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लखवी की याचिका पर पाक अदालत ने सुरक्षित रखा फैसला

लाहौर : पाकिस्तान की एक अदालत ने लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर और वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें लखवी ने सुरक्षा कानून के तहत उसे हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी थी. अदालत के एक अधिकारी ने सुनवाई के […]

लाहौर : पाकिस्तान की एक अदालत ने लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर और वर्ष 2008 के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जकी-उर-रहमान लखवी की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें लखवी ने सुरक्षा कानून के तहत उसे हिरासत में रखे जाने को चुनौती दी थी.
अदालत के एक अधिकारी ने सुनवाई के बाद बताया, लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महमूद मकबूल बाजवा ने लखवी के वकील रजा रिजवान अब्बासी और एक विधि अधिकारी की दलीलें सुनीं और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. उन्होंने बताया कि फैसला किसी भी समय सुनाया जा सकता है.
कल लखवी ने लाहौर उच्च न्यायालय में अपनी हिरासत को चुनौती दी थी और अदालत से अनुरोध किया था कि पंजाब के गृहविभाग के आदेश को दरकिनार कर दिया जाए क्योंकि वह आदेश अवैध है और इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है.
इससे पहले कि लखवी को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर अदियाला जेल रावलपिंडी से रिहा किया जाता, पंजाब सरकार ने 14 मार्च को उसे जन व्यवस्था बनाए रखने से संबंधित कानून के तहत 30 और दिनों के लिए हिरासत में ही रहने दिया था.
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नूरुल हक कुरैशी ने 13 मार्च को 55 वर्षीय लखवी को हिरासत में लेने संबंधी संघीय सरकार के आदेश को निलंबित कर दिया था और लखवी की तुरंत रिहाई के आदेश दिए थे.
इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था, चूंकि सरकार जन व्यवस्था रखरखाव के तहत लखवी को हिरासत में रखे जाने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं पेश कर पाई है, इसलिए उसे इस कानून के तहत और अधिक समय तक हिरासत में रखने का कोई कानूनी आधार नहीं है. अगर लखवी की जरुरत किसी अन्य आपराधिक मामले के संबंध में नहीं है तो उसे तत्काल रिहा किया जाना चाहिए.
भारत ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर कडी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा था कि लखवी के खिलाफ पुख्ता सबूतों को पाकिस्तानी एजेंसियों ने अदालत के समक्ष ठीक ढंग से पेश नहीं किया.
पिछले साल 18 दिसंबर को इस्लामाबाद की आतंकवाद रोधी निचली अदालत ने लखवी को जमानत दे दी थी लेकिन अगले ही दिन उसे कानून व्यवस्था बरकरार रखने के लिए हिरासत में ले लिया गया था. हालांकि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने लखवी की इस हिरासत को कमजोर कानूनी आधार के चलते निलंबित कर दिया था.
अदियाला जेल, रावलपिंडी से रिहा किए जाने के ठीक पहले ही लखवी को वर्ष 2009 में अफगान नागरिक के अपहरण के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में, सरकार ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, जिसमें उच्च न्यायलय ने लखवी की हिरासत को खत्म करने के लिए सरकार के आदेश को निलंबित कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को निलंबित कर दिया था.
आज उच्च न्यायालय ने एक बार फिर सरकार के उस आदेश को निलंबित कर दिया, जो लखवी को हिरासत में लेने के लिए 13 फरवरी को जारी किया गया था.
लखवी और छह अन्य-अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हामद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और युनिस अंजुम पर नवंबर 2008 के मुंबई हमलों की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है. इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे.
लखवी को लश्कर ए तैयबा के संस्थापक और जमात-उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद का करीबी संबंधी माना जाता है और उसे दिसंबर 2008 में गिरफ्तार किया गया था. 25 नवंबर 2009 को छह अन्य के साथ उसपर 26:11 हमला मामले में अभियोग लगाया गया था. वर्ष 2009 से ही यह मामला चल रहा है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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