वाराणसी पंचांग के अनुसार, इस बार मां भवानी का आगमन डोली में हो रहा है
शारदीय नवरात्र 21 सितंबर गुरुवार से शुरू हो रहा है. इसी दिन कलश स्थापना कर मां की विधिवत आराधना शुरू कर दी जायेगी़ वाराणसी पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली में हो रहा है. यह शुभ नहीं माना जाता है.
वहीं, मां का गमन घोड़े पर है. यह भी शुभ नहीं है. घोड़े पर जाने से युद्ध व अत्यधिक वृष्टि से खेती में क्षति होगी. मिथिला पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली पर और गमन चरना युद्ध (मुर्गा) पर हो रहा है़ आगमन और गमन दोनों का फल शुभ नहीं है़ बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का आगमन नाव पर हो रहा है. इसका फल शुभ माना जा रहा है. वहीं, मां का गमन घोड़ा पर हो रहा है.
प्रात: काल से ही शुरू हो जायेगी पूजा-अर्चना
शारदीय नवरात्र की पूजा-अर्चना अौर कलश स्थापना सूर्योदय के बाद से ही शुरू हो जायेगी. इस बार प्रतिपदा काफी कम समय के लिए मिल रहा है.डॉ सुनील बर्मन ने कहा कि वाराणसी पंचाग के अनुसार 21 सितंबर को प्रतिपदा 9:58 बजे तक ही है, जिस कारण भक्तों को कलश स्थापना करने के लिए काफी कम समय मिलेगा. हालांकि उदया तिथि में प्रतिपदा मिलने के कारण सारा दिन प्रतिपदा मान्य होगा. इस दिन 12:37 से 1:25 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है, जिसमें कलश स्थापना का विशेष महत्व है. 27 सितंबर को महासप्तमी है, इस दिन वाराणसी पंचांग के अनुसार शाम 5:20 बजे तक महासप्तमी है.
इसके बाद से महाअष्टमी लग जायेगी, जिस कारण निशा पूजा इसी रात होगी. महाअष्टमी की पूजा व व्रत 28 सितंबर शुक्रवार को होंगे. इस दिन उदयकाल में सूर्योदय मिल रहा है. इसलिए शुक्रवार को अष्टमी तिथि मान्य है . शनिवार को महानवमी और रविवार को विजयादशमी है, इस दिन शारदीय नवरात्र का समापन हो जायेगा.
इस बार दुर्गा पूजा में बारिश की संभावना
दुर्गा पूजा में बारिश की संभावना बन रही है़ मिथिला पंचांग के अनुसार 21 सितंबर से पांच अक्तूबर तक खंड वृष्टि योग है. वहीं, 27 सितंबर से हस्ता नक्षत्र शुरू हो रहा है. पंडित कपिलदेव मिश्र ने कहा कि इस नक्षत्र के अलावा स्त्री-पुरुष योग भी है, जिस कारण इसमें बारिश की प्रबल संभावना है.
किस दिन कौन-सा पर्व है
17 सितंबर विश्वकर्मा की पूजा
19 सितंबर अमावस्या व महालया
21 सितंबर शारदीय नवरात्र आरंभ
27 सितंबर महासप्तमी
28 सितंबर महाअष्टमी
29 सितंबर महानवमी
30 सितंबर दशहरा
एक अक्तूबर एकादशी
पांच अक्तूबर कोजागरा व लक्खी पूजा
आठ अक्तूबर करवाचौथ
12 अक्तूबर अहोई अष्टमी
15 अक्तूबर रमा एकादशी
17 अक्तूबर धनतेरस व तुला संक्रांति
18 अक्तूबर नरक चतुर्दशी
19 अक्तूबर दीपावली
20 अक्तूबर गोवर्धन पूजा
21 अक्तूबर भैया दूज
26 अक्तूबर छठ पूजा
पांच अक्तूबर गुरुवार को कोजागरा व लक्खी पूजा है. 17 अक्तूबर को धनतेरस और 19 अक्तूबर गुरुवार को लक्ष्मी पूजा है. गुरुवार को लक्ष्मी पूजा पड़ने के कारण इसकी महत्ता बढ़ गयी है. मालूम हो कि गुरुवार भगवान विष्णु का दिन है. इस कारण इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. भक्तों को एक साथ तीन देवता के पूजन का लाभ मिलेगा. 26 अक्तूबर को छठ व्रत है. 27 को उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा. 31 अक्तूबर को प्रबोधिनी एकादशी है. इसी दिन भगवान चार महीने के बाद जगेंगे. उसके बाद से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. वहीं चार नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है.
