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स्वास्थ्य योजनाओं की फेहरिस्त लंबी

मित्रो,राज्य में दो तरह के स्वास्थ्य कार्यक्रम चल रहे हैं. पहली श्रेणी में वैसी स्वास्थ्य सेवाएं हैं, जो केंद्र प्रायोजित हैं और राज्य सरकार को उनमें से कुछ कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं में 15 प्रतिशत और कुछ में 25 प्रतिशत तक वित्तीय भागीदारी निभानी है. केंद्र प्रायोजित योजनाएं करीब सात हैं, जिनमें आधारभूत संसाधन विकसित करने […]

मित्रो,
राज्य में दो तरह के स्वास्थ्य कार्यक्रम चल रहे हैं. पहली श्रेणी में वैसी स्वास्थ्य सेवाएं हैं, जो केंद्र प्रायोजित हैं और राज्य सरकार को उनमें से कुछ कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं में 15 प्रतिशत और कुछ में 25 प्रतिशत तक वित्तीय भागीदारी निभानी है. केंद्र प्रायोजित योजनाएं करीब सात हैं, जिनमें आधारभूत संसाधन विकसित करने से जुड़ी योजनाएं भी शामिल हैं.

इन पर केंद्र सरकार लगभग 473 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. दूसरी श्रेणी में राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाएं और सेवाएं हैं. ऐसी योजनाओं और सेवाओं की संख्या करीब 52 है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग का इस साल का बजट 655 करोड़ का है. यानी बजट के मामले में स्वास्थ्य विभाग राज्य के महत्वपूर्ण विभागों की श्रेणी में है. इसमें केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि भी शामिल है. इन सब के बावजूद स्वास्थ्य के मामले में झारखंड की स्थिति चिंताजनक है. स्वास्थ्य जागरूकता के मामले में भी राज्य पीछे है. महिला और बाल स्वास्थ्य को लेकर केंद्र सरकार लगातार कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. फिर भी चुनौतियां बनी हुई हैं.

10 में से आठ बच्चे एनिमिया से पीड़ित हैं. प्रजनन के दौरान बाल मृत्यु दर में कमी आयी है, लेकिन थमी नहीं है. संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन मिला है, लेकिन असुरक्षित प्रजनन के मामले ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी कम नहीं हैं. 12-23 माह के 10 प्रतिशत बच्चों का ही पूर्ण टीकाकरण हो पा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 45 प्रतिशत महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है.

85 प्रतिशत महिलाओं को एड्स के बारे में जानकारी नहीं है. ऐसी परेशानियों और चुनौतियों की फेहरिस्त लंबी है. दूसरी ओर झारखंड को स्वस्थ राज्य बनाने के लिए सरकार की योजनाओं की फेहरिस्त भी कम लंबी नहीं है. हम उनमें से प्रमुख घटकों की यहां चर्चा कर रहे हैं, ताकि आम आदमी को यह पता चले कि सरकार के प्लान का आकार और उसकी दिशा क्या है? स्वास्थ्य विभाग किस तरह काम कर रहा है और सरकारी राशि का कितना सदुपयोग हो रहा है, यह जानना आम आदमी का अधिकार है. सच यह है कि सरकार के जंबो जेट बजट का बड़ा हिस्सा हर साल घोटाले की भेट चढ़ जाता है. केंद्रीय योजनाओं का पैसा खर्च नहीं होता व योजनाएं अधूरी पड़ी रह जाती हैं. आप ऐसी सूचनाओं को हासिल कर सकते हैं.

आरके नीरद

स्वास्थ्य उप केंद्र
राज्य में 160 नये स्वास्थ्य उप केंद्र चल रहे हैं. इस वित्त वर्ष में 150 नये उप स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया जाना है. जहां भवन बन चुका है, वहां मशीन, उपकरण, दवा आदि के लिए फंड दिया जाना है. इसके लिए 28 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
पिछले वित्त वर्ष में 35 नये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने की योजना स्वीकृत हुई है. इन्हें पूरा नहीं किया जा सका. इसे इस साल की योजना लक्ष्य में शामिल किया गया है. इस साल 30 और नये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण कराने का लक्ष्य विभाग ने तय किया. इस तरह इस साल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की 65 योजनाएं चल रही हैं. भवन निर्माण के बाद इन केद्रों में मशीन,उपकरण, दवा आदि की खरीद भी की जानी है. इसके लिए सरकार ने 36 करोड़ रुपये खर्च करने का प्लान बनाया है.

