खास बात यह है कि सिद्धी कुमार हाजीपुर के जरूआ में सरकारी स्कूल में नियमित शिक्षक के रूप में काम कर रहा था और संगठन को संचालित भी करने में लगा था. पकड़ा गया संतोष कुमार संगठन का ट्रेजरर था और आर्थिक मदद करता था. इसके पास झारखंड के पीएलएफआइ संगठन के प्रमुख दिनेश गोप व शीर्ष नेता गणोश शंकर के माध्यम से पैसा आता था और संतोष इस पैसे को सिद्धी कुमार की मदद से संगठन से जुड़े लोगों तक पहुंचाने व हथियार व विस्फोटक खरीदने के काम में लगाता था. ये दोनों सिमडेगा में सक्रिय अपने संगठन के प्रमुख दिनेश गोप को एके-47 जैसे हथियार भी पहुंचा चुके है और इसके एवज में इन लोगों को दो लाख बीस हजार रुपये भी मिले थे. पकड़े गये सभी लोग पहले भी जेल जा चुके है. अवधेश वर्ष 1999 में चर्चित हार्डवेयर दुकानदार की हत्या, जलडेला झारखंड में अवैध हथियारों के जखीरा बरामद होने, झारखंड में तिलेश्वर साहू हत्याकांड, काको थाने में नक्सली घटना व चर्चित गणोश हत्याकांड में शामिल था.
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मंगलवार को धवलपुरा-कदमतल में पकड़ी गयी थी गन फैक्टरी, एसएसपी ने कहा पीएलएफआइ के लिए बना रहा था पिस्तौल
पटना: बाइपास इलाके के धवलपुरा में पकड़ी गयी गन फैक्टरी में पीएलएफआइ संगठन के लिए 100 पिस्तौल का निर्माण किया जा रहा था. यह सनसनीखेज खुलासा उस समय हुआ, जब पुलिस ने पीएलएफआइ संगठन के बिहार के शीर्ष नेता अवधेश कुमार उर्फ चुहवा (चिकसौरा बाजार, नालंदा), सिद्धी कुमार (जहानपुर, धनरूआ), संतोष कुमार (स्टेशन रोड, मसौढ़ी) […]
पटना: बाइपास इलाके के धवलपुरा में पकड़ी गयी गन फैक्टरी में पीएलएफआइ संगठन के लिए 100 पिस्तौल का निर्माण किया जा रहा था. यह सनसनीखेज खुलासा उस समय हुआ, जब पुलिस ने पीएलएफआइ संगठन के बिहार के शीर्ष नेता अवधेश कुमार उर्फ चुहवा (चिकसौरा बाजार, नालंदा), सिद्धी कुमार (जहानपुर, धनरूआ), संतोष कुमार (स्टेशन रोड, मसौढ़ी) व सूरज कुमार (बाहरी धवलपुरा, बाइपास) को पकड़ा. गन फैक्टरी सूरज की है और उसके पिता सुभाष महतो संचालन करते थे. सुभाष भी पीएलएफआइ संगठन से जुड़ा था और अवधेश कुमार उर्फ चुहवा के इशारे पर पिस्तौल का निर्माण कर रहा था. लेकिन, वह फरार होने में सफल रहा था. अवधेश कुमार पीएलएफआइ संगठन के बिहार व झारखंड के चीफ दिनेश यादव के दाहिने हाथ गणोश शंकर का अपना बड़ा भाई है.
पकड़ी गयी थी गन फैक्टरी : बाइपास थाना क्षेत्र के बाहरी धबलपुरा कदमतल मुहल्ले में पुलिस टीम ने गन की फैक्टरी को पकड़ा था. छापेमारी के दौरान हथियार बनाने के उपयोग में आनेवाली उपकरण को जब्त किया था.
सरकारी स्कूल का शिक्षक निकला संगठन का शीर्ष नेता
पकड़ा गया सिद्धी कुमार हाजीपुर में जरूआ में सरकारी स्कूल का नियमित शिक्षक था. यह बैंक डकैती व अन्य आपराधिक वारदातों में शामिल रहा था और दस वर्षो तक जेल में था. सिद्धी कुमार धनरूआ थाना में हुए हत्या, बोकारो, देवघर, बेगूसराय, छत्तीसगढ़ में बैंक डकैती, हिलसा में अपहरणकांड का आरोपित रहा है. लेकिन, दीगर की बात यह है कि यह जरूआ में सरकारी स्कूल में शिक्षक कैसे बन गया?
