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Janmashtami Vrat 2020: मथुरा में जन्में यशोदा के नंदलाल, चारों ओर बज रही बधाइयां…

krishna janmashtami 2020 kab hai, janmashtami vrat 2020 in mathura, iskcon, drik panch, date and time, Muhurat and Rashi Prabhav : आज भी देश में मथुरा सहित कई जगहों पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जा रहा है. इस साल अष्टमी तिथि 11 और 12 अगस्त दो दिन तक है. यही कारण है कि कल यानी मंगलवार को बहुत जगहों पर लोगों ने जन्माष्टमी व्रत और जन्मोत्सव मनाया तो कई जगहों पर आज कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. कृष्ण की नगरी मथुरा में भी आज ही जन्मोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. हालांकि कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से भक्तों की भीड़ कहीं नहीं रहेगी लेकिन डिजिटल दर्शन की व्यवस्था की गई है. इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र रहेगा, उसके बाद रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो 13 अगस्त तक रहेगा. पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. जन्माष्टमी के पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है. आइए जानते है कि किस तिथि को जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा...

लाइव अपडेट

मथुरा मंदिर से सीधा प्रसारण

मथुरा कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में पूजा की देखें लाइव वीडियो

कृष्ण जन्माष्टमी भजन

मथुरा से सीधे लाइव राधा कृष्ण झांकी

LIVE कृष्ण जन्मोत्सव दर्शन, मथुरा, वृंदावन जन्माष्टमी भजन

यहां देख सकते हैं जन्मोत्सव का लाइव टेलिकास्ट

मथुरा के लगभग सभी मंदिरों ने जन्‍मलीला का लाइव टेलीकास्‍ट कराने की तैयारी है. कृष्‍ण जन्‍मस्‍थली का लाइव दूरदर्शन पर होगा. वहीं अन्‍य प्रमुख मंदिरों से फेसबुक और यूट्यूब लाइव कराने की व्‍यवस्‍था की गई है. बांकेबिहारी की नगरी में हर मंदिर में अपने तरीके से आराध्य श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. चूंकि भगवान के जन्म का समय रात 12 बजे माना गया है, इसलिए अधिकतर मंदिरों में रात 12 बजे ही ठाकुरजी का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.

जानें आज रात में कैसे करें कृष्ण की पूजा

12 बजे रात से पहले स्नना करें. इसके बाद सूर्य, सोम, यम, काल, संधि, भूत, पवन, दिक्‌पति, भूमि, आकाश, खेचर, अमर और ब्रह्मादि को नमस्कार कर पूर्व या उत्तर मुख बैठें. फिर काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. मूर्ति में बालक श्रीकृष्ण को स्तनपान कराती हुई देवकी हों और लक्ष्मीजी उनके चरण स्पर्श किए हों अगर ऐसा चित्र मिल जाए तो बेहतर रहता है. इसके बाद विधि-विधान से पूजन करें. पूजन में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और लक्ष्मी इन सबका नाम क्रमशः लेना चाहिए. फिर निम्न मंत्र से पुष्पांजलि अर्पण करें- 'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः। वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः। सुपुत्रार्घ्यं प्रदत्तं में गृहाणेमं नमोऽस्तुते।' अंत में प्रसाद वितरण कर भजन-कीर्तन करते हुए रतजगा करें.

भगवान कृष्ण की आरती (Krishna Aarti)

आरती कुंजबिहारी की, गिरिधर कृष्ण मुरारी की ।

गले में बैजन्तीमाला, बजावैं मुरली मधुर बाला ॥

श्रवण में कुंडल झलकाता, नंद के आनंद नन्दलाला की ।। 5आरती…।।

गगन सम अंगकान्ति काली, राधिका चमक रही आली।

लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।।

चंद्र-सी झलक, ललित छबि श्यामा प्यारी की ।।आरती…।।

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।

गगन से सुमन राशि बरसै, बजै मुरचंग, मधुर मृदंग।।

ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की।।आरती…।।

जहां से प्रगट भई गंगा, कलुष कलिहारिणी श्री

स्मरण से होत मोहभंगा, बसी शिव शीश, जटा के बीच।।

हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की।।आरती…।।

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।

चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु, हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।।

कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की।।आरती…।।

कान्हा का 5247वां जन्मोत्सव

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर आज भगवान श्रीकृष्ण यानी कान्हा का 5247वां जन्मोत्सव मनाने की तैयारी चल रही है. भगवान के जन्म की खुशी में पूरा ब्रज सजाया जा चुका है. हर तरफ कृष्ण राधे की मधुर ध्वनि गुंजित हो रही है. मथुरा के जन्मोत्सव कार्यक्रम को देशभर में लाइव दिखाया जाएगा.

जन्मोत्सव आज

कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पंडित शशिनाथ ने कहते हैं कि ऐसा कई बार होता है जब एक ही मध्यरात्रि को तिथि और नक्षत्र का योग नहीं बन पाता है. वो कहते हैं कि ब्रज परंपरा वाले कृष्णजन्म से पूर्व व्रत करते हैं, जबकि गोकुल परंपरा वाले जन्म के उपरांत व्रत करते हैं. ऐसे में इस वर्ष 11 और 12 अगस्त को गृहस्थ जबकि 13 और 14 अगस्त को वैष्णवों का व्रत होगा.

