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Kartik Purnima 2021 Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: आज है कार्तिक पूर्णिमा,जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Kartik Purnima 2021 Puja Vidhi, Muhurat Timings, Samagri, Mantra: कार्तिक पूर्णिमा इस साल 19 नवंबर, शुक्रवार यानी आज मनाई जा रही है. शास्त्रों में इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है. कार्तिक पूर्णिमा का दिन देवी-देवताओं को खुश करने का दिन होता है.

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पूर्णिमा तिथि को दान का विशेष महत्व

पूर्णिमा तिथि को दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करना चाहिए. मान्यता है कि इस दिन चावल का दान करने से चंद्रमा मजबूत होता है.

कार्तिक पूर्णिमा पर करें ये काम

पूर्णिमा स्न्नान का महत्व शास्त्रों में वर्णित है. इसलिए इस दिन किसी पवित्र नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

कार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त-

कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 नवंबर 2021दोपहर 12:00 बजे से

कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर 2021 दोपहर 02:26 पर

कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय- 17:28:24

पूर्णिमा तिथि पर न करें ये काम-

1. इस दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए।

2. मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

3. किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

धर्म और ज्‍योतिष के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्‍नान करके उगते सूर्य को अर्ध्‍य देने का विशेष महत्व है. इसके अलावा इस दिन दान-पुण्‍य करने से कई तरह के पापों से मुक्ति भी मिलती है. ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से लाभ होता है. इसके अलावा इस दिन दीपदान और तुलसी पूजा जरूर करनी चाहिए.

कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के दिन हर व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन फल, अनाज, वस्त्र और गुड़ आदि चीजों का दान किया जा सकता है. शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को समर्पित मानी जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की प्रिय वस्तुओं मिठाई, दूध और नारियल का दान करने से धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

कार्तिक पूर्णिमा पर नदी में स्नान का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है. मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग से देवतागण भी आकर गंगा में स्नान करते हैं. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए. अगर आपका गंगा स्नान के लिए जाना संभव नहीं है तो घर पर ही पवित्र जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है.

कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजन क्यों किया जाता है?

कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा का विशेष महत्व होता है.अगर आप देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा नहीं कर पाएं हैं तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन कर सकते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.

Kartik purnima 2021 shubh Muhurat

पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होकर, 19 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 28 मिनट पर समाप्त होगी. पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान का शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक है. दान करने का शुभ समय 19 नवंबर को सूर्यास्त से पहले तक है.

चंद्र ग्रहण का कार्तिक पूर्णिमा पूजा पर प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण की घटना को विशेष माना गया है. धार्मिक कार्यों पर चंद्र ग्रहण को प्रभाव नहीं पडे़गा. इसके पीछे जानकारों का मत है कि चंद्र ग्रहण पूर्ण नहीं है, 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को लगने वाला चंद्र आंशिक है. इसके साथ ही दिन में चंद्र ग्रहण लग रहा है, तथा इसका प्रभाव भारत पर नहीं पड़ रहा है. इस ग्रहण को भारत में असम, अरुणाचल प्रदेश आदि क्षेत्रों में ही दिखाई देने की बात कही जा रही है. इसलिए पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों पर इस ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा. कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान, दान और यज्ञ का विशेष महत्व बताया गया है.

कार्तिक पूर्णिमा पर दान का है अत्यंत महत्व

इसी दिन क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र का दान करना शुभ होता है. पूर्णिमा तिथि पर चावल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है. ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. घर में सुख और लक्ष्मी का वास होता है.

दीपदान से मिलेगी देवताओं की कृपा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली भी होती है. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान करना बेहद शुभ माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी नदी या सरोवर के किनारे दीपदान अवश्य करना चाहिए. यदि नदी या सरोवर पर नहीं जा सकते हैं तो देवस्थान पर जाकर दीपदान करें. इससे देवता प्रसन्न होते हैं. घर में धन-धान्य और सुख-शांति बनी रहती है.

5 घंटे 59 मिनट लंबा होगा यह चंद्र ग्रहण

भारतीय समय के अनुसार ग्रहण 19 नवंबर को प्रातः 11:34 मिनट से आरंभ होगा और इसका समापन सायं 05:33 मिनट पर होगा. ग्रहणकाल की कुल अवधि- लगभग 05 घंटे 59 मिनट तक होगी. बता दें कि इस चंद्र ग्रहण से पहले इत लंबा चंद्र ग्रहण19 फरवरी 1440 को लगा था. यानि 580 वर्षों के बाद इतनी लंबी अवधि का चंद्रग्रहण 19 नवंबर 2021 को लगने जा रहा है.

कार्तिक पूर्णिमा स्‍नान करने का शुभ मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा पर स्‍नान करने का शुभ मुहूर्त 19 नवंबर 2021, शुक्रवार को ब्रम्‍ह मुहूर्त से दोपहर 02:29 तक है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का है खास महत्व

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि पर पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व माना गया है. मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करते हैं इसलिए इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए. गंगा स्नान संभव न हो तो पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. इसी दिन क्षमतानुसार अन्न, वस्त्र का दान करना शुभ होता है. पूर्णिमा तिथि पर चावल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है. ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. घर में सुख और लक्ष्मी का वास होता है.

