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कश्मीर में पाबंदियों के दो महीने पर विदेशी मीडिया के सवाल

<figure> <img alt="कश्मीर में प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/13A75/production/_109110508_ec27a20d-8262-4b69-a6c2-1dc81ec0f1d6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p><strong><em>State of disgrace</em></strong><strong><em>- </em></strong><strong><em>शर्मनाक </em></strong><strong><em>स्थिति</em></strong></p><p>लंदन से छपने वाले अख़बार ‘द इकॉनोमिस्ट’ ने कश्मीर के मौजूदा हालात और ‘भारतीय सुप्रीम कोर्ट की निष्क्रियता’ को<a href="https://www.economist.com/asia/2019/10/05/indias-judges-are-ignoring-the-governments-abuses-in-kashmir"> इन्हीं शब्दों </a>में बयां किया है. </p><p>अख़बार ने पांच अक्टूबर के अंक में ‘एशिया’ सेक्शन में यह लेख प्रकाशित किया है. […]

<figure> <img alt="कश्मीर में प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/13A75/production/_109110508_ec27a20d-8262-4b69-a6c2-1dc81ec0f1d6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>EPA</footer> </figure><p><strong><em>State of disgrace</em></strong><strong><em>- </em></strong><strong><em>शर्मनाक </em></strong><strong><em>स्थिति</em></strong></p><p>लंदन से छपने वाले अख़बार ‘द इकॉनोमिस्ट’ ने कश्मीर के मौजूदा हालात और ‘भारतीय सुप्रीम कोर्ट की निष्क्रियता’ को<a href="https://www.economist.com/asia/2019/10/05/indias-judges-are-ignoring-the-governments-abuses-in-kashmir"> इन्हीं शब्दों </a>में बयां किया है. </p><p>अख़बार ने पांच अक्टूबर के अंक में ‘एशिया’ सेक्शन में यह लेख प्रकाशित किया है. पांच अक्टूबर को भारत प्रशासित कश्मीर में लगी पाबंदियों और संचार माध्यमों पर लगी रोक के दो महीने पूरे हो गए.</p><p>भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने से पहले पांच अगस्त 2019 से ही राज्य में कड़ी पाबंदियां लगा दी थीं. </p><p>मोबाइल-फ़ोन-इंटरनेट पर नियंत्रण के साथ ही वहाँ बड़ी संख्या में नेताओं और अन्य लोगों को गिरफ़्तार या हिरासत में लिया गया या फिर नज़रबंद कर दिया गया.</p><p>पाबंदियों के दो महीने बाद भी कश्मीर से संपर्क सामान्य नहीं सका है और वहाँ की स्थिति को लेकर अनिश्चितता बरक़रार है.</p><p>इन दो महीनों में कश्मीर में जो कुछ हुआ उस पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की निगाहें भी लगातार बनी हुई थीं. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49684124?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: ‘उस पैलेट गन ने मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दी’ </a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/1BB2/production/_109109070_80a0f53f-2943-49f0-8fa5-1f4cd9c0ab41.jpg" height="956" width="1602" /> <footer>The Economist</footer> <figcaption>द इकॉनोमिस्ट में छपा लेख</figcaption> </figure><p>अंततराष्ट्रीय मीडिया ने शुरुआत से कश्मीर से जुड़ी ख़बरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया और विस्तृत संपादकीय लेख भी छापे. </p><p>इकोनॉमिस्ट ने कश्मीर की स्थिति पर अपने एक लेख में भारतीय न्यायपालिका को केंद्र में रखते हुए लगभग<a href="https://www.economist.com/asia/2019/10/05/indias-judges-are-ignoring-the-governments-abuses-in-kashmir"> 940 शब्दों का एक लेख</a> छापा है.</p><p>इसमें लिखा है कि भारत के न्यायाधीश कश्मीर में हो रहे उत्पीड़न को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं. </p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49690347?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर अब विकास के हाईवे पर या मुश्किलों की पगडंडी पर चलेगा? </a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/69D2/production/_109109072_893a8805-d38e-4070-be32-c7afd8c79877.jpg" height="889" width="1136" /> <footer>The New York Times</footer> <figcaption>न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा लेख</figcaption> </figure><p>वहीं न्यूयॉर्क टाइम्स ने <strong><em>’The U.N. Can’t Ignore Kashmir Anymore'</em></strong> शीर्षक के साथ एक<a href="https://www.nytimes.com/2019/10/02/opinion/editorials/kashmir-india-pakistan-un.html"> संपादकीय </a>प्रकाशित किया है और लिखा है कि जब से (5 अगस्त) भारत के हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुस्लिम बहुल राज्य (जम्मू-कश्मीर) का विशेष दर्जा ख़त्म किया है, तब से उनकी सरकार ने वहां कर्फ़्यू लगा रखा है और लगभग 4,000 लोगों को हिरासत में लिया गया है. </p><p>हिरासत में लिए गए लोगों में वकील और पत्रकार भी शामिल हैं. कश्मीरियों के उत्पीड़न और उन्हें पीटे जाने जैसे गंभीर आरोप भी सामने आए हैं. </p><p>भारत ने राज्य में फ़ोन और इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी है जिससे लाखों लोग अलग-थलग पड़ गए हैं. </p><p>न्यूयॉर्क टाइम्स ने <a href="https://www.nytimes.com/2019/10/02/opinion/editorials/kashmir-india-pakistan-un.html">लिखा</a> है, &quot;प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने भाषण में कश्मीर का ज़िक्र नहीं किया लेकिन इससे कुछ दिनों पहले ह्यूस्टन में एक रैली में उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ‘कश्मीरियों को बाकी भारतीयों के बराबर अधिकार’ मिल गए हैं.”