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
पिछले वित्त वर्ष में चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र निर्माण की योजना शुरू की गयी, जिनमें से एक भी योजना पिछले साल पूरी नहीं हुई. इन सभी योजनाओं को इस साल पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. भवन निर्माण के बाद यहां भी मशीन, उपकरण और दवा आदि की व्यवस्था की जानी है. इसके लिए 62 करोड़ रुपये का प्रावधान है.

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्र
इसके तहत भी पिछले साल की अधूरी योजनाओं को इस साल पूरा किया जाना है. भवन निर्माण के अलावा मशीन, उपकरण, दवा आदि की व्यवस्था की जानी है. इसके लिए सरकार ने 4.5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

रेफरल अस्पताल
राज्य भर में चल रहे रेफरल अस्पतालों की मरम्मत और उनके नकीकरण का सरकार ने इस साल जो लक्ष्य तय किया है, उस पर एक करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं.

सिविल सजर्न कार्यालयों का निर्माण
राज्य में दो सिविल सजर्न कार्यालयों का निर्माण कार्य चल रहा है. इन्हें अगले वित्त वर्ष में पूरा होना है. इस पर इस साल 1.3 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.

कॉलेज स्थापना
होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल गोड्डा, यूनानी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल गिरिडीह, आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल चाईबासा तथा आयुर्वेदिक फार्मेसी कॉलेज साहिबगंज और गुमला के लिए पांच करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

इनसे करें संपर्क

मुख्यालय स्तर

बीके त्रिपाठी, प्रधान सचिव 0651-2491033

मनीष रंजन, मिशन निदेशक (एनआरएचएम) 0651-2211018

विनोद कुमार मिश्र, संयुक्त सचिव 9431270013

शुभ्रा वर्मा, संयुक्त सचिव

राजेश कुमार वर्मा, उप सचिव 0651-2490114

सुरेश कुमार दुधानी, उप सचिव 9431162139 / 0651-2490185

राम कुमार सिन्हा, उप सचिव 9431379888 0651-2490185

सिया शरण पासवान, उप सचिव 0651-2490125 / 9386823340

डॉ प्रवीण चंद्रा, डायरेक्टर इन चीफ ( स्वास्थ्य सेवा ) 0651-2261218 / 9204855272

डॉ टीपी वर्णवाल, डायरेक्टर इन चीफ ( खाद्य ) 9431367300/ 0651-2261856

डॉ एस मुखोपाध्याय, डायरेक्टर इन चीफ ( औषधि ) 9835124800/ 0651-2261856

डा तुलसी महतो, निदेशक , 9431344234/ 0651-2540629

डॉ एस झा, निदेशक, आयुष 9835347429

एएन मिश्र, प्रधानाचार्य, एमजीएम जमशेदपुर 0657-2462108 / 9470124028

डॉ अरु ण कुमार चौधरी, प्रधानाचार्य, पीएमसीएच, धनबाद 0326-2230465 / 9471191666

डा एसके चौधरी, अधीक्षक, 9334860100 / 0651-2542700

डॉ आरवाई चौधरी, प्रभारी अधीक्षक, एमजीएमसीएच, जमशेदपुर

डॉ. अरु ण कुमार, अधीक्षक, पीएमसीएच , धनबाद 0326-2204730 / 9431351170

वार्षिक प्रस्तावित योजना, क्षेत्रवार खर्च व राज्य का शेयर

सीएसएस / सीएस : 20.10

अनुदान सहायता : 235.00

सतत योजना स्टेट प्लान : 399.90

कुल योग : 655.00

(राशि लाख में)

Prabhat Khabar Digital Desk
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