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चीन एनआइए आरोपपत्र के बावजूद आतंकवादी मसूद अजहर पर अपने रुख पर कायम

बीजिंग : पठानकोट आतंकवादी हमला मामले में मसूद अजहर के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने के भारत के कदम का चीन पर कोई ज्यादा असरपड़ता नजर नहीं आ रहा है क्याेंकि उसने आज कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख पर संयुक्त राष्ट्र पाबंदी लगाने से संबंधित भारत का कोई भी कदम सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित नियमों एवं […]

बीजिंग : पठानकोट आतंकवादी हमला मामले में मसूद अजहर के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने के भारत के कदम का चीन पर कोई ज्यादा असरपड़ता नजर नहीं आ रहा है क्याेंकि उसने आज कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख पर संयुक्त राष्ट्र पाबंदी लगाने से संबंधित भारत का कोई भी कदम सुरक्षा परिषद द्वारा निर्धारित नियमों एवं प्रक्रियाओं के अनुरूप होना चाहिए. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने पठानकोट में वायुसेना स्टेशन पर आतंकवादी हमले के मामले में एनएआइ द्वारा आरोपपत्र में अजहर को सूचीबद्ध किये जाने के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘1267 समिति में सूचीबद्ध करने के प्रश्न पर मैं कई बार चीन का रुख प्रकट कर चुका हूं.’ मसूद अजहर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख है. हुआ नेयहां एक लिखित जवाब में कहा, ‘‘1267 समिति में सूचीबद्ध करने का कदम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों एवं समिति के प्रक्रिया नियम के तहत होना चाहिए.’ एनआइए ने अजहर, उसके भाई और दो अन्य के खिलाफ पठानकोट हमले की साजिश रचने को लेकर सोमवारको आरोपपत्र दायर किया था. इस हमले में सात सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे जबकि 37 अन्य घायल हुए थे.

हुआ का जवाब ऐसे वक्त आया है जब सुरक्षा परिषद के 1267 समिति नियमों के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने के भारत के कदम पर चीन का तकनीकी स्थगन इसी महीने के आखिर में समाप्त होगा.

सुरक्षा परिषद में वीटो पावर वाले चीन ने परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत अजहर पर पाबंदी लगाने की भारत की कोशिश इकत्तीस मार्च को रोक दी थी.

पंद्रह सदस्यीय इस परिषद में चीन ही एकमात्र ऐसा सदस्य था जिसने भारत के आवेदन पर ब्रेक लगा दिया था. बाकी 14 सदस्यों ने अजहर को 1267 पाबंदी सूची में डालने की भारत की कोशिश का समर्थन किया था. ऐसा हो जाने पर उसे संपत्ति पर रोक एवं यात्रा पर पाबंदी से दो-चार होना पड़ता.

यहां अधिकारियों ने कहा कि भारत को अपने मामले के संबंध में दबाव बनाने के वास्ते आरोपपत्र के विवरण के साथ फिर 1267 समिति में आवेदन करनापड़ सकता है क्योंकि उसका वर्तमान आवेदन का समय चीन के दो तकनीकी स्थगनों के कारण समाप्त हो जाएगा.

दोनों ही देश अजहर के मामले तथा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल होने के भारत के आवेदन को रोकने के चीन के कदम पर बातचीत कर रहे हैं. जानपड़ता है कि वार्ता में कोई खास बात नहीं बन पायी है क्योंकि चीन ने 12 दिसंबर को कह कि इन दोनों मामलों में कोई बदलाव नहीं आया.

विदेश मंत्रालय के अन्य प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था, ‘‘परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के लिए भारत के आवेदन और 1267 के प्रस्ताव सेजुड़ा सूचीबद्ध संबंधी मुद्दे पर चीन का कोई अपरिवर्तित है. ‘ गेंग ने यह बयान विदेश सचिव एस जयशंकर की एक टिप्पणी के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में दिया था. जयशंकर ने पिछले हफ्तेनयी दिल्ली में भारत-चीन थिंक टैंक फोरम में कहा था कि चीन को परमाणु प्रौद्योगिकी हासिल करने की भारत की कोशिश को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए विदेश सचिव का इशारा भारत के एनएसजी प्रयास पर चीन द्वारा अड़ंगा लगाये जाने की ओर था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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