नंदभवन में जन्म लेते ही नंद के आनंद भयौ जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूूंज उठा नंदगांव

भगवान श्रीकृष्ण के नंदभवन में जन्म लेते ही नंदगांव नंद के आनंद भयौ जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूूंज उठा. शंख, घंटे, घडिय़ाल, झांझ, मझीरा की ध्वनि से समूचा वातावरण झंकृत हो उठा. अभिषेक के बाद सेवायतों ने भगवान का श्रृंगार कर जैसे ही पर्दा हटाया, मंदिर में आस्था की बयार बह निकली. घरों की छतों से नंद के आंनद भयौ जय कन्हैया लाल की जयघोष वातावरण में गूंज उठे. कोरोना संक्रमण के कारण जो लोग मंदिर नहीं जा पाए थे, उन्होंने अपने घरों की छत पर खड़े होकर भगवान को नमन कर आशीर्वाद लिया. हर तरफ खुशियां ही खुशियां छा गईं. कन्हैया के जन्म लेते ही हर्ष और उल्लास छा गया.

बनता है ये संयोग

भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. आमतौर पर ये दोनों संयोगवश एक साथ ही होते हैं, जिनसे मिलकर जयंती योग बनता है. लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है. ज्योतिषविदों का कहना है कि इस बार भी कृष्ण की जन्म तिथि और नक्षत्र मेल नहीं खा रहे हैं.

जन्माष्टमी की पूजा के बाद ये करें

इसके बाद जल से स्नान कराएं. तत्पश्चात पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें. पूजा करने वाले व्यक्ति काले या सफेद वस्त्र धारण न करें. इसके बाद अपनी मनोकामना के अनुसार मंत्र का जाप करें. अंत में प्रसाद ग्रहण करें और वितरण करें.

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ऐसी है प्रभु की लीला

दरअसल, कानपुर देहात के शिवली में प्रचीन राधा कृष्ण मंदिर से 12 मार्च 2002 को बलराम, श्रीकृष्ण व राधा की तीन बड़ी व दो छोटी अष्टधातु की मूर्तियां चोरी हो गई थीं. मंदिर के सर्वराकर आलोक दत्त ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पुलिस ने सातवें दिन ही चोरों को गिरफ्तार करके मूर्तियां बरामद कर ली थीं. पुलिस ने कोतवाली के मालखाने में मूर्तियां रखवाने के बाद चोरों को जेल भेज दिया था. मामले में आरोपित तो जमानत पर रिहा हो गए लेकिन लीलाधर भगवान कृष्ण, बलराम व राधाजी को मालखाने की कैद से आजतक रिहाई नहीं मिल सकी है.

श्रीकृष्ण को हर रूप में पसंद करते हैं लोग

श्रीकृष्ण को उनके हर रूपों में पसंद किया जाता है. बताया जाता है कि श्रीकृष्ण का रंग सांवला था, इसलिए बड़ी संख्या में भक्त उनके इसी रूप को पसंद करते हैं और उसी हिसाल से मूर्तियों की खरीदारी करते हैं.

भुवनेश्वर के इस्कॉन मंदिर में इस तरह मनाई जा रही है जन्माष्टमी

भुवनेश्वर के इस्कॉन मंदर के ट्वीटर हैंडल पर ट्वीट करके जानकारी दी गई है कि मंदिर परिसर के बाहर कृष्ण जन्माष्टमी पर दीप प्रज्ज्वलित करने और प्रार्थना करने के लिए भक्तों ने मंदिर में प्रवेश किया क्योंकि कोविड-19 के कारण प्रवेश पर प्रतिबंध है.

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त

अष्टमी तिथि-

  • 11 अगस्त 2020, मंगलवार - अष्टमी तिथि शुरू - 09:06AM

  • 12 अगस्त 2020, बुधवार - अष्टमी तिथि समाप्त - 11:16AM

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त-

  • 12 अगस्त 2020, बुधवार - रात 12:05 बजे से 12:47 बजे तक

कृष्ण के जन्म पर हुए थे कई चमत्कार

भादप्रद की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. इस तिथि पर मध्यरात्री में भगवान कृष्म का जन्म हुआ था. श्रीकृष्ण का जन्म किसी महल में नहीं बल्कि जेल में हुआ था. उनका लालन-पालन भी उनके माता-पिता ने नहीं किया था. कृष्ण के जन्म लेते ही कई चमत्कार हुए थे जिससे कृष्ण जेल से गोकुल पहुंच गए थे.

रोहिणी नक्षत्र में हुआ था श्रीकृष्ण का जन्म

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस बार रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. इस बार अष्टमी तिथि के दौरान कृतिका नक्षत्र रहेगा. जबकि चंद्रमा मेष राशि से निकल कर वृष राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य कर्क राशि में रहेंगे.

वस्त्र खरीदते समय ध्यान दें

आपको ध्यान देना है कि भगवान कृष्ण के लिए आपने जो वस्त्र खरीदे हैं वो नए ही हो. अक्सर दुकानदार पुराने कपड़ों को ही नया बताकर बेच देते हैं. इस बात का आपको जरूर ध्यान रखना है.

भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं श्रीकृष्ण

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की कारागार में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अति शुभ रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कारागार के सभी दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए.

कारागार के दरवाजे खुल गए और सैनिक सो गए तब वासुदेव और देवकी के सामने भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि वे कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लेंगे. उन्होंने वासुदेव जी से कहा कि वे उन्हें तुंरत गोकुल में नन्द बाबा के यहां पहुंचा दें और उनके यहां अभी-अभी जन्मी कन्या को लाकर कंस को सौंप दें. वासुदेव ने ऐसा ही किया और कृष्ण को सौंपकर कन्या कंस को दे दी.

