के पक्ष में जाते हैं.’’ पिछले साल अमेरिका में किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में खोज रैंकिंग अनिर्णय में पडे मतदाताओं की पसंद को उस उम्मीदवार के पक्ष में 15 फीसदी या उससे अधिक तक बढा सकती है.

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