कार्तिक पूर्णिमा पर पृथ्वी पर आते हैं देवता

पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर स्वर्गलोक से देवी-देवता पृथ्वीलोक पर आते हैं और वाराणसी के गंगा घाट पर स्नान करते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली मनाई जाती है. इस दिन देवताओं के धरती पर आने की खुशी में घाटों को दीयों से रोशन किया जाता है. इतना ही नहीं, इस दिन घर के अंदर और बाहर दीप जलाने की परंपरा है.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

धर्म और ज्‍योतिष के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्‍नान करके उगते सूर्य को अर्ध्‍य देने का विशेष महत्व है. इसके अलावा इस दिन दान-पुण्‍य करने से कई तरह के पापों से मुक्ति भी मिलती है. ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो कार्तिक पूर्णिमा के दिन चावल का दान करने से लाभ होता है. इसके अलावा इस दिन दीपदान और तुलसी पूजा जरूर करनी चाहिए.

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है

कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. ऐसी मान्‍यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन दान-पुण्‍य करने का भी अत्यंत महत्व है. इस साल 19 नवंबर 2021 को कार्तिक पूर्णिमा है.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन 6 तपस्विनियों का पूजन

कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिवा, सम्भूति, प्रीति, संतति, अनुसुइया समेत क्षमा नामक छह तपस्विनी कृतिकाओं का पूजन करने का विशेष महत्व है. शाम को चंद्रमा निकलने पर इनका पूजन करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हें कार्तिक की माता माना गया है. इनकी पूजा करने वालों के घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती.

कार्तिक पूर्णिमा के दिन न करें ये काम

: कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी से बहस न करें. साथ ही इस दिन किसी को अपशब्‍द भी न कहें. चाहे कोई भी वजह हो खुद को कंट्रोल करें.

: कार्तिक पूर्णिमा के दिन नॉनवेज और शराब का सेवन गलती से भी न करें. ऐसा करने से कई तरह के अशुभ फल मिलते हैं.

: इस दिन किसी असहाय या गरीब व्‍यक्ति अपमान न करें . क्योंकि इस दिन गरीबों और असहायों की मदद और उन्हें दान देने से शुभ फल मिलते हैं.

: इस दिन नाखून और बाल नहीं काटें.

कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर (गुरुवार) दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर (शुक्रवार) दोपहर 02 बजकर 25 मिनट तक

सुबह उठकर करें ये काम

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. अगर संभव ना हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. इसके बाद देवी तुलसी का पौधा और भगवान विष्णु की अर्चना करें.

देव दिवाली की कथा…

देव दीपावली की कथा महर्षि विश्वामित्र से जुड़ी है. मान्यता है कि एक बार विश्वामित्र जी ने देवताओं की सत्ता को चुनौती दे दी. उन्होंने अपने तप के बल से त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेज दिया. यह देखकर देवता अचंभित रह गए. विश्वामित्र जी ने ऐसा करके उनको एक प्रकार से चुनौती दे दी थी. इस पर देवता त्रिशंकु को वापस पृथ्वी पर भेजने लगे, जिसे विश्वामित्र ने अपना अपमान समझा. उनको यह हार स्वीकार नहीं थी.

इन कार्यों से भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा को दीप जलाने से भगवान विष्णु की खास कृपा मिलती है. इस कारण श्रद्धालु विष्णुजी को ध्यान करते हुए मंदिर, पीपल के पेड़, नदी किनारे, मंदिरों में दीप जलाते है.

क्या हैं धार्मिक मान्यताएं

कार्तिक पूर्णिमा के दिन व्रत रखना बेहद शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को हजार अश्वमेध और सौ राजसूय यज्ञ का फल मिलता है.

तुलसी नमन मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः।नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

कार्तिक पूर्णिमा का क्या है महत्व..

कार्तिक महीने का अंतिम दिन यानी पूर्णिमा तिथि कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है. इस साल 30 नवंबर, सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी. कहते हैं कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कार्तिक पूर्णिमा के खास दिन पर जप, तप और दान का विशेष महत्व बताया जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा के मंत्र (Kartik Purnima Mantra)

ॐ सों सोमाय नम:।

ॐ विष्णवे नमः।

ॐ कार्तिकेय नमः।

ॐ वृंदाय नमः।

ॐ केशवाय नमः।

कार्तिक पूर्णिमा का है विशेष महत्व

हिंदू धर्म में कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. पुराणों में सभी कार्तिक माह को आध्यात्मिक और शारीरिक ऊर्जा संचय के लिए उचित माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और भगवान शंकर की आराधना की जानी चाहिए.

गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) से दिन बनता है और खास

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म के पहले गुरु यानी गुरु नानकदेव का जन्म हुआ था। इस वजह से भी हिंदू और सिख धर्म के अनुयायी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पर्व (Guru Parv 2021), प्रकाश पर्व या प्रकाश उत्सव के रूप मनाते हैं. इस अवसर पर गुरुद्वारों में अरदास की जाती है और बहुत बड़े स्तर पर जगह-जगह पर लंगर किया जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 18 नवंबर (गुरुवार) दोपहर 11 बजकर 55 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 नवंबर (शुक्रवार) दोपहर 02 बजकर 25 मिनट तक

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