कन्या को मारने के लिए जैसे ही कंस ने हाथ को ऊपर उठाया तभी कन्या आकाश में गायब हो गई और भविष्यवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वो तो गोकुल में पहुंच चुका है. यह सुनते ही कंस क्रोध में आ गया. इसके बाद नंदगांव में कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए एक के बाद एक राक्षस भेजे. श्रीकृष्ण ने इन सभी का वध कर दिया. अंत में श्रीकृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया.

वैष्णव संप्रदाय के लोग 13 अगस्त क मनाएंगे जन्माष्टमी

वैष्णव संप्रदाय में उदयकालीन अष्टमी तिथि का महत्व है. इसीलिए इस संप्रदाय में 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जबकि श्री संप्रदाय और निंबार्क संप्रदाय में रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाने की परंपरा है। इस वजह से ये लोग 13 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाएंगे.

इस वजह से गोकुल और मथुरा में अलग-अलग दिन मनाई जाती है जन्माष्टमी

विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं नन्दगांव में श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है. हालांकि इस परंपरा के पीछे क्या कारण है और दोनों जगहों में समय का अंतर क्यों है इस पर कोई साफ मत पता नहीं चल पाया है. इस तरह इन तिथियों के अनुसार मथुरा में 12 और गोकुल में 11 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी.

इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव कल

पटना के इस्कॉन मंदिर में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव बुधवार को मनाया जाएगा. मंदिर में 151 कलश स्थापित कर पूजा-अर्चना होगी. मंदिर के प्रवक्ता नंद गोपाल दास ने बताया कि पूजा में सिर्फ मंदिर के पुजारी और पदाधिकारी ही मौजूद रहेंगे. श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित रहेगा.

जन्माष्टमी व्रत में न करें ये 6 काम

1- किसी का अनादर न करें

2- तामसिक आहार न लें

3- ब्रह्मचर्य का पालन करें

4- गायों को न सताएं

5- चावल या जौ का सेवन न करें

6- रात 12 से पहले न खालें व्रत

जन्माष्टमी का महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का देशभर में विशेष महत्व है. यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है. भगवान श्रीकृष्ण को हरि विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है. देश के सभी राज्यों में इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है. इस दिन बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं. वहीं मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं.

ऐसे रखें कृष्ण जन्माष्टमी व्रत

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आज और कल दोनों दिन है. कुछ लोग आज व्रत रखे है, वहीं कुछ लोग कल व्रत रखेंगे. जन्माष्टमी व्रत रखने की विधि इस प्रकार से है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. फिर कान्हा को शुद्ध जल से स्नान करवाएं. उन्हें नए वस्त्र पहनाएं. झूला लगाएं. दिनभर सेवा करें. रात्रि में 12 बजे कान्हा की पूजा करें, आरती करें, और इसके बाद अन्न ग्रहण करें.

भगवान वासुदेव के पूजन का सरल तरीका

कृष्णजी या लड्डूगोपाल की मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं, फिर दूध, दही, घी, शकर, शहद, केसर के घोल से स्नान कराकर फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं, फिर सुन्दर वस्त्र पहनाएं. रात्रि 12 बजे भोग लगाकर पूजन करें व फिर श्रीकृष्णजी की आरती उतारें. उसके बाद भक्तजन प्रसाद ग्रहण करें. व्रती दूसरे दिन नवमी में व्रत का पारण करें.

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जानें किस नक्षत्र में हुआ था भगवान श्रीकृष्ण का जन्म

द्वापर युग में श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में हुआ था. उस समय चंद्र उच्च राशि वृषभ में था. उस दिन बुधवार और रोहिणी नक्षत्र था. इस बार जन्माष्टमी पर ऐसा संयोग नहीं बन रहा है. रोहिणी नक्षत्र 11 और 12 अगस्त को नहीं रहेगा. ये नक्षत्र 13 अगस्त को रहेगा.

60 साल बाद जन्माष्टमी पर तिथि, तारीख और नक्षत्र का अद्भुत योग

इस साल 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, लेकिन इन दोनों तारीखों की रात में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा. इस समय गुरु अपनी स्वयं की राशि धनु में स्थित है. आज की रात 12 बजे भरणी नक्षत्र और 12 अगस्त की रात 12 बजे कृत्तिका नक्षत्र रहेगा. ऐसा योग 60 वर्ष पहले बना था. उस साल भी गुरु धनु राशि में था, उस समय भी कृत्तिका नक्षत्र था और जन्माष्टमी मनाई गई थी.

भगवान श्रीकृष्ण को ये प्रसाद है प्रसन्न

खीरा: कृष्ण की पूजा में खीरा रखना भी बहुत जरूरी होता है.

मखाना पाक: जन्माष्टमी में अधिकतर घरों में मखाना पाक बनता है, इसमें खूब सारे मेवे डालकर चीनी की चाश्नी में जमाया जाता है.

पंजीरी: जन्माष्टमी पर पंजीरी और चरणामृत बहुत ही आवश्यक होते हैं. धनिया को भूनकर उसमें मिठा मिलाकर पंजीरी बनाई जाती है. यह उनका प्रमुख प्रसाद होता है.

कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहा विशेष योग

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर एक विशेष योग बन रहा है. पंडितों के अनुसार, उसी दिन कृतिका नक्षत्र लगेगा. यही नहीं, चंद्रमा मेष राशि और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे. कृतिका नक्षत्र और राशियों की इस स्थिति से वृद्धि योग बना रहा है. इस तरह बुधवार की रात के बताए गए मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा.

इस्‍कॉन टेंपल से फेसबुक लाइव पर होगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसारण

इस्‍कॉन मंदिर के पंडित के अनुसार इस बार श्रीकृष्ण जन्‍मोत्‍सव की भव्‍यता और सजावट कुछ कम रहेगी लेकिन उत्‍साह उतना ही होगा. इस दिन भगवान कृष्‍ण पांच बार पोशाक धारण करेंगे. बाहर के लोगों का प्रवेश निषेध रहेगा ऐसे में मंदिर के अंदर ही रहने वाले अधिकतम 50 लोग जिनमें सेवाधिकारी और ब्रहृमचारी ही पूजा, अर्चन, अभिषेक, भजन और कीर्तन में शामिल होंगे. बाहर के सभी दरवाजे बंद रहेंगे. छह फुट की दूरी का पालन होगा. सभी अंदर के भक्‍तों को मास्‍क पहनना होगा. इस्‍कॉन टेंपल से फेसबुक लाइव और एप पर पूजा की लाइव प्रसारण किया जाएगा.

जानें कल क्यों रहेगा जन्माष्टमी मनाना शुभ

देश के कई राज्यों मे आज जन्माष्टमी मनाई जा रही है. वहीं कल 12 अगस्त को सूर्योदय तिथि अष्टमी है. आज 9 बजे के बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. ऐसे में शास्त्री के अनुसार 11 अगस्त से 12 अगस्त को श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. क्योंकि 11 अगस्त को मेष राशि भरणी नक्षत्र गत चंद्रमा व मंगलवार रहेगा. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि वृष राशि बुधवार रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. 12 अगस्त को वृष राशि चंद्रमा कृतिका नक्षत्र के चतुर्थ चरण में रहेंगे. रोहिणी नक्षत्र के नजदीक चंद्रमा होंगे, इसलिए 12 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा.

जगन्नाथपुरी कृष्ण-राधा जी का करें दर्शन

Janmashtami Vrat 2020: मथुरा में जन्में यशोदा के नंदलाल, चारों ओर बज रही बधाइयां...
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तिथि और नक्षत्र एक दिन नहीं होने से दो दिन मनेगी कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल भी दो मत हैं. ज्यादातर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 13 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी हुआ था. जो कि इस बार 12 अगस्त की रात में है. नक्षत्र की स्थिति देखते हुए मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव कल रात में मनाया जाएगा. मथुरा और द्वारिका दोनों जगहों पर कल जन्मोत्सव मनाया जाएगा. जगन्नाथपुरी में आज की रात 12 बजे कृष्ण जन्म होगा, वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी आज ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी. जन्माष्टमी का त्योहार भादो की अष्टमी तिथि के दिन मनायी जाती है.

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मथुरा में भक्तों के बिना मनेगा जन्मोत्सव

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म नक्षत्र रोहिणी हुआ था. जो कि इस बार 12 अगस्त की रात में है. नक्षत्र की स्थिति देखते हुए मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव पर्व 12-13 अगस्त की रात में मनाया जाएगा. कोरोना के चलते इस बार भक्तों के बिना ही कृष्ण जन्मोत्सव पर्व मनाया जाएगा. इस उत्सव को लाइव प्रसारण किया जाएगा.

परम गोभक्त थे श्री कृष्ण

भगवान श्री कृष्ण गोभक्त थे. गोपों के उत्सव में हल और जुए की पूजा होती थी. श्रीकृष्ण ने गोपों को समझाया कि वे इसके स्थान पर गोपूजन करें. हमारे देवता तो गाय हैं, गोवर्धन पर्वत हैं. गोवर्धन पर घास होती है. उसे गाय खाती हैं, और दूध देती हैं. उन्होंने सभी को गोवर्धन और गाय की पूजा करने की प्रेरणा दी.

वेदों का सार गीता

कृष्ण ने कुरूक्षेत्र के मैदान में महाभारत युद्ध के दौरानअर्जुन को जो उपदेश दिया वह गीता के नाम से प्रसिद्ध हुआ.गीता वेदों का सार है , उपनिषद और उपनिषदों के सार को भी गीता कहा गया है. ऋषि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे. गीता महाभारत के भीष्मपर्व का हिस्सा है.

कृष्ण ने किया था कई राक्षसों का वध

कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा था. तृणावर्त बवंडर बनकर आया और कृष्ण को अपने साथ उड़ा लिया. इसके बाद श्रीकृष्ण ने अपना भार बहुत बड़ा लिया, जिसे तृणावर्त भी संभाल नहीं पाया. बाद में कृष्ण ने उस राक्षस का गला पकड़कर उसका वध कर दिया. इसके अलावा कृष्ण ने कई और राक्षसों का वध किया जिसमें वत्सासुर, बकासुर, अघासुर यमलार्जुन के नाम प्रमुख हैं..

