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प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद प्रयाग मांझी ने पारसनाथ में संभाली थी नक्सलवाद की कमान

Naxal News Jharkhand: झारखंड में नक्सलवाद के खात्मे के अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है. बोकारो जिले के लुगु पहाड़ की तलहटी में मुठभेड़ में एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक जी समेत 8 नक्सलियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया. प्रयाग कैसे पारसनाथ पहुंचा और कैसा था उसका जीवन, किन लोगों के साथ रहता था, यहां पढ़ें.

Naxal News Jharkhand| गिरिडीह, राकेश सिन्हा : गिरिडीह के पारसनाथ पर्वत को नक्सलियों का सबसे सेफ जोन माना जाता है. यही कारण है कि नक्सलियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी नक्सली और संगठन के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस ने 2 वर्ष पूर्व यहां अपना ठिकाना बनाया था. एक और एक करोड़ रुपए के इनामी नक्सली और भाकपा माओवादी के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के साथ-साथ दर्जनों इनामी नक्सली इसी क्षेत्र में आराम से रह रहे थे. वर्ष 2023 में नक्सलियों के थिंक टैंक प्रशांत बोस और उनकी पत्नी जब पारसनाथ से चाईबासा की ओर जा रहे थे, तभी पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया था.

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी से नक्सली संगठन में आ गया था भूचाल

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन में मानो भूचाल आ गया. दोनों शीर्ष नक्सलियों की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सली संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन करते हुए दर्जनों नक्सली घटनाओं को अंजाम देकर पुलिस प्रशासन को चुनौती दी थी.

2 साल से पारसनाथ में कैंप कर रहा था प्रयाग मांझी

प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद नक्सली संगठन की कमान एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा को सौंपी गयी. धनबाद जिले के टुंडी के दल बूढ़ा गांव के रहने वाले प्रयाग मांझी दा उर्फ विवेक दा के जिम्मे पूरे नक्सली संगठन की कमान थी.

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जून 2023 को पारसनाथ पहुंचा था प्रयाग मांझी उर्फ विवेक

गिरिडीह के पारसनाथ पर्वत क्षेत्र की जिम्मेदारी भी प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के जिम्मे ही थी. पारसनाथ की कमान संभालने के बाद प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा जून 2023 में पारसनाथ पर्वत पहुंचा था. यहां नक्सली संगठन के कई बड़े नेताओं के साथ बैठक करके संगठन को मजबूत करने में जुट गया था.

बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में बोलती थी तूती

भाकपा माओवादी संगठन के सेंट्रल कमेटी मेंबर प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा उर्फ फुचना उर्फ नागो मांझी उर्फ करण दा पर एक करोड़ का इनाम था. यह माओवादी संगठन का सबसे चालाक और बड़ा नक्सली था. इसकी तूती न सिर्फ झारखंड, बल्कि बिहार, छतीसगढ़ से लेकर ओडिशा तक बोलती थी. यही कारण है कि पारसनाथ में नक्सलियों की कमर टूटते देख संगठन ने विवेक दा को पारसनाथ की कमान सौंपी.

कौन-कौन रहता था विवेक दा के साथ?

प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा के साथ कई बड़े इनामी नक्सली रहते थे. इसमें मुख्य रूप से नक्सली परवेज मांझी उर्फ अनुज दा, अरविंद यादव उर्फ नेताजी, हार्डकोर नक्सली नारायण कोड़ा शामिल थे. ये लोग एके-47, इंसास और अन्य अत्याधुनिक हथियार से लैस रहते थे. इस दस्ते में एक दर्जन महिला समेत 50 से अधिक नक्सली रहते थे.

कहां का रहने वाला था विवेक दा

एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रयाग मांझी उर्फ विवेक दा वैसे तो धनबाद जिले के टुंडी के दलबुढ़ा का रहने वाला था, लेकिन वह लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में आता-जाता रहता था. पारसनाथ के अलावा छतीसगढ़, झुमरा, बिहार से लेकर बंगाल तक में इसके ठिकाने थे. संगठन के लिए वर्षों से काम कर रहा था. विवेक दा के खिलाफ सिर्फ गिरिडीह जिले में ही 50 से अधिक मामले दर्ज हैं.

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