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हर किसी के जीवन के प्रति ऐसे बनें संवेदनशील

सद्गुरु जग्गी वासुदेव आध्यात्मिक गुरु जीवन में परफेक्शन जैसा कुछ नहीं होता, याद रखना चाहिए कि अगर कोई बाहरी चीज हमें तकलीफ नहीं देती है, तो हम खुद एक- दूसरे को तकलीफ देना शुरू कर देते हैं. जीवन में आप कोशिश कर रहे हैं या नहीं, आप ईमानदार हैं या नहीं, बस यही मायने रखता […]

सद्गुरु जग्गी वासुदेव
आध्यात्मिक गुरु
जीवन में परफेक्शन जैसा कुछ नहीं होता, याद रखना चाहिए कि अगर कोई बाहरी चीज हमें तकलीफ नहीं देती है, तो हम खुद एक- दूसरे को तकलीफ देना शुरू कर देते हैं. जीवन में आप कोशिश कर रहे हैं या नहीं, आप ईमानदार हैं या नहीं, बस यही मायने रखता है.
जीवन के संदर्भ में परफेक्ट होने, न होने का सवाल कभी नहीं होता.
हम अपने परिवार, समाज, शहर या फिर देश के अंदर एक-दूसरे को कई तरीकों से परेशान करना शुरू कर देंगे. हम एक-दूसरे के बारे में गलत तरीके से राय कायम करने लगेंगे. अगर आपको अपने आस-पास के हर इंसान में बहुत सारी कमियां दिखती हैं, तो दरअसल आप ही पूरी तरह गलत हैं, क्योंकि आपने जीवन की प्रकृति को नहीं समझा है. आप परफेक्शन की तलाश कर रहे हैं. लेकिन परफेक्शन का मतलब सिर्फ मृत्यु है. इंसान सिर्फ अपनी मृत्यु में ही परफेक्ट हो सकता है. दूसरों की गलतियां ढूंढ़ते हुए मत फिरें.
एक बार ऐसा हुआ कि एक महिला मांस की दुकान पर गयी. वहां उसने दर्जनों मुर्गे लटकते हुए देखे. वह गयी, एक मुर्गे का पैर उठाया, सूंघा. फिर दूसरा पैर उठाकर सूंघा. इसके बाद उसने पंख उठाकर सूंघा. इस तरह वह एक के बाद एक मुर्गे के साथ ऐसा करती रही.
तभी कसाई उसके पास आया और उसके कंधे पर थपकी देकर बोला, ‘मैडम, क्या आप खुद ऐसे टेस्ट में पास हो सकती हैं?’इसलिए आप सूंघते हुए मत घूमिए कि किसमें क्या बुराई है. सबमें थोड़ी-बहुत बदबू है. हर पेड़-पौधे की जड़ कहीं न कहीं कीचड़ में है. सवाल बस इसका है कि क्या उसमें खुशबूदार फूल आते हैं? अगर उसकी जड़ें साफ होंगी, तो उसमें कुछ भी अच्छा नहीं खिलेगा. जीवन की प्रकृति यही है.
धरती पर हर चीज रूपांतरण की प्रक्रिया में है. क्या आप रूपांतरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं? सबसे बड़ा सवाल यही है. संवेदनशील न होना सबसे भयंकर अपराध है, क्योंकि अगर आप जीवन के प्रति संवेदनशील होते, तो जो करना आपके बस में है, उसे आप हर हाल में अच्छी तरह करते. क्योंकि हमारा जीवन बहुत खर्चीला है. हमें खाने, सोने, काम करने के लिए कितनी सारी व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं.
जूतों से लेकर कपड़ों और घर तक, हमें कितना कुछ जुटाना पड़ता है. इतने खर्च के बाद आपको बाकी जीवों से कुछ बेहतर तो करना ही चाहिए. इंसान ने बहुत-सी बढ़िया चीजें की हैं, मगर हर बढ़िया चीज के साथ हमने कम से कम एक भयानक चीज जरूर की है. आध्यात्मिक प्रक्रिया का मतलब है कि आप रोजाना अपनी भयानक चीजों को कम कर रहे हैं.
एक भयानक विचार, एक भयानक भाव, एक भयानक शब्द, एक भयानक काम, हर दिन एक को कम करते जाइए और एक-दो महीनों में आप बेहतर इंसान होंगे. इंसानों की सबसे भयानक चीज यह है कि वे अपने आप में कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहते हैं. उन्हें किसी दूसरे जीवन की पीड़ा और कष्ट से कोई लेना-देना नहीं होता. जबकि आप अपने साथ होनेवाली चीजों के लिए अति संवेदनशील होते हैं. इस स्थिति में इंसान की सबसे बेहतर प्रकृति व्यक्त नहीं हो सकती.
आपको संवेदनशील होना ही होगा. मैं जानता हूं कि दुनिया में संसाधनों के लिए, हर चीज के लिए प्रतियोगिता है और थोड़ा-बहुत टकराव होता ही रहेगा. मैं इन चीजों से बेखबर नहीं हूं, मगर आपको कम से कम अपने अंदर होने वाले टकराव को खत्म करना चाहिए. आपके विकास के लिए यह बहुत अहम है कि आप अपने आस-पास मौजूद हर किसी के जीवन के प्रति संवेदनशील बनें.

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