इस दिन बनने वाले अन्य शुभ मुहूर्त

  • अमृत काल: 12:48 AM, अगस्त 13 से 02:34 AM, अगस्त 13

  • विजय मुहूर्त: 02:38 PM से 03:31 PM

  • गोधूलि मुहूर्त: 06:50 PM से 07:14 PM

  • सायाह्न सन्ध्या: 07:03 PM से 08:08 PM

  • निशिता मुहूर्त: 12:05 AM, अगस्त 13 से 12:48 AM, अगस्त 13

श्री कृष्ण सबसे बड़े मोटिवेटर

श्री कृष्ण को सबसे बड़ा मोटिवेटर माना जाता है, जिसकी झलक महाभारत में भी देखने को मिलती है. अगर जीवन को सफल बनाना है और ज़िंदगी को एक नया आयाम देना है, तो भगवान कृष्ण की सीख हमेशा याद रखना होगा.

श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे

भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का 8वां अवतार कहा जाता है. श्री कृष्ण 16 कलाओं में के ज्ञाता थे. कंस के कारागार में उनका जन्म हुआ था. लेकिन उनका पालन पोषण गोकुल में हुआ था.

ऐसे मनाया जाता है कृष्ण जन्मोत्सव

विद्वानों के अनुसार वैष्णवों द्वारा भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि में सूर्यादय होने के अनुसार ही कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. वहीं नन्दगांव में श्रावण मास की पूर्णमासी के दिन से आठवें दिन ही जन्माष्टमी मनाने की प्रथा चली आ रही है. हालांकि इस परंपरा के पीछे क्या कारण है और दोनों जगहों में समय का अंतर क्यों है इस पर कोई साफ मत पता नहीं चल पाया है.

जानिए शत्रुहंता योग कब बनता है

किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शत्रुहंता योग का निर्माण जन्म कुंडली के छठवें भाग में बनता है. भगवान श्रीकृष्ण की कुंडली में छठे भाव में शुक्र और शनि के साथ शत्रुहंता योग बना था. उनके अनेक शत्रु थे लेकिन इस योग के निर्माण से शत्रु उनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाए. छठवें भाव में राहु हो तो शत्रु बुरी तरह परास्त होता है.

कोरोनावायरस के कारण जन्माष्टमी को सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा

मथुरा में ब्रज सहित समूचे देश और विदेश में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को मनाया जाएगा, वहीं नन्दगांव में एक दिन पूर्व इसका आयोजन किया जाएगा जहां पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का बचपन व्यतीत हुआ था. ब्रज के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाए जाने के बावजूद कोरोना वायरस संकट के चलते इसे इस बार सार्वजनिक रूप नहीं दिया जाएगा.

56 भोग से खुश होते हैं श्रीकृष्ण

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग देने की भी परंपरा है. यह परंपरा कब से शुरू हुई इसके बारे में कुछ दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. युगों-युगों से यह परंपरा चलती आ रही है. धार्मिक मान्यता है कि छप्पन भोग से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

जन्माष्टमी व्रत

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं, हालांकि जिनको स्वास्थ्य समस्याएं हैं, वे न करें तो अच्छा है. व्रत न रखकर वे केवल भगवान की आराधना करें. ज्यो​तिषीय मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत करने से व्यक्ति को बाल कृष्ण जैसी संतान प्राप्त होती है.

यहीं मिलता है कृष्ण जन्म का उल्लेख

श्रीमद्भागवत दशम स्कंध में कृष्ण जन्म प्रसंग का उल्लेख मिलता है कि अर्धरात्रि में जिस समय पृथ्वी पर कृष्ण अवतरित हुए थे उसी समय ब्रज में घनघोर बादल छाए थे. लेकिन चंद्रदेव ने अपनी दिव्य दृष्टि से अपने वंशज को जन्म लेते हुए देखा था. यही कारण है कि श्री कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में चंद्रमा उदय के साथ होता है.

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कृष्ण अष्टमी का समय

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 अगस्त को सुबह 9:06 से होगी और 2 अगस्त को दिन में 11:16 मिनट तक रहेगी. वहीं, अगर रोहिणी नक्षत्र की बात करें तो इसकी शुरुआत 13 अगस्त को तड़के 03:27 मिनट से होगी और इसका समापन 05:22 मिनट पर होगा.

ब्रज के मंदिरों में तैयारी शुरू

ब्रज के सभी मंदिरों में उत्सव की तैयारी शुरू हो गई है और मंदिरों को सजाया-संवारा जा रहा है. श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मस्थान पर जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाई जाएगी.

12 अगस्त को वृद्धि योग है

जन्माष्टमी का पर्व 12 अगस्त को है. इस बार जन्माष्टमी का पर्व बेहद विशेष है. पंचांग के अनुसार इस दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है.

नहीं बन रहा रोहिणी और अष्टमी का संयोग

ज्योतिषाचार्य मनीष मोहन के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. कई बार ऐसा होता है ये दोनों संयोग एक साथ नहीं बन पाते। इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं.

जगन्नाथ पुरी में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी

जगन्नाथ पुरी, बनारस और उज्जैन में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी. क्योंकि 11 अगस्त से अष्टमी तिथि आरंभ होगी.

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इस बार जन्माष्टमी की पूजा 43 मिनट की होगी

12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी। जन्माष्टमी पर इस बार वृद्धि संयोग बन रहा है, जो अति उत्तम हैं.

गृहस्थ लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे

अष्टमी तिथि मंगलवार, 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी. बुधवार 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक यह तिथि रहेगी. अब यह बिल्कुल साफ हो चुका है कि सामान्य जन यानी गृहस्थ लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे. जबकि वैष्णव, संन्यासी या बैरागी 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.

