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ब्रह्मपुत्र का जल प्रवाह मोड़ने के लिए दुनिया की सबसे लंबी सुरंग बनायेगा चीन!, पर्यावरणविद चिंतित

बीजिंग : चीन के इंजीनियर ऐसी तकनीकों का परीक्षण कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने में किया जा सकता है. हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने खबर दी है कि […]

बीजिंग : चीन के इंजीनियर ऐसी तकनीकों का परीक्षण कर रहे हैं जिनका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जलप्रवाह को अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बत से शिनजियांग की तरफ मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने में किया जा सकता है. हांगकांग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने खबर दी है कि इस कदम से शिनजियांग के कैलीफोर्निया में तब्दील होने की उम्मीद है. इस कदम से पर्यावरणविदों में चिंता पैदा हो गयी है क्योंकि इसका हिमालयी क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. यह प्रस्तावित सुरंग चीन के सबसे बड़े प्रशासनिक क्षेत्र को पानी मुहैया कराने का काम करेगी. दक्षिणी तिब्बत की यारलुंग सांगपो नदी के जलप्रवाह को शिनजियांग के ताकालाकान रेगिस्तान की तरफ मोड़ा जायेगा. भारत में इस नदी को ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है.

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से कई बांध बनाये जाने को लेकर भारत बीजिंग को अपनी चिंताओं से अवगत करा चुका है. तिब्बत-शिनजियांग जल सुरंग के प्रस्ताव का मसौदा तैयार करने में सहायक रहे शोधकर्ता वांग वेई ने कहा कि शोध कार्य में 100 से अधिक वैज्ञानिकों के अलग-अलग दल बनाये गये हैं. चीन की सरकार ने मध्य युनान प्रांत में इसी साल अगस्त में 600 किलोमीटर से अधिक लंबी सुरंग बनाने का काम आरंभ किया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि युनान में बन रही सुरंग नयी प्रौद्योगिकी का पूर्वाभ्यास है. इसका इस्तेमाल ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह को मोड़ने में किया जा सकता है.

बताया जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होगी. हालांकि इस प्रॉजेक्ट पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन चीन में इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. यह सुरंग तिब्बत के पठार से नीचे की ओर कई जगहों पर जायेगी जो वॉटरफॉल्स से जुड़ी होंगी. डोकलाम विवाद में भारत के सामने झुकने को मजबूर होने के बाद चीन अब भारत को परेशान करने के दूसरे तरीके खोज रहा है. ब्रह्मपुत्र को डायवर्ट करने की बात पर चीनने कभी सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं की है, क्योंकि इससे भारत के उत्तरपूर्वी हिस्से और बांग्लादेश में या तो भयंकर बाढ़ आयेगी या पानी का प्रवाह बहुत कम हो जायेगा. 2013 में भारत ने ब्रह्मपुत्र पर चीन के हाइड्रो प्रॉजेक्ट्स को लेकर अपनी आपत्ति भी दर्ज करायी थी.

हाल ही में चीन ने ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी पर बांध बनाने की घोषणा की थी. 2001 में, तिब्बत में बना एक कृत्रिम बांध टूट गया था जिसके चलते 26 लोगों की मौत हो गयी थी और अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी के पास 140 करोड़ की संपत्ति को नुकसान हुआ था. बता दें कि बांध, नहर और सिंचाई के अन्य सिस्ट्मस युद्ध के समय एक हथियार के तौर पर काम आ सकते हैं या शांति के समय भी पड़ोसी देश को तंग करने के लिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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