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रिपोर्ट: कॉलेजों में यौन उत्पीड़न 100% बढ़ा

नेशनल कंटेंट सेल-मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने यूजीसी रिपोर्ट के हवाले से कहादेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 2016 की तुलना में 2017 में यौन उत्पीड़न के मामलों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सोमवार को लोकसभा में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए […]

नेशनल कंटेंट सेल
-मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री ने यूजीसी रिपोर्ट के हवाले से कहा
देश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 2016 की तुलना में 2017 में यौन उत्पीड़न के मामलों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सोमवार को लोकसभा में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए यह जानकारी दी. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए सत्यपाल सिंह ने कहा कि 2017 में यौन उत्पीड़न के 149 मामले विश्वविद्यालयों और 39 मामले कॉलेजों एवं अन्य संस्थानों से दर्ज किये गये.

साल 2016 में 94 ऐसे मामले विश्वविद्यालयों और 18 कॉलेजों और संस्थानों से दर्ज किये गये थे. 2017 में रैगिंग के 901 मामले दर्ज किये गये, जबकि 2016 में रैगिंग के 515 मामले सामने आये थे. 8 जनवरी, 2013 को यूजीसी की पूर्व सदस्य मीनाक्षी गोपीनाथ की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स गठित किया था, जिसमें उच्च शिक्षा संस्थानों में लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा तथा सुरक्षा के लिए मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा की गयी थी.

आयोग ने टास्क फोर्स की रिपोर्ट पर छात्राओं और महिला कर्मचारियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाओं से निबटने के लिए विशिष्ट नियम बनाये. इसमें ऐसी सभी शिकायतों पर कार्रवाई के लिए नीतिगत संस्थानों की आवश्यकता बतायी गयी. इसमें तीसरे पक्ष द्वारा भी शिकायत दर्ज कराने का प्रावधान किया गया है. तीसरा पक्ष पीड़ित या पीड़िता का मित्र, सहकर्मी या अन्य रिश्तेदार हो सकता है.

शिकायतों पर कार्रवाई के लिए संस्थान बाध्य

यूजीसी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (विनियमन, निषेध और महिला कर्मियों के यौन उत्पीड़न और उच्च शैक्षिक संस्थानों में छात्रों के निवारण) विनियम, 2015 को अधिसूचित किया. यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने विनियम के संबंध में बताया कि अपराध होने के तीन महीने के अंदर संबंधित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिकायत दर्ज की जानी चाहिए. नियमों का पालन करने में असफल रहने वाले संस्थानों को फंड में कटौती सहित अन्य कार्रवाई का सामना करना होगा. यूजीसी के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कॉलेज या विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति 90 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी करने के लिए जिम्मेदार है और अधिकारियों को 30 दिनों के भीतर कार्रवाई करनी होगी. आरोपी यदि दोषी पाया जाता है, तो विश्वविद्यालय या कॉलेज उस छात्र को बर्खास्त कर सकता है, जबकि कर्मचारी या शिक्षक के मामले में सर्विस नियम के अनुसार कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा.

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