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UP Politics: मायावती ने क्रिसमस की दी बधाई, कहा- धर्मांतरण को लेकर देश भर में बवाल मचाना अनुचित-चिंतनीय

मायावती ने कहा कि क्रिसमस पर्व की सभी देशवासियों व खासकर ईसाई मजहब के मानने वाले समस्त भाई-बहनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें. अपने सेक्युलर संविधान के तहत देश में अन्य सभी धर्म के लोगों की तरह ये लोग भी सुख-शान्ति तथा खुश व खुशहाली के साथ अपना जीवन व्यतीत करें, यही कामना हैं.

Lucknow: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने रविवार को देशवासियों को क्रिसमस की शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही उन्होंने धर्मांतरण के मामलों को लेकर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि बुरी नीयत से धर्म बदलना व बदलवाना दोनों ही गलत है. वहीं धर्मांतरण को लेकर देश भर में बवाल मचाना अनुचित और चिंतनीय है.

मायावती ने कहा कि क्रिसमस पर्व की सभी देशवासियों व खासकर ईसाई मजहब के मानने वाले समस्त भाई-बहनों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें. अपने सेक्युलर संविधान के तहत देश में अन्य सभी धर्म के लोगों की तरह ये लोग भी सुख-शान्ति तथा खुश व खुशहाली के साथ अपना जीवन व्यतीत करें, यही कामना हैं.

उन्होंने कहा कि ’धर्म परिवर्तन’ को लेकर देश भर में बवाल मचाया जाना अनुचित व चिंतनीय है. जबरन हर चीज बुरी होती है और बुरी नीयत से धर्म बदलना व बदलवाना दोनों ही गलत है. अतः इस मुद्दे को सही परिप्रेक्ष्य में देखना व समझना जरूरी है. इसको लेकर की जा रही कट्टरवादी राजनीति से देश को लाभ कम, हानि ज्यादा होगी.

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इससे पहले शुक्रवार की शाम प्रदेश के प्रमुख अधिकारियों के साथ कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 25 दिसम्बर को क्रिसमस का पर्व शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए अफसरों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सभी धर्मगुरुओं के साथ संवाद बनाते हुए शांतिपूर्ण माहौल के बीच क्रिसमस आयोजन मनाने की व्यवस्था हो. इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी धर्मांतरण की घटना न होने पाए.

बसपा सुप्रीमो ने बीते दिनों व्यपारियों पर जीएसटी सर्वे और छापमारी को लेकर भी सरकार पर तंज कसा था. उन्होंने कहा था कि सरकार की गलत नीतियों व कार्यशैली आदि का ही परिणाम है कि पहले से ही नए जीएसटी राज के जंजाल से पीड़ित व्यापारी वर्ग अब यूपी में भी जीएसटी सर्वे-छापेमारी से तंग व दुःखी होकर बाजार बंद एवं आन्दोलन करने को मजबूर हो रहे हैं, जिसका निवारण जरूरी है.

उन्होंने कहा कि साथ ही, गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई के इस कठिन दौर में लोगों की क्रय शक्ति काफी घट गई है, फिर भी गरीब व मजदूर वर्ग दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर भी जीएसटी की महंगी दर चुकानेे को मजबूर है. किन्तु, सरकार निश्चिंत है कि उसका जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है, क्या ऐसी सोच उचित, जनहितैषी है.

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