11 अगस्त को सूर्योदय के बाद ही अष्टमी तिथि शुरू

11 अगस्त को सूर्योदय के बाद ही अष्टमी तिथि शुरू होगी. अष्टमी तिथि मंगलवार, 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी. यह तिथि बुधवार, 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी. वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया गया है. बुधवार रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक बाल-गोपाल की पूजा-अर्चना की जा सकती है.

जानिए किस नक्षत्र में मनाई जाती है जन्माष्टमी

जन्माष्टमी के दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपवास रखने के साथ ही भजन-कीर्तन और विधि-विधान से पूजा करते हैं. ज्योतिषियों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय रात 12 बजे अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था. इसलिए इसी नक्षत्र और तिथि में जन्माष्टमी मनाई जाती है.

11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी

इस बार 11 अगस्त को जन्माष्टमी तिथि सुबह लग जाएगी, जो 12 अगस्त को सुबह 11 बजे रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को लग रहा है. ऐसे में सभी कंफ्यूज हैं कि 11 को पूजा औऱ व्रत करें या फिर 12 को. कई ज्योतिषियों ने इसके लिए बताया कि जब उदया तिथि हो यानी जिस तिथि में सूर्योदय हो रहा हो, उस तिथि को ही जन्माष्टमी मनाई जाती है.

जन्माष्टमी पर इस बार बन रहा है वृद्धि संयोग

12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है। पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी. जन्माष्टमी पर इस बार वृद्धि संयोग बन रहा है, जो अति उत्तम हैं. भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के त्योहार के बाद भगवना का छठी पूजन कार्यक्रम भी धूमधाम से होता है. इस दिन कान्हा जी की छठी मनाई जाती हैऔर मंदिरों में प्रसाद वितरण किया जाता है.

कृष्ण जन्माष्टमी पर बना रह यह विशेष योग

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी पर एक विशेष योग बन रहा है. पंडितों के अनुसार, उसी दिन कृतिका नक्षत्र लगेगा. यही नहीं, चंद्रमा मेष राशि और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे. कृतिका नक्षत्र और राशियों की इस स्थिति से वृद्धि योग बना रहा है. इस तरह बुधवार की रात के बताए गए मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा.

लड्डू गोपाल के लिए बाजार में मिल रही मच्छरदानी, खींच रही है लोगों का ध्यान

कोरोना संक्रमण के डर के बीच में जन्माष्टमी का रंग बाजारों पर छाने लगा है. दुकानों पर लड्डू गोपाल की प्रतिमाएं, पोशाक, मुकुट, बांसुरी से लेकर हिंडोले तक उपलब्ध हैं. इस बार लड्डू गोपाल के लिए बाजार में मिल रही मच्छरदानी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रही है.

नंदगांव में 11 को मनेगी जनमाष्‍टमी

दगांव के नंदबाबा मंदिर में 11 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. मंदिर के सेवायत हरिमोहन गोस्वामी कहते हैं कि नंदबाबा मंदिर में खुर गिनती (उंगलियों पर गिने जाने वाली) के हिसाब से रक्षाबंधन के आठवें दिन जन्मोत्सव मनाया जाता है. रक्षाबंधन से आठवां दिन 11 अगस्त को पड़ रहा है.

जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को करना चाहते हैं प्रसन्न, जरूर अर्पित करें ये चीजें

जन्माष्टमी के दिन पूजा में परिजात के फूल अवश्य शामिल करने चाहिए. भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को परिजात के फुल बहुत प्रिय हैं.लभगवान कृष्ण को जन्माष्टमी के दिन चांदी की बांसुरी अर्पित करनी चाहिए. पूजा के बाद इस बांसुरी को अपने पर्स या पैसे रखने के स्थान पर रखना चाहिए.

क्या है स्मार्त और वैष्णव मत

स्मार्त मत

जो स्मृतियों और वेदों को मानते हैं. पूर्ण रूप से संन्यासी हैं। स्मार्त मत से जुड़े लोग किसी भी पर्व की शुरुआत की तिथि को मानते हैं. एकादशी भी स्मार्त मत के लोग एक दिन पहले मनाते हैं.

वैष्णव मत

वह मत जिसे हमारे आचार्यों ने प्रारंभ किया है. वैष्णव मत के लोग किसी भी पर्व की सूर्योदय की तिथि को मानते हैं.

12 को यहां भी धूमधाम से मनेगा जन्मोत्सव

  • नंदभवन, गोकुल

  • प्रेम मंदिर वृंदावन

  • चौरासी खंभा, महावन

  • ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर वृंदावन

  • द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होगी रात को डेढ़ बजे आरती

वृंदावन में 12 अगस्त दिन बुधवार को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा. हर साल की तरह इस बार भी वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में कान्‍हा के जन्‍म के बाद रात को डेढ़ बजे आरती होगी. हर साल देर रात को होने वाली इस आरती में आसपास और बाहर से इतने भक्‍त आते थे कि पूरे परिसर में नहीं समा पाते थे, लेकिन इस बार इस आरती में सिर्फ मंदिर के सेवाधिकारी ही शामिल होंगे. मंदिर के सेवाधिकारियों की ओर से बताया गया कि बांके बिहारी जन्‍माष्‍टमी पर पीली पोशाक पहनेंगे. ठा‍कुर जी का अभिषेक, पूजा और आरती अन्‍य वर्षों की तरह ही होगी लेकिन बाहरी लोग प्रवेश नहीं कर पाएंगे. आरती का लाइव प्रसारण किया जाएगा.

