16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

अज्ञात और अनिश्चितता को गले लगाने से ही जीवन में उत्साह

श्री श्री रविशंकर अज्ञात का डर मनुष्य की एक सामान्य प्रवृत्ति है. अधिकतर लोग निरंतर इसी कार्य में व्यस्त रहते हैं कि उनकी दुनिया बिल्कुल वैसी हो जैसी उन्होंने अपने मन में कल्पना की थी. लेकिन वास्तविकता यह है कि तब तक विकास की संभावना नहीं होती, जब तक कि अज्ञात को गले ना लगाया […]

श्री श्री रविशंकर
अज्ञात का डर मनुष्य की एक सामान्य प्रवृत्ति है. अधिकतर लोग निरंतर इसी कार्य में व्यस्त रहते हैं कि उनकी दुनिया बिल्कुल वैसी हो जैसी उन्होंने अपने मन में कल्पना की थी. लेकिन वास्तविकता यह है कि तब तक विकास की संभावना नहीं होती, जब तक कि अज्ञात को गले ना लगाया जाए.
जब हम जीवन में से रहस्यमय या आश्चर्य देने वाले तत्वों को बाहर निकाल देते हैं, तब हम न केवल विकास को रोक देते हैं, बल्कि अनजाने में अपने जीवन को मशीनी बना देते हैं. जैसे उस खेल को देखने में कुछ आनंद नहीं आता जिसका परिणाम हमें पहले से ही पता होता है. इसी प्रकार जीवन में यदि सब कुछ पूर्व निर्धारित हो तब वह नीरस व उबाऊ हो जायेगा, मशीनी सा बन जायेगा.
जीवन ज्ञात और अज्ञात का मिश्रण है. देखने में यह दोनों एक दूसरे के विपरीत लगते हैं, लेकिन यदि इन दोनों में से एक भी कम हो जाये तो जीवन अधूरा हो जायेगा.
सीमित धारणा के क्षेत्र में हमारे भीतर एक भाग है जो कि किसी मत के लिए निश्चित है. एक अलग भाग है जो कि हमें हमेशा अज्ञात का पता लगाने के लिए उकसाता रहता है, जो कई रहस्यों के बारे में आश्चर्य पैदा कर रहा है. बुद्धिमान वही है जो अनिश्चितता का सामना करने और उसमें से उत्तम अवसर पैदा करने की कुशलता विकसित कर लेता है. यदि निरंतर परिवर्तनशील संसार के प्रति मन विश्राम की स्थिति में रहता है, तो जीवन द्वारा उपलब्ध अवसरों व सम्भावनाओं का भरपूर लाभ और उपयोग हो सकता है.
समझदार वह है जो अनिश्चितताओं को विस्मय के भाव से देखते हैं. विस्मय से नये ज्ञान का आरंभ होता है. सृजनशीलता आश्चर्यचकित हो जाने से उभरती है. यह रवैया कि ‘मुझे पता है’ व्यक्ति को संकुचित व बंद कर देता है. ‘मुझे नहीं पता’ कई नयी संभावनाओं को जन्म देता है.
जब कोई इस विचार से चलता है कि ‘मुझे सब पता है’ तो वह एक निश्चित अवधारणा में फंसा रहता है. अक्सर लोग गुस्से में आकर यह कहते हैं कि ‘मुझे नहीं पता’. यह बेतुका ‘मुझे नहीं पता’ और विस्मय से भरा ‘मुझे नहीं पता’ दोनों अलग हैं.
आश्चर्य किसी भी वस्तु का ज्ञान प्राप्त करने की अंतहीन संभावना उत्पन्न कर देती है जो कि उन्नति का पथ बन जाता है. जितना अधिक जानते रहते हो उतनी ही अधिक अज्ञात के प्रति जिज्ञासा बनी रहती है. उपनिषद में यह बहुत सुंदर वाक्य कहा गया है, ‘जो यह कहता है कि मुझे नहीं पता’ वह जानता है, और जो यह कहता है कि ‘मुझे पता है’ उसे कुछ नहीं पता. कहा जाता है कि, जितना आपको पता है वह अज्ञात के मुकाबले हिमशैल की ऊपर दिखनेवाली चोटी भर है.
आश्चर्य किसी पुरानी बात के लिए ही नहीं होता है. पक्का मत उसके लिए हो सकता है, जो कि नया नहीं है. जीवन नवीन व प्राचीन का मिश्रण है. जो व्यक्ति केवल आश्चर्यचकित रहता है वह खोया-खोया और भ्रमित लगता है.
जो सब बातों के प्रति पूर्ण रूप से निश्चित होता है, वह हर बात को लापरवाही से देखता है, वह निष्क्रिय और सुस्त हो जाता है. दोनों पक्षों का भलीभांति ज्ञान जीवन को आकर्षक बना देता है. निश्चितता और विस्मय के भाव का पूर्ण संतुलन ही जीवन में विकास का प्रतीक है.
विस्मय तब उदय होता है, जब मन का सामना किसी ऐसे तत्व से होता है, जिसको वह विशाल के रूप में देखता है. यह विस्तार की भावना लाता है.
जब हम विस्मय की स्थिति में होते हैं, तब हम वस्तुओं को एक अलग दृष्टि से देखते हैं और हमारी अवलोकन की शक्ति पैनी हो जाती है. विस्मय की भावना जागरूकता बढ़ा देती है और जब हम जाग जाते हैं, तब देखते हैं कि समस्त सृष्टि आश्चर्यों से पूर्ण है. यदि कोई सृष्टि के आश्चर्यों की महिमा को नहीं देख पाता तो उसकी आंखें अभी खुली नहीं हैं. जब जाग्रत अवस्था में विस्मय के भाव के साथ आंखें बंद होती हैं, वही ध्यान है.
दुनिया के बारे में हमारी अनुभूति का, जो सत्य है उसके परिप्रेक्ष्य में, महत्व नहीं है. यह सृष्टि अथाह रहस्यमय है और जब हम इस के प्रति निश्चित हो जाते हैं, तब यह रहस्य और अधिक गहन हो जाते हैं. सृष्टि के रहस्य की गहनता विज्ञान है और आत्म के रहस्य की गहनता आध्यात्मिकता है. यदि न तो विज्ञान और न ही आध्यात्मिकता आपके अंदर विस्मय जगाते हैं तो अभी आप गहन निद्रा में हो. विस्मय आपके भीतर अनुसंधान की इच्छा जगाता है.
मनुष्य के भीतर जीवन को जानने की तीव्र इच्छा के कारण ही मानवता का विकास का संभव हो पाया. यद्यपि हम जिज्ञासा के भाव के साथ ही पैदा होते हैं, तथापि जब हमारे जीवन में विस्मय तत्व नहीं रहता तब हम अपने जानने की प्रकृति को भी खो बैठते हैं. अपनी सफलता व उन्नति के लिए जिज्ञासा के भाव को जगाना अति आवश्यक है. सिर्फ निश्चितता हमें सुस्त और निष्क्रिय बना देती है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel