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Assi Ghat Tour: वाराणसी घूमने जाएं तो जरूर आएं अस्सी घाट, दिखेगा पौराणिकता और आधुनिकता का अनूठा संगम

pilgrimage tour: अगर आप वाराणसी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो अपनी लिस्ट में अस्सी घाट का नाम जरूर शामिल कर लें. अस्सी घाट वो जगह है जिसे बनारस का दिल कहा जाता है. यहां आसपास कई घूमने फिरने की जगह है.

  • बनारस का अस्सी घाट हिंदुओं के लिए क्या महत्व रखता है

  • प्रचलित है कि भगवान शिव के ही एक रूप भगवान रूद्र ने गुस्से में आकर इसी जगह पर 80 दैत्यों का वध कर दिया था

  • वाराणसी का अस्सी घाट फिल्मों में बहुत बार दिख चुका है

Assi Ghat Tour:  वैसे तो बनारस में घाटों की लाइन लगी हुई है, लेकिन इनमें से कई घाट ऐसे हैं, जो न केवल श्रद्धा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं, बल्कि घूमने-फिरने और पिकनिक मनाने के हिसाब से भी बेहद लोकप्रिय हैं. इन्हीं में से एक है वाराणसी का अस्सी घाट (Assi Ghat Varanasi).अगर आप वाराणसी घूमने का प्लान बना रहे हैं तो अपनी लिस्ट में अस्सी घाट का नाम जरूर शामिल कर लें. अस्सी घाट वो जगह है जिसे बनारस का दिल कहा जाता है. यहां आसपास कई घूमने फिरने की जगह है.

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वाराणसी के अस्सी घाट( Assi Ghat) का इतिहास

बनारस का अस्सी घाट (Banaras Assi Ghat) हिंदुओं के लिए क्या महत्व रखता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अग्नि पुराण (Agnee Puran), पद्म पुराण (Padma Puran), कूर्म पुराण (Koorma Puran) और मत्स्य पुराण (Matsya Puran) में भी Assi Ghat के बारे में बताया गया है. अस्सी घाट ही वह जगह है, जिसके बारे में प्राचीन कथाओं में जिक्र है कि जब माता दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ जैसे पाताल लोक के भयानक दैत्यों का तलवार से वध कर दिया था, तो उन्होंने अपनी उस तलवार को इसी जगह पर फेंक दिया था. यहां जिस जिस जगह पर माता दुर्गा की तलवार गिरी थी, उसी जगह को अस्सी नदी के क्षेत्र का आरंभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जब माता दुर्गा की तलवार गिरी तो उसी से अस्सी नदी का उद्गम हो गया था. अस्सी घाट पर गंगा और अस्सी नदियां एक-दूसरे से मिलती हैं. इस वजह से संगम होने के कारण इस जगह का धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है.

अस्सी घाट (Assi Ghat) का धार्मिक महत्व तो बहुत है, क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शुंभ और निशुंभ का वध करने के बाद माता दुर्गा ने यहीं पर विश्राम किया था, लेकिन समय बीतने के साथ अस्सी नदी अपने मूल स्वरूप में नहीं रह पाई और अब यह नाले के रूप में तब्दील हो गई है.

वाराणसी के घाटों (Varanasi Ghat) में बेहद प्रमुख स्थान रखने वाले अस्सी घाट के बारे में एक और पौराणिक कथा भी प्रचलित है कि भगवान शिव के ही एक रूप भगवान रूद्र ने गुस्से में आकर इसी जगह पर 80 दैत्यों का वध कर दिया था और इसी वजह से यह जगह अस्सी के नाम से विख्यात हो गया. यह भी कहा जाता है कि इन राक्षसों का विनाश करने के बाद भगवान रुद्र को बड़ा अफसोस हुआ था और इस वजह से उन्होंने हमेशा के लिए हिंसा का रास्ता छोड़ दिया. साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा कर दी थी कि भविष्य में काशी एक ऐसी जगह के रूप में विख्यात होगी, जहां कि हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं होगा और यहां रहने वाले अहिंसा के उपासक होंगे.

अस्सी घाट(Assi Ghat) का महत्व

वाराणसी का अस्सी घाट फिल्मों (Assi ghat movie) में बहुत बार दिख चुका है, तो जाहिर सी बात है कि यहां जरूर कुछ ऐसा होगा, जिसकी वजह से फिल्म निर्माता यहां फिल्मों की शूटिंग करने के लिए दौड़े चले आते हैं. अस्सी घाट की सबसे खास बात तो यह है कि यदि आप यहां खड़े हो जाएं तो आपको बनारस के सभी घाट आसानी से दिख जाते हैं. उसी तरीके से जब यहां शाम के वक्त आरती होती है, तो देखने और सुनने वालों का मन खुशी से झूम उठता है. तब यहां एक अलौकिक एहसास होता है. सुबह के समय बड़ी संख्या में लोग यहां योगासन भी करते दिख जाते हैं.

अस्सी घाट पर भक्त अस्‍सींगमेश्‍वारा मंदिर में भी दर्शन करना नहीं भूलते हैं. अस्‍सींगमेश्‍वारा दरअसल वे देवता हैं, जिन्हें कि अस्सी और गंगा नदियों के संगम का भगवान माना गया है. इसके अलावा अस्सी घाट पर भगवान शिव का एक शिवलिंग पीपल के पेड़ के नीचे मौजूद है, जिसकी भक्त पूजा-अर्चना करते हैं और इस पर पवित्र गंगाजल भी चढ़ाते हैं. अस्सी घाट का धार्मिक महत्व इस लिहाज से भी है कि यही वह घाट है, जहां पर संत कवि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की थी. अस्सी घाट पर लक्ष्मी नारायण मंदिर बना हुआ है, जो कि नागर शैली में अपनी अनोखी स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है. इतिहास बताता है कि 19वीं सदी में बनारस के महाराज द्वारा अस्सी घाट का निर्माण करवाया गया था.

वाराणसी के अस्सी घाट (Varanasi Assi Ghat) का भव्य स्वरूप तब देखते ही बनता है, जब मकर संक्रांति, सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण और प्रबोधिनी एकादशी जैसे त्योहारों के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का रैला गंगा में डुबकी लगाने के लिए देशभर से यहां पहुंचने लगता है. अस्सी घाट युवाओं को भी बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करता है. लोग यहां शांति का अनुभव करने के लिए भी आते हैं.

अस्सी घाट और उसके आसपास के प्रमुख आकर्षण
1. रामनगर किला
मुगल युग की उत्कृष्ट कृतियों में से एक, रामनगर किले में आपको बताने के लिए बहुत सी कहानियाँ हैं. कहानियों के अलावा, वास्तुकला इस जगह का एक और शानदार आकर्षण है.

2. सारनाथ
उत्तर प्रदेश में सारनाथ एक बहुआयामी गांव है जो बौद्ध मंदिरों और हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. सांस्कृतिक विस्तार का एक शानदार तरीका.

3. रमणीय शामें

शामें विशेष रूप से जीवंत होती हैं, क्योंकि घाट का विशाल कंकरीट क्षेत्र एक छोटे से अग्नि समारोह के दौरान फेरीवालों और मनोरंजन करने वालों से भर जाता है. इसमें सूर्योदय के समय संगीत और योग भी शामिल है. नाव यात्रा के लिए यह एक लोकप्रिय शुरुआती बिंदु है.

4. नाव की सवारी

अस्सी घाट पर नाव की सवारी आपको सुखद अनुभव कराती है. वाराणसी के घाटों को देखना निश्चित रूप से आत्मा का कायाकल्प है.  

5. पवित्र डुबकी
अस्सी घाट पर, हिंदू भक्त गंगा नदी में पवित्र डुबकी भी लगाते हैं. ऐसा माना जाता है कि नदी में डुबकी लगाने से आत्मा की शुद्धि होती है.

6. प्रतिभा दिखाना

यह लगभग हर दूसरी शाम को होता है. अगर आपको मिल गया है, तो इसे शान से दिखाइए. यह सिर्फ जगह है!

अस्सी घाट कैसे पहुंचें
अस्सी घाट पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश, आपको जैसे शहरों से कुल 756, 1,429, 667, 1,752 किमी की दूरी तय करनी होगी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, तथा बेंगलुरु क्रमश. सार्वजनिक परिवहन के निम्नलिखित माध्यमों से आप अस्सी घाट की यात्रा कैसे कर सकते हैं, इसका विवरण यहां दिया गया है.

एयर द्वारा

20-30 किमी दूर स्थित लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डे (VNS) पर उतरें. हवाई अड्डा अन्य भारतीय शहरों और कस्बों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है जो अच्छी उड़ान कनेक्टिविटी प्रदान करता है. हवाई अड्डे से, आपको कैब या बस जैसे सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से अपनी यात्रा आगे जारी रखनी होगी.

मुंबई से – मुंबई हवाई अड्डे से गोएयर, विस्तारा, इंडिगो, स्पाइसजेट उड़ानें. हवाई किराया 3,000-4,000 रुपये से शुरू होता है

गुवाहाटी से – गुवाहाटी हवाई अड्डे से एयरइंडिया, एयरएशिया, स्पाइसजेट उड़ानें बोर्ड करें. हवाई किराया INR 4,000-5,000 से शुरू होता है

तेजपुर से – बोर्ड एयर इंडिया, तेजपुर हवाई अड्डे से स्पाइसजेट उड़ानें. हवाई किराया INR 8,000-9,000 से शुरू होता है

ट्रेन से

वाराणसी में उतरो जंक्शन (BSB) या मंडुआडीह रेलवे स्टेशन (MUV). दोनों स्टेशन असी घाट से 5-6 किमी की दूरी के भीतर स्थित हैं, जो आसपास के क्षेत्रों के साथ अच्छी ट्रेन कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं. हालाँकि, बाद वाले का अन्य क्षेत्रों के साथ कुछ हद तक सीमित जुड़ाव है. ट्रेन स्टेशनों से, आपको कैब, ऑटो या बस जैसे सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से यात्रा जारी रखनी होगी.

रास्ते से

अपनी भौगोलिक स्थिति के आधार पर, आप रोडवेज और राष्ट्रीय राजमार्गों के सुव्यवस्थित नेटवर्क द्वारा अस्सी घाट की यात्रा करने पर विचार कर सकते हैं. आसपास के शहरों और कस्बों से, आप अंतरराज्यीय बसें बुक करने, निजी कैब किराए पर लेने या अपने वाहन से यात्रा करने पर विचार कर सकते हैं.

लखनऊ से – NH285 के माध्यम से 731 किमी
कानपुर से – SH323 के माध्यम से 38 किमी
औरंगाबाद से – NH1,138C के माध्यम से 548 किमी

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