जानें दो दिन जन्माष्टमी मनाने को लेकर क्यों है उलझन

कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर इस साल भी दो मत हैं. ज्यादातर पंचांगों में 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी है, लेकिन ऋषिकेश और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में 13 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाने की तैयारी है. वहीं, जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त की रात को कृष्ण जन्म होगा. वहीं, काशी और उज्जैन जैसे शैव शहरों में भी 11 को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी. कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे.

11 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय के बाद लगेगी, लेकिन पूरे दिन और रात में रहेगी. भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस साल जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. इस बार 11 अगस्त, मंगलवार को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी, इसलिए जगन्नाथपुरी में 11 अगस्त यानि कल अष्टमी तिथि में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा.

गोकुल समेत इन मंदिरों में भक्‍तों के प्रवेश पर रोक

गोकुल, नंदगांव सहित मथुरा-वृंदावन के राधावल्‍लभ मंदिर, राधारमण मंदिर, राधा दामोदर, रंगनाथ मंदिर, प्रेम मंदिर, सेवाकुंज और निधिवन सहित अन्‍य मंदिरों में भक्‍तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. यहां तक कि स्‍थानीय लोग भी इस बार मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना नहीं कर पाएंगे. हालांकि मंदिरों के अंदर जन्‍मोत्‍सव के सभी आयोजन किया जाएगा.

इस्कॉन मंदिर में नहीं मिलेगा भक्तों को प्रवेश

इस बार इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी पर भक्तों को प्रवेश नहीं मिलेगा. पुजारी और मंदिर के अंदर का स्टाफ ही जन्माष्टमी मनाएगा. श्रीकृष्ण भक्तों से मंदिर नहीं पहुंचने की अपील की गई है. इस बार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का लाइव प्रसारण किया जाएगा. कोरोना के चलते यह फैसला लिया गया है. भगवान कृष्ण के अभिषेक, झांकी और हवन-पूजन व जन्मोत्सव का आयोजन शाम पांच से रात 12 बजकर 30 मिनट तक चलेगा. जिसका सजीव प्रसारण मंदिर के यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा. सभी श्रद्धालु इस बार ऑनलाइन ही भगवान की झांकी का दर्शन करेंगे

रात 12 बजे मन्दिरों में होता है अभिषेक

पूरे दिन व्रत रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं. कृष्ण जन्मभूमि के अलावा द्वारकाधीश, बिहारीजी एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता है, जिनमें भारी भीड़ होती है.

जानें कब हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म

कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र इस वर्ष एक साथ नहीं मिल रहे. 11 अगस्त को अष्टमी तिथि सूर्योदय के बाद लगेगी, लेकिन पूरे दिन और रात में रहेगी. भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस बार जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण की तिथि और जन्म नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है. पहले पुरी और मथुरा की अलग-अलग तिथियों को लेकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव दो दिन मनायी जाएगी.

जगन्नाथपुरी में कल मनेगा श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

जगन्नाथपुरी के पुजारी के अनुसार ओडिशा सूर्य उपासक प्रदेश है. इसलिए यहां सूर्य की स्थिति को देखते हुए त्योहार मनाए जाते हैं. इसलिए पुरी मंदिर में 11 अगस्त को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव और 12 अगस्त को नंदोत्सव मनाया जाएगा.

जन्माष्टमी पर बन रहा विशेष योग

इस बार जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र लगेगा. यही नहीं, चंद्रमा मेष राशि और सूर्य कर्क राशि में रहेंगे. कृतिका नक्षत्र और राशियों की इस स्थिति से वृद्धि योग बना रहा है. इस तरह बुधवार की रात के बताए गए मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा.

वराणसी, उज्जैन और जगन्नाथ पुरी में कल को मनेगी जन्माष्टमी

इस वर्ष मथुरा और द्वारिका में जन्माष्टमी 12 अगस्त के दिन ही मनाई जाएगी. वहीं वराणसी, उज्जैन और जगन्नाथ पुरी में कृष्ण जन्मोत्सव एक दिन पहले 11 अगस्त यानि कल मनाई जाएगी.

पूजा का शुभ समय

जन्माष्टमी की रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक पूजा करने के लिए शुभ समय है.

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12 अगस्त 2020 को जन्माष्टमी मनाना रहेगा शुभ

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था. लेकिन, इस बार तिथि और नक्षत्र का संयोग एक ही दिन नहीं बन रहा है. 12 अगस्त को अष्टमी तिथि पूरे दिन और रातभर रहेगी. इस वजह से 12 अगस्त की रात में जन्माष्टमी मनाना अधिक शुभ रहेगा.

जानें पूजा विधि

- चौकी पर लाल कपड़ा बिछा लीजिए.

- भगवान कृष्ण की मूर्ति चौकी पर एक पात्र में रखिए.

- अब दीपक जलाएं और साथ ही धूपबत्ती भी जला लीजिए.

- भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें कि 'हे भगवान कृष्ण ! कृपया पधारिए और पूजा ग्रहण कीजिए.