बरामद बाइक अवधेश की पत्नी के नाम पर
पुलिस ने वह बाइक भी बरामद कर ली है, जिससे विस्फोटक को बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी लाया गया था. कुंदन बम विस्फोट होने के बाद (नालंदा) बाइक को लेकर फरार होने की फिराक में था. लेकिन, भाग नहीं पाया था और पुलिस ने बाइक बरामद किया था. यह बाइक अवधेश की पत्नी के नाम से थी. पुलिस ने जब बाइक मालिक की जानकारी ली तो पता चला कि वह अवधेश की पत्नी के नाम पर है, जिसके बाद यह जानकारी मिली कि अवधेश पीएलएफआइ से जुड़े गणोश शंकर का भाई है. इसके बाद सारा मामला ही खुल गया और पुलिस को सरगना की जानकारी मिल गयी थी.
संगठन को पटना पुलिस ने दिया झटका
पटना पुलिस ने पीएलएफआइ संगठन के सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया और संगठन के बिहार में सक्रिय तमाम शीर्ष नेता को पकड़ने में सफलता पायी. काफी दिनों से बिहार में अपने संगठन को मजबूत करने व दहशत फैला कर व्यवसायियों से रंगदारी वसूलने की पीएलएफआइ की सारी योजना धरी-की-धरी रह गयी. संगठन के इन तमाम नेताओं को एक के बाद एक कर पकड़ा गया. एसएसपी जितेंद्र राणा के निर्देश पर सिटी एसपी पूर्वी सुधीर कुमार पोरिका के नेतृत्व में सदर डीएसपी रमाकांत प्रसाद, पटना सिटी डीएसपी राजेश कुमार की टीम बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में हुए बम विस्फोट के बाद लगातार लगी हुई थी. इसी बीच टीम को जानकारी मिली कि बिहार का शीर्ष नेता अवधेश कुमार रामकृष्णा नगर थाने के खेमनीचक में रह रहा है. इस सूचना के बाद पुलिस की टीम ने अवधेश कुमार को पकड़ा और फिर गन फैक्टरी तक पहुंच गयी. जहां से सूरज को पकड़ा गया और फिर मसौढ़ी व हिलसा इलाके में छापेमारी कर सिद्धी कुमार व संतोष कुमार को पकड़ने में सफलता पायी.
बिहार में संगठन को फैलाने का था प्रयास
इन लोगों से पुलिस को जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार संगठन को बिहार में फैलाने का प्रयास किया जा रहा था. इसके लिए प्रलोभन देकर लगातार युवकों को जोड़ा जा रहा था और उन्हें सिमडेगा में प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा था. इन लोगों ने हाल में ही 15 युवकों को सिमडेगा में प्रशिक्षण के लिए भेजा था. इन लोगों की मंशा थी कि युवकों को तैयार कर शहर के व्यवसायियों के बीच दहशत का माहौल कायम कर रंगदारी वसूल की जाये. इसी उद्ेश्य से टाइम बम भी पटना लाये गये थे और उसे बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में रखा गया था. लेकिन, बम विस्फोट कर गया और फिर कुंदन का नाम सामने आया. इसके बाद पुलिस टीम ने कुंदन व उसके अन्य सहयोगियों को पकड़ कर जेल भेज दिया. अनुसंधान के क्रम में यह जानकारी मिली कि सारी तैयारी पीएलएफआइ संगठन द्वारा की जा रही थी और संगठन के प्रमुख दिनेश गोप के इशारे पर गणोश शंकर व उसका भाई अवधेश कुमार बिहार में नेतृत्व कर रहा है. लेकिन, दोनों ही फरार थे.
बेटे को सिमडेगा भेजा और पड़ोसी पर लगाया आरोप
अवधेश इतना शातिर था कि उसने अपने पड़ोसी को फंसाने की नीयत से अपने बेटे के अपहरण का केस रामकृष्णा नगर थाने में कर दिया था. इसने अपने बेटे को सिमडेगा भेज दिया था और पत्नी को भी गायब कर दिया था. पुलिस ने अनुसंधान के बाद यह पाया था कि अपहरण का मामला झूठा है.पुलिस अभी भी सोनू व छोटू की तलाश कर रही है. सोनू झारखंड में आजसू नेता तिलेश्वर साहू हत्याकांड का आरोपित रहा है. पटना में कुंदन को टाइम बम सोनू ने ही दिया था.
अवधेश को दोबारा रिमांड पर लेगी पुलिस
अवधेश को फिर से रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी. पीएलएफआइ संगठन से जुड़े अन्य लोगों के भी नाम सामने आये है और पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है. उन्होंने बताया कि अभी तक जो जानकारी मिली है इसके अनुसार ये लोग पहले भी हथियार का निर्माण कर झारखंड सप्लाइ कर चुके है.
जितेंद्र राणा, एसएसपी
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