</p><p>अमरीकी अख़बार ‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ ने <strong><em>The night the soldiers came</em></strong> नाम की <a href="https://www.washingtonpost.com/world/asia_pacific/the-night-the-soldiers-came-allegations-of-abuse-surface-in-kashmir/2019/09/28/90969472-d40d-11e9-8924-1db7dac797fb_story.html">रिपोर्ट</a> प्रकाशित की है, जिसमें कुछ कश्मीरी युवकों ने भारतीय सुरक्षाबलों पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. </p><p>अख़बार का दावा है कि इस रिपोर्ट के लिए कश्मीर के 13 गांवों के 19 लोगों का इंटरव्यू किया गया.</p><p>अख़बार <a href="https://www.washingtonpost.com/world/asia_pacific/the-night-the-soldiers-came-allegations-of-abuse-surface-in-kashmir/2019/09/28/90969472-d40d-11e9-8924-1db7dac797fb_story.html">लिखता</a> है, &quot;मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि कश्मीर दुनिया के सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्रों में से एक है. यहां लंबे वक़्त से आज़ादी या पाकिस्तान में शामिल होने की मांग रही है, जिसका नतीजा भारी सुरक्षाबलों की तैनाती के रूप में देखने को मिलता है.”</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49649106?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर में कितना मुश्किल है इस वक़्त माँ होना</a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/B7F2/production/_109109074_1cafa57a-c132-4503-9b9d-10e10cdd6681.jpg" height="839" width="1335" /> <footer>Dawn</footer> <figcaption>डॉन में प्रकाशित फ़ोटो स्टोरी</figcaption> </figure><p>वहीं पाकिस्तान के जाने-माने अख़बार <strong>डॉन</strong> ने कश्मीर में पाबंदियों के 60 दिन पूरे होने पर एक विस्तृत <a href="https://www.dawn.com/news/1508961/60-days-on-occupied-kashmir-remains-under-siege">फ़ोटो स्टोरी</a> छापी है और लिखा है: <strong>कश्मीर सेना की छावनी में है.</strong></p><p>लगभग 1800 शब्दों की इस रिपोर्ट में अख़बार ने लिखा है, &quot;पांच अगस्त से कश्मीर में हताशा, ग़ुस्सा और डर बढ़ता ही जा रहा है. पहले से ही भारी सुरक्षाबलों की मौजूदगी वाले इस राज्य में भारत सरकार ने स्थानीय लोगों से विरोध की आशंका में हज़ारों सैनिक और तैनात कर रखे हैं.&quot;</p><p>इसके साथ ही अख़बार ने पिछले दो महीनों में हुए घटनाक्रमों पर<a href="https://www.dawn.com/news/1508961/60-days-on-occupied-kashmir-remains-under-siege"> शुरू से आख़िर तक </a>नज़र दौड़ाई है. </p><p>संयुक्त अरब अमीरात से छपने वाले अख़बार <strong>गल्फ़ न्यूज़</strong> ने तनाव और पाबंदियों के हालात में कश्मीरी बच्चों की ज़िंदगी पर आधारित एक <a href="https://gulfnews.com/world/asia/india/in-pictures-children-in-the-midst-of-kashmir-lockdown-1.1569428814236?slide=6">फ़ोटो स्टोरी</a> को अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से जगह दी है. </p><p>इनमें से एक <a href="https://gulfnews.com/world/asia/india/in-pictures-children-in-the-midst-of-kashmir-lockdown-1.1569428814236?slide=1">तस्वीर </a>में स्कूल-कॉलेज बंद होने की वजह से बच्चे एक स्थानीय मस्जिद में पढ़ाई करते दिख रहे हैं.</p><p>एक दूसरी <a href="https://gulfnews.com/world/asia/india/in-pictures-children-in-the-midst-of-kashmir-lockdown-1.1569428814236?slide=1">तस्वीर</a> में छह साल की बच्ची दिख रही है जिसकी दाईं आंख में रबर की गोलियों से चोट लगी हुई है. </p><p>एक अन्य<a href="https://gulfnews.com/world/asia/india/in-pictures-children-in-the-midst-of-kashmir-lockdown-1.1569428814236?slide=1"> तस्वीर</a> में एक बच्ची खिड़की से झांकती हुई विरोध प्रदर्शन देख रही है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49579601?