पेंटागॉन के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि सार्जेंट बो बर्गडैल को रिहा करवाने के लिए अमरीकी फ़ौज पाकिस्तानी सीमा के अंदर घुसने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, लेकिन ठोस ख़ुफ़िया जानकारी नहीं मिल पाने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया.
पिछले साल तक अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान मामलों पर अमरीकी रक्षा मंत्रालय में उप रक्षामंत्री रह चुके डेविड सेडनी ने बीबीसी हिंदी को बताया कि 2009 में बर्गडैल को बंधक बनाए जाने के बाद सबसे पहले कोशिश इस बात की हुई थी कि उन्हें पाकिस्तान ले जाए जाने से रोका जाए.
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लेकिन एक बार जब वो पाकिस्तान पहुंच गए तो उन्हें रिहा करवाना मुश्किल हो गया और इसके लिए पाकिस्तानी फ़ौज और ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की मदद मांगी गई.
अमरीका में बहस
डेविड सेडनी का कहना था, “हमें ये मालूम था कि बर्गडैल हक़्क़ानी नेटवर्क के क़ब्ज़े में हैं और हम ये भी जानते हैं कि आईएसआई और हक़्क़ानी नेटवर्क का एक ख़ास रिश्ता है, लेकिन जहां तक मुझे मालूम है, हमें इस मामले में पाकिस्तान से कोई मदद नहीं मिली.”
उनका कहना था कि बर्गडैल पाकिस्तानी ज़मीन पर थे और जिस संगठन के पास उनके बारे में अहम जानकारी मौजूद थी, वो पाकिस्तानी हुकूमत का हिस्सा है.
उनका कहना था, “ऐसे में ये उनकी ज़िम्मेदारी बनती थी कि वो बर्गडैल को रिहा करवाएं. उन्होंने ऐसा नहीं किया और मेरी समझ से आने वाले दिनों में जब अमरीका-पाकिस्तान रिश्तों की बात हो तो इस पर अमरीका को ग़ौर करना चाहिए.”
तालिबान की तरफ़ से बर्गडैल की रिहाई का वीडियो जारी किए जाने के बाद से अमरीका में इस पूरे समझौते को लेकर बहस और तीखी होती जा रही है कि क्या बर्गडैल को रिहा करवाने का यही एकमात्र रास्ता था.
वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार के अनुसार फ़ौजी अधिकारियों को कम से कम दो बार बर्गडैल के पाकिस्तानी ठिकाने के बारे में अंदाज़ा मिला था और वॉशिंगटन में इस बात पर ख़ासी बहस हुई थी कि पाकिस्तान में घुसकर उन्हें रिहा करवा लिया जाए.
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ख़राब रिश्ते
अख़बार के अनुसार उस वक़्त अमरीकी फ़ौज के सबसे उच्च अधिकारी एडमिरल माइक मलेन और अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के प्रमुख लियोन पनेटा इस कार्रवाई के हक़ में थे.
डेविड सेडनी के अनुसार, ओसामा बिन लादेन के ख़िलाफ़ एबटाबाद में हुई अमरीकी कार्रवाई के बाद ये फ़ैसला और मुश्किल हो गया था, क्योंकि पाकिस्तानी फ़ौज के साथ रिश्ते बेहद ख़राब थे.
उन्होंने बताया, “पाकिस्तानी फ़ौज ने ये हुक्म जारी कर दिया था कि अगर पाकिस्तानी सीमा के अंदर अमरीकी हेलिकॉप्टर नज़र आ जाएं तो उन्हें मार गिराया जाए. ऐसे में किसी भी रणनीति के लिए हमें ठोस ख़ुफ़िया जानकारी की ज़रूरत थी जो नहीं मिल पाई.”
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वो कहते हैं कि सार्जेंट बर्गडैल लगभग पांच साल हक़्क़नी नेटवर्क के कब़्ज़े में रहे और इस दौरान अमरीकी प्रशासन ने पाकिस्तानी अधिकारियों पर दबाव भी डाला बर्गडैल को रिहा करवाने के लिए, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली.
डेविड सेडनी का कहना है, “मेरी समझ से इसकी वजह ये थी कि वो हक़्क़ानी नेटवर्क के साथ रिश्तों को अमरीका से ज़्यादा अहमियत देते हैं और अगर वो हमारी मदद करते तो उन रिश्तों पर ख़ासा असर पड़ता.”
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