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बांग्लादेश : युद्ध अपराध के लिए जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता को मौत की सजा

ढाका : बांग्लादेश की कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता ए.टी.एम. अजहरुल इस्लाम को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने के मामले में एक विशेष अदालत ने आज मौत की सजा सुनाई. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने इस्लाम को नरसंहार, हत्या, यातना देने और बलात्कार जैसे आरोपों का दोषी पाते हुए मौत […]

ढाका : बांग्लादेश की कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के शीर्ष नेता ए.टी.एम. अजहरुल इस्लाम को 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान युद्ध अपराधों को अंजाम देने के मामले में एक विशेष अदालत ने आज मौत की सजा सुनाई. अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने इस्लाम को नरसंहार, हत्या, यातना देने और बलात्कार जैसे आरोपों का दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई.
तीन न्यायाधीशों वाले न्यायाधिकरण के प्रमुख न्यायमूर्ति इनायतुर रहीम ने 158 पृष्ठों का फैसला सुनाते हुए कहा, ‘उन्हें मरने तक फांसी पर लटकाया जाए.’ उन्होंने कहा कि दोषी मौत की सजा के अलावा और किसी सजा का हकदार नहीं हैं क्योंकि इस्लाम के खिलाफ लगाए गए छह आरोपों में पांच बिना किसी संदेह के साबित हुए हैं.
कानून के तहत इस्लाम इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. वह जमात के उन शीर्ष नेताओं में शामिल हैं जिन्हें 1971 में पाकिस्तानी सैनिकों का साथ देते वक्त युद्ध अपराधों को अंजाम देने के लिए न्याय की जद में लाया गया है.
61 साल के इस्लाम के खिलाफ यातना देने के मामले में छह आरोप और रंगपुर में 1,225 लोगों का नरसंहार करने का बडा आरोप लगाया गया था. उन्हें कारमिशेल कॉलेज के एक प्रोफेसर और उनकी पत्नी का अपहरण करने तथा हत्या का भी दोषी पाया गया.
सुप्रीम कोर्ट के परिसर में स्थित न्यायाधिकरण में इस्लाम को एक छोटी बस में लाया गया. उस वक्त ढाका केंद्रीय कारागार से लेकर शहर के मध्य हिस्से तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.
ढाका के पुलिस आयुक्त सहित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अदालत परिसर का दौरा कर सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया. अधिकारियों ने कहा कि अदालत परिसर में आने वालों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए अलग अलग हिस्सों में कई अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे.
इस्लाम को अगस्त, 2012 में गिरफ्तार किया गया और पिछले साल 12 नवंबर को अभ्यारोपित किया था. अभियोजन पक्ष के वकीलों ने कहा कि वे फैसले से संतुष्ट है क्योंकि वे पर्याप्त सबूतों के साथ आरोपों को साबित करने में सफल रहे हैं.
बचाव पक्ष के वकील ताजुल इस्लाम ने कहा, हम फैसले से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं. यह गवाहों की काल्पनिक गवाहियों पर आधारित है. हम सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देंगे.

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