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मलाला युसूफजई के हमलावरों को पाकिस्तान ने छोडा

इस्लामाबाद : नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई के हमलावर जेल के बाहर घूम रहे हैं. इस बात का खुलासा पाकिस्तान के खुफिया सूत्रों से हुई है. सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार मलाला पर जानलेवा हमला करने वाले 10 तालिबानी आतंकियों में से आठ जेल में नहीं हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार जेल में […]

इस्लामाबाद : नोबल शांति पुरस्कार विजेता मलाला युसूफजई के हमलावर जेल के बाहर घूम रहे हैं. इस बात का खुलासा पाकिस्तान के खुफिया सूत्रों से हुई है. सूत्रों के प्राप्त जानकारी के अनुसार मलाला पर जानलेवा हमला करने वाले 10 तालिबानी आतंकियों में से आठ जेल में नहीं हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार जेल में मात्र दो ही आतंकी बचे हैं जबकि बाकी आठ को तो सजा के फौरन बाद ही गुपचुप तरीके से छोड़ दिया गया.

आपको बता दें कि अप्रैल में पाकिस्तानी कोर्ट ने मलाला युसूफजई पर हमला करने वालों को सजा सुनाई थी. इस हमले और षड्यंत्र में शामिल होने वाले 10 तालिबानी आतंकियों को कोर्ट ने 25 साल जेल की सजा सुनाई थी लेकिन उसके बाद जेल में मात्र दो आतंकी ही बचे हैं. इस खबर के सामने आने के बाद पाकिस्तान की मुश्‍किलें बढ़ सकतीं हैं.

मलाला लड़कियों की शिक्षा अनिवार्य करने के लिए आवाज उठाने वाली पाकिस्तानी छात्रा हैं जिसे नोबेल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. डेली मेल अखबार में छपी खबर के अनुसार सजा सुनाए जाने के फौरन बाद ही आठ लोगों को जेल से रिहा कर दिया गया था. पाकिस्तानी खुफिया विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में बताया कि इस अभियान को गुप्त रखा गया था क्योंकि मीडिया में खबर आने के बाद मामला बढ जाता.

मीडिया रिपोर्टो में आज बताया गया कि मलाला पर हमले के दोषी ठहराए जाने के बाद आतंकवाद निरोधी अदालत ने अप्रैल में दस पाकिस्तानी तालिबान आतंकवादियों को 25 साल की सजा सुनायी थी. लेकिन सूत्रों ने अब बीबीसी के साथ इस बात की पुष्टि की है कि केवल दो लोगों को दोषी ठहराया गया है. मुकदमे की सुनवाई पर बने रहस्य ने इसकी वैधता पर संदेह पैदा कर दिया है जिसकी कार्यवाही बंद दरवाजों के पीछे चली थी. पाकिस्तानी उच्चायोग के एक प्रवक्ता मुनीर अहमद ने आज यहां बताया कि आठ लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया. स्वात में जिला पुलिस प्रमुख सलीम मेरवात ने अलग से पुष्टि की कि केवल दो लोगों को दोषी ठहराया गया है. स्वात में ही 15 वर्षीय मलाला पर हमला हुआ था.

अहमद ने दावा किया कि अदालत का मूल फैसला यह स्पष्ट करता है कि दो लोगों को दोषी ठहराया जाता है और इसमें गलत रिपोर्टिंग को भ्रम के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि लंदन से प्रकाशित डेली मिरर के पत्रकारों द्वारा पाकिस्तान की जेल में दस दोषी लोगों का पता लगाने के प्रयास किए जाने के बाद इन्हें बरी किए जाने की बात सामने आयी. इन लोगों के मुकदमे की सुनवाई अदालत के बजाय एक सैन्य प्रतिष्ठान में हुई थी. एक पाक सूत्र ने बीबीसी को यह जानकारी दी. पाकिस्तान में आतंकवाद निरोधी अदालत में हेाने वाली सुनवाई सार्वजनिक नहीं की जाती.

Prabhat Khabar Digital Desk
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