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अमेरिका और फिलीपीन की संयुक्त गश्तों का चीन ने किया विरोध

बीजिंग : चीन ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और फिलीपीन की संयुक्त गश्तों का ‘कडा विरोध’ जताते हुए कहा कि यह ‘हानिकारक’ कदम क्षेत्रीय विरोधों को भडकाएगा और इस विवादित क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगा. चीनी विदेश मंत्रालय ने पेंटागन के उस बयान पर अपना रुख स्पष्ट किया है, जिसके तहत […]

बीजिंग : चीन ने दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और फिलीपीन की संयुक्त गश्तों का ‘कडा विरोध’ जताते हुए कहा कि यह ‘हानिकारक’ कदम क्षेत्रीय विरोधों को भडकाएगा और इस विवादित क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचाएगा. चीनी विदेश मंत्रालय ने पेंटागन के उस बयान पर अपना रुख स्पष्ट किया है, जिसके तहत कहा गया था कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिका-फिलीपीन की संयुक्त गश्तें ‘नियमित’ रुप से होंगी. मंत्रालय ने कहा कि चीन ‘‘किसी भी देश द्वारा किसी भी रुप में चीन की संप्रभुता एवं सुरक्षा का उल्लंघन किये जाने के खिलाफ कडा विरोध” जताता है.

विदेश मंत्रालय ने सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ को बताया, ‘‘सैन्य आदान-प्रदान के तहत किसी तीसरे पक्ष को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. यहां यह बताने की जरुरत नहीं है कि चीन की संप्रभुता और सुरक्षा से छेडछाड करने के लिए कुछ देशों को सहयोग देने से क्षेत्रीय विरोध भडकते हैं ओर इससे क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता को नुकसान पहुंचता है.” चीनी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और फिलीपीन के बीच संयुक्त गश्तों से क्षेत्र का सैन्यीकरण हुआ है. यह क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए नुकसानदायक है.”

मंत्रालय का यह बयान अमेरिका की ओर से कल यह कहे जाने के बाद आया है कि उसने फिलीपीन के साथ दक्षिण चीन सागर में संयुक्त गश्त शुरू किया है और 275 सैनिक तथा पांच हमलावर विमान अस्थायी तौर पर फिलीपीन में मौजूद रहेंगे. अमेरिका के रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कल मनीला में इस बात की पुष्टि की कि अमेरिका और फिलीपीन ने पहले भी इस तरह के गश्त आयोजित किए हैं.

बयान में कहा गया, ‘‘चीनी सेना स्थिति पर करीब से निगाह रखेगी और चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता एवं समुद्री हितों की दृढता के साथ रक्षा करेगी।” मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका और फिलीपीन सैन्य गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं, अग्रिम मोर्चे पर सैन्य तैनाती बढा रहे हैं और विशिष्ट लक्ष्यों को लेकर संयुक्त सैन्य अभ्यास करना शीत युद्ध वाली मानसिकता को दर्शाता है तथा यह दक्षिण चीन सागर की शांति एवं स्थिरता के खिलाफ है.

मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम संबंधित पक्षों से अपील करते हैं कि वे दक्षिण चीन सागर में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के क्षेत्रीय देशों के प्रयासों का सम्मान करें।” मंत्रालय के अधिकारियों ने अखबार को बताया कि बीजिंग इस क्रम में होने वाले बदलावों पर नजर रखेगा। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में सामान्य स्थिरता को ‘‘चीन और संबंधित देशों के संयुक्त प्रयासों के जरिए” बनाए रखा गया है.

अमेरिका और फिलीपीन के संयुक्त गश्त की खबर देते हुए ग्लोबल टाइम्स ने कहा, ‘‘अमेरिका भारत और फिलीपीन को छोटे नाटो के रुप में शामिल करने की दिशा में बढ रहा है.” दक्षिण चीन सागर पर हाइनान के विशेषज्ञ लिउ फेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा कि अमेरिका द्वारा दक्षिण चीन सागर में उठाए गए कदमों से प्रदर्शित होता है कि वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अपनी छोटी-नाटो संरचना में भारत और फिलीपीन को शामिल करना चाहता है. लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को लेकर उसके और फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान के बीच विवाद रहा है. फिलीपीन इस विवाद को ‘यूएन कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ सीज’ :यूएनसीएलओएस: में लेकर गया था। न्यायाधिकरण की कार्यवाही का चीन ने बहिष्कार किया था.

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