भगवान श्री कृष्ण का इस प्रकार करें ध्यान

श्री कृष्ण बाल रूप में पीपल के पत्ते पर लेटे हैं. उनके शरीर में अनंत ब्रह्माण्ड हैं और वे अंगूठा चूस रहे हैं. इसके साथ ही श्री कृष्ण के नाम का अर्थ सहित बार बार चिंतन कीजिए. कृष्ण का अर्थ है आकर्षित करना और ण का अर्थ है परमानंद या पूर्ण मोक्ष. इस प्रकार कृष्ण का अर्थ है, वह जो परमानंद या पूर्ण मोक्ष की ओर आकर्षित करता है, वही कृष्ण है. इसके बाद विसर्जन के लिए हाथ में फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें : हे भगवान् कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए धन्यवाद. कृपया मेरी पूजा और जप ग्रहण कीजिए और पुनः अपने दिव्य धाम को पधारिए.

पूजा का समय

जन्माष्टमी के दिन कई लोग सुबह या शाम के वक्त पूजा करते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था, ऐसे में उस वक्त ही पूजा करना लाभकारी माना जाता है.

साफ बर्तन

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा में साफ बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए. ध्यान रहे कि वह बर्तन किसी भी मांसाहारी भोजन के लिए न इस्तेमाल किये गए हो.

दिशा

जन्माष्टमी के दिन झांकी की दिशा का विशेष ध्यान रखें. दिशा की जानकारी के लिए आप विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं.

भोग

भगवान श्रीकृष्ण को जन्माष्टमी के दिन पंचामृत का भोग लगाना शुभ माना जाता है.

क्या न करें

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को नई पोशाक जरुर पहनाएं. कई बार दुकानदार पुराने कपड़े नए के रूप में बेच देते हैं. ऐसे में खरीदारी के वक्त इसका ध्यान रखें.

Janmashtami 2020 Date: 11 और 12 अगस्त को मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जनिए किस तारीख को है श्रेष्ठ मुहूर्त

जानें कहां-कहां मनेगा 12 अगस्त को कृष्ण जन्मोत्सव

-नंदभवन, गोकुल

-प्रेम मंदिर वृंदावन

-चौरासी खंभा, महावन

-ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर वृंदावन

-द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा

निशीथ बेला में हुआ था भगवान कृष्ण का जन्म

शास्त्र के अनुसार द्वापर युग में भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि बुधवार की रात 12 बजे निशीथबेला में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. वैष्णव इस बार 12 अगस्त को जन्माष्टमी महोत्सव मनाएंगे. सर्वार्थ सिद्धि योग बुधवार के दिन है. उच्च राशि (वृषभ) के चंद्रमा हैं, निशीथ बेला में 11 बजकर 43 मिनट वृषभ लग्न भी आ जाएगी. मथुरा के पूर्व क्षितिज पर चंद्रमा का उदय रात 11 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है स्मार्त जन 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे.

जानें दो दिन क्यों मनती है अष्टमी

सनातन धर्म में पुराणों के अनुसार दो मतों पर आधारित पर्व मनाए जाते हैं. स्मार्त और वैष्णव मत में पर्व मनाने की तिथि में अंतर होता है. स्मार्त मत में जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनेगी और वैष्णव मत में 12 अगस्त को, इसके पीछे कारण है कि ब्रह्म मुहूर्त में जो तिथि होती है, वैष्णव उसी दिन उत्सव मनाते हैं. 12 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त में अष्टमी तिथि होने के कारण वैष्णव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाएंगे. 12 अगस्त को बुधवार और रोहिणी नक्षत्र भी पड़ रहा है. इसी दिन अधिकतर स्थानों पर उत्सव मनाया जाएगा.

नंदगांव में 11 और मथुरा में 12 को मनायी जाएगी जनमाष्‍टमी

श्रीकृष्ण जन्मस्थान मथुरा में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा, तो नंदबाबा के गांव नंदगांव में एक दिन पहले 11 अगस्त को मनाएंगे श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा के अनुसार जन्मस्थान पर 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा. रात 12 बजे प्राकट्यय दर्शन होंगे और प्राकट्‌य आरती होगी. 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 20 मिनट तक जन्म महाभिषेक होगा. कोरोना संक्रमण के चलते इस बार श्रद्धालु कान्हा के जन्मोत्सव के दर्शन नहीं कर पाएंगे. मंदिरों में केवल प्रबंधन से जुड़े लोग ही मौजूद रहेंगे. श्रीकृष्ण जन्मस्थान से महाभिषेक का टीवी चैनलों के जरिए लाइव प्रसारण होगा.

शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी इस बार 11 और 12 दो दिन मनायी जाएगी. 12 अगस्त दिन बुधवार को शुभ समय है. 12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी.

जानें जन्माष्टमी व्रत और पूजा विधि

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भक्ति के लिए उपवास करें. इसके बाद अपने घर की विशेष सजावट करें. घर के अंदर सुन्दर पालने में बालरूप श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें. रात्रि बारह बजे श्रीकृष्ण की पूजन के पश्चात प्रसाद का वितरण करें. विद्वानों, माता-पिता और गुरुजनों के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें, इसके साथ ही यह ध्यान रखें कि परिवार में कोई भी किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें. इस दिन के लिए आप अपने घर को सजा सकते हैं.

दो दिन मनााया जाता है जन्माष्टमी

भारत में लोग अलग–अलग तरह से जन्माष्टमी मानते हैं. वर्तमान समय में जन्माष्टमी को दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन साधू-संत जन्माष्टमी मानते हैं. मंदिरों में साधू-संत झूम-झूम कर कृष्ण की अराधना करते हैं, इस दिन साधुओं का जमावड़ा मंदिरों में सहज है. उसके अगले दिन दैनिक दिनचर्या वाले लोग जन्माष्टमी मानते हैं.

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