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर के लिए आख़िरी सांस तक लड़ेंगे: पाकिस्तान सेना</a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/10612/production/_109109076_56edafb9-05b8-41db-8bc2-9a28e5aed6ef.jpg" height="682" width="723" /> <footer>@Aljazeera</footer> <figcaption>अलजज़ीरा में प्रकाशित रिपोर्ट</figcaption> </figure><p>क़तर के मीडिया समूह <strong>अलजज़ीरा </strong>ने भी कश्मीर में नाबालिग़ों की गिरफ़्तारी पर <strong><em>’Depressed, frightened’: Minors held in Kashmir crackdown</em></strong> शीर्षक के साथ एक <a href="https://www.aljazeera.com/news/2019/10/frightened-minors-held-kashmir-crackdown-191002075219434.html">रिपोर्ट</a> प्रकाशित की है.</p><p>तुर्की की प्रमुख समाचार एजेंसी <strong>अनादोलू</strong> की वेबसाइट पर भी कश्मीर से जुड़ी कई ख़बरें हैं. </p><p>एक <a href="https://www.aa.com.tr/en/politics/standing-with-pakistan-on-kashmir-is-turkeys-duty/1599316">ख़बर</a> में एजेंसी ने तुर्की की संसद के स्पीकर मुस्तफ़ा सेनतप के उस बयान को शीर्षक बनाया है जिसमें उन्होंने कहा है कि <strong>’कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़े रहना तुर्की का कर्तव्य है.'</strong></p><p>एजेंसी ने भारतीय लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुंधति रॉय का एक <a href="https://www.aa.com.tr/en/asia-pacific/all-voices-in-jammu-kashmir-arrested-indian-novelist/1602347">इंटरव्यू </a>भी छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘कश्मीर में आवाज़ उठाने वाले हर शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है.'</p><p><strong>ख़लीज टाइम्स</strong> ने जम्मू-कश्मीर में नेताओं की रिहाई से जुड़ी <a href="https://www.khaleejtimes.com/international/india/jammu-and-kashmir-finally-frees-detained-political-leaders">ख़बर</a> को अपनी वेबसाइट पर जगह दी है. </p><p>इसके अलावा वेबसाइट पर भारतीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान पर आधारित <a href="https://www.khaleejtimes.com/international/india/kashmir-to-be-among-most-developed-states-in-next-10-years">ख़बर</a> भी है जिसमें उन्होंने कहा था कि अगले 10 वर्षों में कश्मीर भारत के सबसे ज़्यादा विकसित राज्यों में से एक होगा. </p><p>मलेशिया की समाचार एजेंसी <strong>बर्नामा</strong> में जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन की <a href="http://bernama.com/en/news.php?id=1774718">ख़बर</a> छपी है. </p><p>एजेंसी की वेबसाइट पर छपी ख़बर कहती है, &quot;5 अगस्त से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर लगभग पूरी तरह से क़ैद में है. प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों ने राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवा बहाल किए जाने की मांग की जो पिछले दो महीनों से बंद है.&quot;</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49517182?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: उत्पीड़न के आरोप, सेना का इनकार </a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/148DE/production/_109109148_6e0b58cf-734d-49b7-a7eb-c54d6464f4e1.jpg" height="918" width="1471" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>भारतीय न्यायपालिका क्या कर रही है?</h3><p>फ़िलहाल भारतीय सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक बेंच अनुच्छेद 370 ख़त्म किए जाने और कश्मीर से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को 28 दिनों का वक़्त दिया है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख़ तय की है.</p><p>सर्वोच्च न्यायालय में में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को चुनौती देने, प्रेस की आज़ादी, संचार सुविधाओं पर रोक, लॉकडाउन की वैधता और आने-जाने पर पाबंदियों और मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन से जुड़ी कई याचिकाएं दायर की गई हैं.</p><p>केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर औपचारिक रूप से 31 अक्टूबर, 2019 को अस्तित्व में आ जाएंगे. </p><p>इस बीच जम्मू कश्मीर किशोर न्याय समिति (जुवेनाइल जस्टिस कमेटी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि घाटी में किसी बच्चे को अवैध हिरासत में नहीं रखा गया है.</p><p>सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद से वहां 144 नाबालिगों को गिरफ़्तार किया गया था, जिसमें 9 और 11 साल के बच्चे भी शामिल थे.</p><p>मीडिया में नाबालिग़ों को ग़ैरक़ानूनी तरीके से हिरासत में लिए जाने की ख़बरें आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट और जुवेइनाल जस्टिस कमेटी से इस बारे में रिपोर्ट पेश करने को कहा था.</p><p><strong>ये भी पढ़ें</strong><strong>: </strong><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49349593?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कितना ‘आज़ाद’ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर? </a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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