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भारत-पाक रिश्‍तों के खिलाफ है लश्कर

वाशिंगटन: आतंकी संगठनलश्कर-ए-तयैबाभारत और पाकिस्तान के बीच अच्‍छे रिश्‍तों के खिलाफ है. लश्‍कर नहीं चाहता है कि भारत और पाक के संबंधों में सुधार हो. अमेरिका केआतंकवाद रोधी अभियान के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि लश्कर भारत और पाक के बीच संबंधों में सुधार के खिलाफ है. राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय के राष्ट्रीय आतंकवाद […]

वाशिंगटन: आतंकी संगठनलश्कर-ए-तयैबाभारत और पाकिस्तान के बीच अच्‍छे रिश्‍तों के खिलाफ है. लश्‍कर नहीं चाहता है कि भारत और पाक के संबंधों में सुधार हो. अमेरिका केआतंकवाद रोधी अभियान के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि लश्कर भारत और पाक के बीच संबंधों में सुधार के खिलाफ है.

राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय के राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र के उप निदेशक निकोलस रासमुसेन ने कल सांसदों से कहा, लश्कर-ए-तयैबा भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों मेंसुधार के खिलाफ है और उसके नेता लगातार भारत और अमेरिका के खिलाफ बोल रहे हैं तथा इन दोनों देशों पर पाकिस्तान को अस्थिर करने का आरोप लगा रहे हैं.

सीनेट की होमलैंड सुरक्षा और सरकारी मामलों की समिति के समक्ष रासमुसेन ने कहा कि लश्कर ने दक्षिण एशिया में अपने क्षेत्रीय हितों के अनुसार काम करते हुए पश्चिमीहितों को निशाना बनाया, जैसा कि वर्ष 2008 में मुंबई हमलों के दौरान पश्चिमी नागरिकों की आवाजाही वाले होटलों को निशाना बनाए जाने से प्रदर्शित होता है. उन्होंनेसमिति की साइबर सुरक्षा, आतंकवाद तथा उसके इतर: सुरक्षा के प्रति बढ़ते खतरे का समाधान विषय पर आयोजित बैठक में यह बात कही.

उन्होंने कहा कि लश्कर के नेताओं को यह लगभग पूरी तरह पता है कि अमेरिका पर किसी हमले का परिणाम पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के रुप में होगाऔर इससे वहां इस संगठन के सुरक्षित ठिकानों को खतरा उत्पन्न हो जाएगा. रासमुसेन ने कहा, लश्कर पाकिस्तानी और पश्चिमी आतंकवादियों को प्रशिक्षण मुहैया कराता हैजिनमें से कुछ ने लश्कर के नेतृत्व की ओर से निर्देश के बिना ही पश्चिम में आतंकवादी हमलों की साजिश रची.

अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), हक्कानी नेटवर्क और लश्कर ए तय्यबा जैसे पाकिस्तानी और अफगान आतंकवादी संगठन क्षेत्र मेंलगातार अमेरिका तथा उसके सहयोगी देशों के हितों के प्रति खतरा बने हुए हैं जहां ये समूह मुख्य रुप से अपना ध्यान केंद्रित रखेंगे.

उन्होंने कहा, हम लगातार उन संदेशों पर नजर रख रहे हैं कि कहीं इनमें से किसी समूह, नेटवर्क या किसी आतंकवादी ने अपने लक्ष्यों को हासिल करने की रणनीति के तहतसक्रिय रुप से दक्षिण एशिया के बाहर अपने अभियानों को विस्तार देने का फैसला तो नहीं किया है?

रासमुसेन ने कहा, उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना के जारी सैन्य अभियान और पिछले वर्ष नेतृत्व परिवर्तन के बावजूद टीटीपी पाकिस्तान में खतरा बना हुआ है. इसनेकराची में जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जून में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें करीब 30 लोग मारे गए थे. यह हमला पाकिस्तान के भीतर इस समूह की ओरसे पैदा खतरे को रेखांकित करता है.

उन्होंने इसके साथ ही कहा कि हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में सर्वाधिक सक्षम और खतरनाक आतंकवादी समूह है और वर्ष 2014 तथा उसके आगे के समय में यहअफगानिस्तान की स्थिरता को गंभीर चुनौती पेश करता है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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